नई दिल्ली (मज़दूर मोर्चा) ईएसआई कॉरपोरेशन द्वारा देश भर में चलाए जा रहे कुल नौ मेडिकल कॉलेज-अस्पतालों में से फरीदाबाद के संस्थान को सर्वश्रेष्ठ पाए जाने पर इसके डीन डॉ. असीम दास को सम्मानित किया गया। ईएसआई कॉरपोरेशन के 73वें स्थापना दिवस पर 24 फरवरी को विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उन्हेें केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने सम्मानित किया। इस में कॉरपोरशन एवं श्रम मंत्रालय के तमाम उच्चाधिकारियों के अलावा एनसीआर में स्थित ईएसआई अस्पतालों के अनेक डॉक्टर सम्मिलित हुए। डॉ. दास की रहनुमाई में चलाए जा रहे इस संस्थान ने नौ वर्ष के छोटे से कार्यकाल में जो उन्नति की है उसका कोई उदाहरण देखने को नहीं मिलता।
इस अवसर पर श्रम मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने फरीदाबाद के संस्थान में लगी रोबोटिक सर्जरी मशीन का रिमोट द्वारा उद्घाटन भी किया। इस मशीन के द्वारा परमेश्वर नामक मरीज की किडनी की गांठ का ऑपरेशन भी किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक जब पूरी किडनी बेकार हो जाए तो उसे बदलना पड़ता है लेकिन थोड़ी बहुत खराबी होने पर सर्जरी द्वारा एक प्रकार से मरम्मत कर दी जाती है। शल्य चिकित्सा की यह जगह इतनी संकुचित होती है कि साधारण चिकित्सा द्वारा इसे संपन्न कर पाना न केवल कठिन है बल्कि जोखिम भी बहुत ज्यादा रहता है। इसके अलावा इसमें 700-800 एमएल खून भी बह जाता है और मरीज़ को अस्पताल से डिस्चार्ज होने में दस पंद्रह दिन भी लग जाते हैं।
इसके विपरीत रोबोटिक सर्जरी द्वारा मात्र तीस चालीस एमएल ही खून बहता है और मरीज को एक दो दिन में ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दरअसल यह कमाल रोबोटिक मशीन की उन बारीक उंगलियों का है जो किडनी के आसपास के संकुचित स्थानों तक आसानी से पहुंच कर निहायत ही सफाई से काटपीट व स्टिचिंग आदि कर पाती हैं। ज़ाहिर है इससे मरीज़ोंं को तो बेहतरीन सेवा उपलब्ध होती ही है साथ में जल्दी डिस्चार्ज होने से बेड ऑक्यूपेंसी का भार भी घटता है।
ग़ौरतलब बात यह है कि इस मशीन को खऱीदने के लिए गऱीब मज़दूरों से निचोड़े गए पैसे पर कुंडली मारे बैठे ईएसआई कॉरपोरेशन ने एक पैसा भी खर्च नहीं किया। इसके लिए नेशनल पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ने 18.50 करोड़ रुपयों का दान कॉरपोरेशन को दिया। एक लाख पचपन हज़ार करोड़ रुपये पर कुंडली मारे बैठे इस कॉरपोरेशन को जऱा भी शर्म नहीं आई। आखिर मज़दूर से यह पैसा किसलिए वसूला गया है? क्या ईएसआई कॉरपोरेशन को स्वत: इस उपकरण की जरूरत को समझते हुए खुद ब खुद नहीं खरीद लेना चाहिए था? क्या देश के अन्य नौ मेडिकल कॉलेजों में भी इस मशीन को चालू कराने के लिए कॉरपोरेशन कोई क़दम उठाएगा? नहीं, बिलकुल नहीं। क्योंकि कॉरपोरेशन का एकमात्र लक्ष्य तो धन संग्रह ही है।
