फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम में चीफ इंजीनियर के रसूखदार पद पर बैठा बीके कर्दम अपने सजातीय भाई भ्रष्ट एक्सईएन ओपी कर्दम को मोटी कमाई वाले पद दिलाने से लेकर उसे घपले घोटालों से साफ निकालने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उसके रसूख के कारण ओपी कर्दम को नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी, बंधवाड़ी प्लांट और स्टेशनरी इंचार्ज जैसे कमाई के पदों के साथ बल्लभगढ़ नगर निगम प्रभारी सहित पांच पदों से नवाजा गया है। आला अधिकारियों की शह पर उसने सोलर लाइट घोटाले में भी ओपी कर्दम को क्लीनचिट थमा दी। भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में माहिर बीके कर्दम की इस चाल की निगम कर्मचारियों में खूब चर्चाएं हैं।
नगर निगम सूत्रों के अनुसार जीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री का खास राजेश खुल्लर जो रिटायरमेेंट के बाद भी मुख्यमंत्री का प्रधान मुख्य सचिव बना बैठा है, का चहेता ठेकेदार राजपाल ही नगर निगम क्षेत्राधिकार में कहीं भी सोलर लाइटें लगाता है। बडख़ल जोन का इंचार्ज रहने के दौरान एक्सईएन ओपी कर्दम ने मंदिर और धार्मिक स्थलों के पास सोलर लाइटें लगाने का टेंडर जारी किया था। करीब बत्तीस लाख रुपये का यह टेंडर खुल्लर के खास राजपाल ने लपक लिया था। सोलर लाइटें तो लगीं लेकिन ठेकेदार ने बिल 32 लाख रुपये से बढ़ा कर 56 लाख रुपये कर दिया।
ओपी कर्दम एक्सईएन रहता तो बिल पास भी हो जाता लेकिन उसका तबादला बल्लभगढ़ नगर निगम में कर दिया गया, उनकी जगह खुद को मंत्री गूजर का बेटा बताने वाले ओमदत्त को बडख़ल का इंचार्ज बना दिया गया। 32 लाख की जगह 56 लाख रुपये का बिल ऑडिट में पकड़ा गया। कमीशनखोरी के आदी ऑडिट वाले इस बात पर तैयार हो गए कि बिल पर एक्सईएन ओमदत्त के हस्ताक्षर हो जाएं तो भुगतान करा देंगे। ठेकेदार ओमदत्त के पास पहुंचा तो कुछ कमाई न होते देख उसने यह कहते हुए ठेकदार को मना कर दिया कि यह काम उसके कार्यकाल का नहीं है, ओपी कर्दम से हस्ताक्षर करा लो। ओपी कर्दम ने बडख़ल का प्रभार छिन जाने के कारण हस्ताक्षर करने में असमर्थता जताई।
ठेकेदार ने हस्ताक्षर करने के लिए ओमदत्त को खुल्लर से फोन करवा दिया। बताया जा रहा है कि गूजर का बेटा भी कहां पीछे हटने वाला था उसने इसकी शिकायत पहले निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास से और फिर तत्कालीन ‘ईमानदार’ मुख्यमंत्री खट्टर से कर दी, शिकायत में स्पष्ट आरोप लगाया कि जो सोलर लाइटें पंद्रह हजार रुपये में आ सकती हैं उसके लिए करीब तीस हजार रुपये लगाए गए और जांच कराने की मांग की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इधर, खुल्लर निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास को बार-बार फोन कर चहेते राजपाल का भुगतान किसी भी तरह कराने का दबाव बना रहे थे, लेकिन ओमदत्त फांस बन कर अटक रहा था। ओमदत्त को शांत करने के लिए निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने चीफ इंजीनियर बीके कर्दम से मामले की जांच करा दी।
मामला सजातीय भाई का तो था ही, आला अधिकारियों को भी खुश करना था तो बीके कर्दम ने एक दिन में ही जांच कर ओके की रिपोर्ट भी पेश कर दी। रिपोर्ट में बताया गया था कि सोलर लाइटें बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली लगाई गई हैं इसलिए उनकी कीमत ज्यादा थी, इस रिपोर्ट में वो ये छिपा गए कि कथित बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली सोलर लाइटें बाजार में जिस रेट पर मिल रही हैं उससे कहीं अधिक दाम लगाए गए हैं, यह भी छिपा लिया गया कि टेंडर में सोलर लाइट का प्रकार, गुणवत्ता और मानक पहले से ही निर्धारित थे तो फिर ठेकेदार ने बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली महंगी सोलर लाइटें क्यों लगाईं। जांच रिपोर्ट के आधार पर खुल्लर के चहेते ठेकेदार को 56 लाख रुपयों का भुगतान कर दिया गया। राजेश खुल्लर ऐसे ही नहीं सेवानिवृत्त होने के बाद मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव बन कर बैठा है, इसके लिए भ्रष्टाचार का लंबा अनुभव काम आया। बताया जाता है कि नगर निगम फरीदाबाद में भ्रष्टाचार का शुभारंभ भी खुल्लर ने बतौर निगमायुक्त रहते हुए किया था। उसने न केवल अयोग्य लोगों की नगर निगम में भर्ती की बल्कि पार्कों में झूले, कॅनोपी, लोहे की बेंच, पेड़ पौधों का रखरखाव आदि काम अपने चहेेते ठेकेदारों को दिलाए। राजपाल को भुगतान कराने के लिए निगम अधिकारियों को फोन करने में ही उसका नाम नहीं आया है, एक और बदनाम ठेकेदार सतबीरा का भुगतान कराने के लिए भी वह निगम अधिकारियों को फोन करता था। नगर निगम के दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले में भी राजेश खुल्लर का नाम आया था, लेकिन जांच ही लटका दी गई। खुल्लर की करीबी मोना ए श्रीनिवास के भी हौसले बुलंद हैं और वह भी उनके नक्शे कदम पर चलती नजर आ रही हैं।
निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास के विश्वासपात्रों में शामिल चीफ इंजीनियर बीके कर्दम का भ्रष्टाचार पर परदा डालने का यह कारनामा पहला नहीं है। वर्ष 2018 में सेक्टर 21 डी में ट्यूबवेल लगाने के नाम पर लाखों रुपये की बंदरबांट की गई थी। इंदिरा एन्कलेव निवासी सेठी नामक व्यक्ति की शिकायत पर आठ निगम कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, इस मामले में भी बीके कर्दम का नाम आया था। अपने पद का फायदा उठाते हुए ही उन्होंने भाई ओपी कर्दम को एक दो नहीं पूरे पांच पद दिलवा दिए हैं मानो नगर निगम में कोई दूसरा एक्सईएन बचा नहीं हैं या उससे काबिल नहीं है।