-डॉ. रामवीर
अन्धभक्तों से हुई हमारी जब जब भी मुलाकात, जो सब में इक जैसे पाए वे हैं लक्षण सात।
पहला लक्षण आत्मश्रेष्ठता सुपीरियरिटि कम्प्लेक्स, यह बीमारी ठीक न होती होती रहती रिलेप्स।
दूजा लक्षण उनके सिवा सब हैं उल्लू के पट्ठे यही मान कर अन्धभक्त सब हो जाते हैं इकट्ठे।
अफवाहें हैं अन्धभक्तों का रुचिकर स्टैपल फूड, अफवाहें न फैलाएं तो बिगड जाता है मूड।
इन्हें सचाई सूट न करती झूठ है इनका टॉनिक, इनके पीएम हों या सीएम झूठ बोलते दैनिक।
सच से दूरी झूठ से प्रेम है असाध्य बीमारी, अन्धभक्ति में चढ़ी रहती है एक तरह की खुमारी।
चौथी खासियत है इनकी ये अक्ल न करते यूज, इनसे बात करो तो इनका उड़ जाता है फ्यूज।
इनमें कोई पढा लिखा हो या हो निपट निरक्षर, इक जैसा ही देते हैं ये हर सवाल का उत्तर।
यूं तो हमने आसानी से कभी न मानी हार, लेकिन दुर्जनतोषन्याय से इनसे हार स्वीकार।
श्वेत श्याम शीतोष्ण दु:ख सुख एवं भला बुरा, सच है द्वन्द्वात्मकता से ही यह संसार भरा।
इनकी दुनिया भी द्वन्द्वात्मक हिन्दू मुस्लिम वाली, ये दो शब्द नहीं हों तो फिर इनकी दुनिया खाली।