बेच दिया है जिन लोगों ने….. डॉ. रामवीर बेच दिया है जिन लोगों ने सस्ते में ईमान, राजनीति की खोले बैठे वे ही आज दुकान।
पांच साल में कैसे बन गए इतने बड़े मकान, यूं तो जनता जान जाती है यह सब कानो कान।
हिन्दू को समझाया जाता नीच है मुसलमान, मुसलमान पहले ही कहता हिन्दू को बेईमान।
हर चुनाव में जमा घटा और गुणा भाग यूं करते, बाई हुक या बाई क्रुक धूर्त ही जीता करते।
अब तो लगता प्रजातन्त्र का है भविष्य ही धूमिल, किस को दोषी मानें इस में सारे दल ही शामिल।
हम तो पहले भी रोते थे अब भी रो ही रहे, कोई तो सुनने वाला हो किस से दुखड़ा कहें।
कवि के मन में अभी तलक भी जीवित आशावाद, वाद विवाद जब थम जाएगा तब होगा संवाद।