खट्टर की नाक तले स्थानीय शहरी निकाय मुख्यालय मेें हो रही लूट कमाई अवर सचिव सूबे सिंह ने पूर्व अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा को नियम विरुद्ध दिलाए लाखों के फायदे

खट्टर की नाक तले स्थानीय शहरी निकाय मुख्यालय मेें हो रही लूट कमाई अवर सचिव सूबे सिंह ने पूर्व अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा को नियम विरुद्ध दिलाए लाखों के फायदे
November 18 05:39 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीट कर जनता को गुमराह कर रहे हैं और नगर निगम के अधिकारियों से लेकर स्थानीय शहरी निकाय विभाग के अवर सचिव तक काली कमाई करने में लगे हैं। स्थानीय निकाय के अवर सचिव सूबे सिंह ने फरीदाबाद नगर निगम में अधीक्षण अभियंता पद से रिटायर हुए रवि कुमार शर्मा को अच्छी दावत, महंगी शराब और चंद लाख रुपये सुविधा शुल्क के बदले नियम विरुद़्ध एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एसीपी) के तीन लाभ दे दिए। सूबे सिंह की सेवा टहल का फायदा ये हुआ कि रवि शर्मा को एसीपी एरियर के भुगतान के रूप में 22 लाख रुपये मिले और पेंशन भी इसी अनुपात में काफी अधिक हो गई।

हरियाणा सरकार के हरियाणा सिविल सेवा नियम 2008 के अनुसार सरकारी कर्मचारी को नौकरी रेगुलर होने के पांचवें, ग्यारहवें और सत्रहवें वर्ष पर एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (आश्वासित कॅरियर प्रगति, एसीपी) के तहत वेतन, भत्तों मेें बढ़ोत्तरी का फायदा मिलता है। शर्त ये है कि कर्मचारी का यह कार्यकाल संतोषजनक होना चाहिए।

वित्त विभाग ने 19 अगस्त 2009 को इंजीनियरिंग कैडर के अधिकारियों के लिए एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एसीपी) का नया वेतनमान जारी किया था। एसीपी का यह नया वेतनमान 1 सितंबर 2009 से लागू हुआ, यानी नए वेतनमान का लाभ एक सितंबर 2009 के बाद से ही मिलना था न कि उससे पहले।

नगर निगम में कार्यरत रवि शर्मा को सहायक अभियंता के रूप में पहली प्रोन्नति 23 नवंबर 2005 को मिली। हालांकि नगर निगम में उनकी डीम्ड प्रमोशन 25 फरवरी 2000 में हुई थी। डीम्ड प्रमोशन में कर्मचारी को न तो बढ़ा हुआ वेतनभत्ता मिलता है और न ही उसे कोई अन्य कोई सुविधाएं पाने की योग्यता हासिल होती है। यह सुविधा रवि शर्मा को नहीं दी जा सकती थी क्योंकि वह 2005 में ही नियिमत सहायक अभियंता बने थे। नियमाऩुसार उनको पहली एसीपी नवंबर 2010 में मिलनी चाहिए थी। अवर सचिव सूबे सिंह ने रवि शर्मा की दूसरी एसीपी 2011 और तीसरी एसीपी मार्च 2017 को जारी कर दी। नियमानुसार रवि शर्मा को पहली एसीपी नवंबर 2010 दूसरी एसीपी नवंबर 2016 और तीसरी एसीपी नवंबर 2022 में जारी की जानी चाहिए थी।

बताते चलें कि रवि शर्मा अप्रैल 2021 में सेवानिवृत्त हो गए थे इस आधार पर उन्हें तीसरी एसीपी के फायदे भी नहीं मिलने चाहिए थे। स्थानीय निकाय विभाग के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार सूबे सिंह कर्मचारियों को ये सुविधाएं अच्छे होटल में भोजन, महंगी शराब और चंद लाख रुपये सुविधा शुल्क के एवज में उपलब्ध कराता है। जो कर्मचारी ऐसा नहीं करते उनकी फाइल या तो लटका दी जाती है या फिर उन्हें नियमानुसार एक सितंबर 2009 से ही नए एसीपी का लाभ दिया जाता। मुट्ठी गर्म होने पर नियम भी किनारे कर दिए जाते हैं जैसे रवि कुमार शर्मा के मामले में किया गया। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि लाभ लेने वाले कर्मचारी अपने एसीपी संबंधित कागज खुद ही टाइप करा कर लाते हैँ और सूबे सिंह सेवा व सुविधा पाने के बाद उन पर हस्ताक्षर कर मुहर लगा देते हैं। खट्टर बिना खर्ची बिना पर्ची के काम होने के हवाहवाई दावे करते रहे और उनके ही कार्यकाल में नगर निगम मेंं दो सौ करोड़ का घोटाला हो गया। घोटालेबाज अधिकारियों पर जीरो टॉलरेंस वाले खट्टर कोई सख्त कार्रवाई भी नहीं कर सके, यहां तक कि भ्रष्टाचार नगर निगम से लेकर स्थानीय शहरी निकाय विभाग के सचिवालय तक पहुंच गया। नौकरशाही की बैसाखी पर चलने वाले खट्टर में इतनी ताकत नहीं है कि वो भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई कर सकें, बस वो तो बड़े-बड़े जुमले फेक कर छवि चमकाने में जुटे हैँ।

जेल जा चुका है भ्रष्टाचारी रवि शर्मा
रवि शर्मा ने सिर्फ सूबे सिंह को चढ़ावा चढ़ा कर सरकारी खजाने से 22 लाख नकद ही नहीं झटके, सेवानिवृत्त होते ही मंत्री मूलचंद शर्मा की सिफारिश से चार दिन बाद ही नगर निगम में री-अपाइंटमेंट भी पा ली। सेवानिवृत्त होने के कारण जवाबदेही तो रही नहीं इसलिए रवि शर्मा ठेकेदारों से बिल पास कराने के नाम पर बेखौफ होकर रिश्वत मांगने लगा। सामुदायिक भवन निर्माण का भुगतान करने में रवि शर्मा ने ठेकेदार यश मोहन से पचास हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। यश मोहन की शिकायत पर स्टेट विजिलेंस टीम ने रवि शर्मा को ठेकेदार से रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। रवि शर्मा कई महीनों तक जेल में रहा था अपने राजनीतिक आक़ाओं की पैरवी के कारण जेल से बाहर आ सका था। समझने वाली बात यह है कि रवि शर्मा राजनीतिक संरक्षण मुफ्त में तो नहीं ही पा रहा था जाहिर है इसके लिए वह अपने आकाओं को उचित हिस्सा पत्ती भी अवश्य दे रहा होगा।

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