इसके अलावा दूसरी बड़ी समस्या यह भी है कि सभी मेडिकल कॉलेजों में ऐसे उपकरणों के संचालन एवं देखभाल की व्यवस्था भी नहीं है। उदाहरणार्थ यदि यही मशीन कॉरपोरेशन की नाक के नीचे बसई दारापुर वाले मेडिकल कॉलेज में लगा दी जाए तो साल छह महीने में ही उसका कबाड़ा बना दिया जाएगा क्योंकि वहां काम करने का कोई माहौल ही नहीं छोड़ा गया है, वहां से केवल मरीज़ों को दाएं बाएं भटकाने का ही सिलसिला चलता है जिसके चलते हज़ार बेड की क्षमता वाले अस्पताल में कभी भी 300 से अधिक मरीज़ दाखिल नहीं रहते। संदर्भवश, आंख के ऑपरेशन के लिए जरूरी फेको मशीन फरीदाबाद संस्थान में अक्सर खराब रहती है और कॉरपोरेशन ने आज तक इसके रिप्लेसमेंट करने की ज़रूरत नहीं समझी। बीते करीब दो साल से दो फेको मशीनों की टेक्निकल बिड भी पूरी हो चुकी हैं लेकिन आज तक इसकी खरीद नहीं की गई है क्योंकि मज़दूर से वसूला गया पैसा तो केवल खज़ाना भरने के लिए समझा जाता है। मशीन खराब होने के कारण परंपरागत तरीके से नश्तर से चीरा लगाकर आंख का ऑपरेशन किया जा रहा है। इसके अलावा भी अनकों उपकरणों की मांग इस संस्थान द्वारा की जा रही है जिस पर मुख्यालय मौन साधे बैठा है।
जानकारों की मानें कजाँच अधिकारी सुखवीर सिंह ने बताया कि विपिन मित्तल की जमानत याचिका करनाल से रद्द हो चुकी है इसकी तालाश में पुलिस कई बार उसके घर पर दबिश दे चुकी है लेकिन वो अपने आवासीय पते से नदारद मिला। पुलिस के मुताबिक़ उपरोक्त प्तआपराधिक घोटाला प्रकरण में विपिन मित्तल पुष्ट वांछित आरोपी है। उसकी प्तगिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा सक्रियता पूर्ण कार्यवाही की जा रही है। इस मुकदमे में विपिन मित्तल के साथ साथ उसके परिजन जीजा मनीष कुमार भी नामजद हैंजाँच अधिकारी सुखवीर सिंह ने बताया कि विपिन मित्तल की जमानत याचिका करनाल से रद्द हो चुकी है इसकी तालाश में पुलिस कई बार उसके घर पर दबिश दे चुकी है लेकिन वो अपने आवासीय पते से नदारद मिला। पुलिस के मुताबिक़ उपरोक्त प्तआपराधिक घोटाला प्रकरण में विपिन मित्तल पुष्ट वांछित आरोपी है। उसकी प्तगिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा सक्रियता पूर्ण कार्यवाही की जा रही है। इस मुकदमे में विपिन मित्तल के साथ साथ उसके परिजन जीजा मनीष कुमार भी नामजद हैं मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कंपनी से बातचीत कर मशीन खरीद के साथ ही अन्य अनेक सुविधाएं उसी कीमत में निशुल्क हासिल कर लीं।
एग्रीमेंट के अनुसार आगामी दस वर्ष में भी यदि मशीन में कोई अपग्रेडेशन होगी तो उसे भी कंपनी बिना शुल्क के उपलब्ध कराएगी। साथ ही मशीन में इस्तेमाल होने वाले कंज्यूमेबल्स भी पचास के बजाय तीन सौ मरीजोंं की सर्जरी के लिए कंपनी उपलब्ध कराएगी। संदर्भवश, मशीन में जो अपगे्रडेशन होता है उसकी लागत नई मशीन की कीमत के लगभग बराबर होती है। समझौते की शर्तों के अनुसार कंपनी के विशेषज्ञ यहां के शल्य चिकित्सकों के साथ लग कर उन्हें ट्रेंड करने में जुटे हैं।