फरीदाबाद (म.मो.) गत वर्ष कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब खट्टर सरकार ने मज़दूरों के ईएसआई अस्पताल को कब्जाया था तब ‘मज़दूर मोर्चा’ ने सरकार पर सवाल उठाया था कि वह मोठूका स्थित अपने अटल बिहार वाजपेयी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को क्यों नहीं कोरोना पीडि़तों के लिये इस्तेमाल करती? अगले ही दिन खट्टर साहब ने मीडिया के माध्यम से जवाब दिया कि वे दो दिन में इसे चालू कर देंगे। इतना ही नहीं तीन दिन बाद खट्टर साहब प्रचार की दृष्टि से खुद भी इस मेडिकल कॉलेज में यह कहने को चले आये कि वे इसे तुरन्त चालू कर रहे हैं।
इसके करीब दो सप्ताह पश्चात फौज के कुछ अफसर इसे चलाने के नाम पर यहां आ खड़े हुए। और तो और स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर सहित तमाम स्थानीय भाजपाई विधायक इस अस्पताल के उद्घाटन स्वरूप हवन का पाखंड भी करके चले गए। लेकिन वह अस्पताल आज तक भी चालू नहीं हो सका। इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नाम पर खट्टर सरकार ने 106 नर्सों की भर्ती तो करीब पांच माह पूर्व कर ली थी, लेकिन अस्पताल में उनके लायक कोई काम न होने के चलते उन तमाम नर्सों को बीके अस्पताल में तैनात कर दिया गया। विदित है कि बीके अस्पताल में पहले से ही 100 नर्सों की कमी चल रही थी। मज़े की बात तो यह है कि इन नई भर्ती नर्सों को अभी तक पहला वेतन भी नहीं मिला है।
हर जि़ले में मेडिकल कॉलेज खोलने का ढोल पीटने वाली खट्टर सरकार से यह बना बनाया मेडिकल कॉलेज ही नहीं चल पा रहा। प्राप्त जानकारी के अनुसार नेशनल मेडिकल काऊंसिल ने सरकार को इस सत्र से छात्र भर्ती करने की अनुमति दे दी थी। परन्तु यहां पर न तो फैकल्टी की भर्ती की गई और न ही अस्पताल को चलाया गया, गारंटी अगले साल की भी नहीं है। इसके चलते इस सत्र में यहां पढ़ाई शुरू नहीं हो सकती। जाहिर है इसके परिणामस्वरूप देश के 100 युवा डॉक्टर बनने से वंचित रह जायेंगे।