खट्टर का एक और मास्टर स्ट्रोक खेल स्टेडियमों में घुसने पर लगाया टैक्स

खट्टर का एक और मास्टर स्ट्रोक खेल स्टेडियमों में घुसने पर लगाया टैक्स
April 25 09:26 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
जनता को लूटने के लिये मास्टर स्ट्रोक लगाने के लिये जहां देश के पास मोदी है, तो वहीं हरियाणा के पास खट्टर है। सरकारी अय्याशियों में धन की कमी पडऩे लगी तो मुख्यमंत्री खट्टर ने राज्य भर के खेल स्टेडियमों पर अच्छा-खासा एंट्री टैक्स लगा दिया है।

सुबह-शाम इन स्टेडियमों में जो लोग फ्री में घूमने चले आते थे, वो अब नहीं आ पायेंगे। इसके लिये उन्हें 500 रुपये मासिक की दर से पास बनवाना होगा। फ़िलहाल  तो यह टैक्स खेल स्टेडियमों में एंट्री पर ही लगाया गया है, यदि अंधभक्त जनता को यह टैक्स अदा करने में आनंद आने लगेगा तो शीघ्र ही पार्कों व सडक़ों पर सैर करने वालों पर भी इसी तरह का टोल-टैक्स लगाया जा सकेगा। हिसार के कृषि, गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय व करनाल के एनडीआरआई जैसे संस्थानों, जहां पर लोग बड़ी संख्या में घूमने जाते हैं, उन पर भी ऐसा ही टैक्स लगा दिया जायेगा। इस तरह के टैक्स को देश एवं हरियाणा के विकास हेतु अनिवार्य बताया जायेगा।

यह तो बात रही आम लोगों की, खट्टर ने बख्शा खिलाडिय़ों को भी नहीं। जो खिलाड़ी नियमित रूप से खेलों का अभ्यास करने स्टेडियमों में आते हैं, उन्हें भी 100 रुपये मासिक देकर अपना पास बनवाना पड़ेगा। मजे की बात तो यह है कि खिलाडिय़ों पर ऐसा अत्याचार उस खेल मंत्री संदीप सिंह द्वारा कराया जा रहा है जो खुद हॉकी खिलाड़ी होने की बदौलत आज इस पद पर कायम है। विदित है कि आज भी राज्य भर के युवाओं को खेलने, दौडऩे, कूदने आदि के लिये, स्टेडियम तो छोडिय़े, खुले मैदान तक नहीं बचे हैं। फरीदाबाद, गुडग़ाव जैसे शहरों में हजारों युवा प्रति दिन खेलने के लिये भाड़े पर प्राईवेट मैदान लेते हैं। 50 रुपये से 100 रुपये तक प्रति युवा के हिसाब से रकम एकत्रित करके मैदान मालिकों को दी जाती है तो कहीं जाकर खेलना नसीब हो पाता है। देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिये इससे बेहतर कोई नीति खट्टर को समझ नहीं आई।

समझा जाता है कि कुछ बड़े खिलाडिय़ों ने इस बाबत खेल मंत्री से विरोध प्रकट किया तो उन्हें कुछ शर्म आई। उन्होंने तुरन्त नियमित खिलाडिय़ों को इस नये कर से मुक्त कर दिया। लेकिन अब सवाल यह पैदा होता है कि कौन नियमित खिलाड़ी है और कौन अनियमित, इसका फैसला कौन करेगा? बस यहीं से खेल विभाग में भ्रष्टाचार का एक नया अध्याय जुड़ जायेगा। जो खेल विभाग खेलों के प्रति खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिये बना है वह अब पास बेचने की दुकान भी चलाने लगेगा।

समाज में नफरत फैलाने व साम्प्रदायिक हिंसा भडक़ाने वाली फिल्मो  को तो सरकार टैक्स फ्री कर रही है, गीता महोत्सव के नाम पर रशियन लड़कियां नचाने के लिये, दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी जैसे भांड तथा सांसद हेमामालिनी जैसों को नचाने पर खट्टर लाखों करोड़ों लुटा सकते हैं लेकिन युवाओं का खेलना व घूमना खट्टर को रास नहीं आ रहा।

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