कंटैम्प्ट ऑव कोर्ट

कंटैम्प्ट ऑव कोर्ट
May 19 07:44 2024

डा. रामवीर

तुमने बनाया है नियम
नहीं कर सकते
तुम्हें अपमानित हम
पर कभी कभी
तुम अपना अपमान
करवाते हो स्वयं
जब तुम्हारा यह वकील दोस्त
जो तुम्हारे जज बनाने से पहले
तुम्हारा हम प्याला था
निभाता है अब भी दस्तूरे दोस्ती
उसी ने दिया है संकेत
कि कैसे और किसने में
तुम कर सकते हो
मेरा अभिप्रेत
तुम ठहरे न्याय के अधीश
अपने कार्यस्थल को
कहते हो न्याय का मन्दिर
यह जानते हुए भी कि क्या होता है इस के अन्दर
बने रहते हो बापू का बन्दर
और मैं बोलूं तो
डराते हो
कर देंगे अन्दर
शायद तुम्हारा टेंपर है शॉर्ट
झट चिल्ला उठते हो
कंटैम्प्ट ऑव कोर्ट
कंटेम्प्ट ऑव कोर्ट
पता नहीं क्या होता है
लॉ ऑव टॉर्ट
और कंटेम्प्ट ऑव कोर्ट
हां इतना पता है
कि तुम ने दे दे कर
तारीख पर तारीख
मुझे कर दिया है मजबूर
मांगने को भीख
मेरे अधिकार का हनन।
सम्मान से जीने का
सस्ता और शीघ्र न्याय पाने का
हर नागरिक का है अधिकार
न्यायालय हो या सरकार
जो भी करे इस का तिरस्कार
वह है मक्कार
धिक्कार है
उसे धिक्कार।

जो बेच कर अपना जमीर
बनना चाहता है अमीर
वे कृपा कर छोड़ जाएं
न्याय का धंधा
एक तो कानून
पहले ही है अंधा
और उस पर भ्रष्ट जजों और वकीलों का
खेल यह गंदा
बन कर रह गया है

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