फरीदाबाद (म.मो.) गबन व भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में आरोपित डीईओ मुनीष चौधरी को जि़ला उपायुक्त विक्रम यादव ने 20 सितम्बर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उपायुक्त द्वारा मांगी गई सूचना एवं नोटिस का जवाब तुरंत देने की बजाय मुनीष ने छुट्टी पर जाकर अपना बचाव करना बेहतर समझा।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार उपायुक्त ने डीईओ मुनीष से 12 सितम्बर को उन स्कूलों की जानकारी मांगी थी, जिनकी इमारतों को तोडऩा था। इसके लिये उन्होंने 19 सितम्बर तक यानी एक सप्ताह का समय दिया था। किसी भी जिला शिक्षा अधिकारी के लिये इस छोटी सी जानकारी को प्राप्त करने के लिये सात दिन का समय जरूरत से कहीं अधिक है। एक दक्ष एवं कुशल डीईओ को तो यह जानकारी सवत: हर समय ही रखनी चाहिये और किसी उच्चाधिकारी द्वारा मांगे जाने पर हाथों हाथ तुरंत पेश कर देनी चाहिये।
लेकिन नालायक एवं फिसड्डी मुनीष यह जानकारी एक सप्ताह में भी उपायुक्त को न दे पाई। पूछे जाने पर जवाब देती है कि एक अन्य मातहत अधिकारी आनंद सिंह ने उसे पूरी सूची बना कर नहीं दी। क्या वाहियात जवाब है! यदि मातहत कर्मचारी ने ही काम करके देना है और उपायुक्त ने ऐसे लोगों से ही उलझना है तो डीईओ के पद पर डेढ लाख मासिक की मुनीष चौधरी को पाल कर रखने की क्या जरूरत है? उपायुक्त ने अपने नोटिस में यह भी लिखा है कि अक्सर देखा गया है वे बैठकों में सदैव आधी-अधूरी रिर्पोटों के साथ आती हैं, जिससे आपकी गंभीर लापरवाही प्रतीत होती है। अंत में लिखा गया है कि वे आज ही यानी 20 सितम्बर को नोटिस का जवाब दें अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। जाहिर है जिसने कभी काम किया ही न हो और काम करना भी नहीं आता हो तो उसने तुर्त-फुर्त उपायुक्त के नोटिस का क्या जवाब देना था? ऐसे में छुट्टी पर चले जाना ही मुनीष ने अधिक बेहतर समझा। लेकिन, कहावत है कि ‘बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी?’
आखिर छुट्टियों पर जाने से तो नौकरी पूरी होने वाली नहीं है। जानकार बताते हैं कि पूर्व उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने मुनीष को धमकाते हुए यहां तक कह दिया था कि वह तो चपरासी के लायक भी नहीं हैं और बनी बैठी हैं डीईओ। उसी समय उन्होंने इसकी रूल 7 के तहत जांच कराने की बात भी कही थी। ‘मज़दूर मोर्चा’ पहले भी लिख चुका है कि मुख्यालय में बैठे कुछ टुक्कडख़ोर अधिकारी तथा स्थानीय एडीसी हर उस अधिकारी को धमका देते थे जो मुनीष को दफ्तर आने व काम करने को कहता। अब मामला फंस गया उपायुक्त के साथ, देखते हैं कि मुनीष के पैरोकार इसे कैसे निपटाते हें?