फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) पुलिस बूथों पर अवैध रूप से लगाए गए विज्ञापन के बैनर पोस्टर उतार कर पुलिस अधिकारियों की ऊपरी कमाई खत्म करने वाले नगर निगम के जेई आशीष का मंगलवार को पुलिस ने 15 हजार रुपये का चालान काट दिया। बदले की भावना से की गई कार्रवाई से नाराज आशीष ने बीके चौक पर ही धरना दे दिया। चालान की रसीद थमाने के बाद अधिकारियों ने उसे आश्वासन देकर चलता कर दिया कि ट्रैफिक थाने आकर एक प्रार्थनापत्र दे देना जो भी गुंजाइश होगी कर दी जाएगी।
एचकेआरएन से नगर निगम में जेई भर्ती हुए आशीष कुमार शर्मा खुद को भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा का रिश्तेदार बताते हैं। निगम सचिव जयदीप ने छह महीने पहले शहर से अवैध विज्ञापनों को हटाने का आदेश दिया था। उसमें पुलिस बूथ, थाने चौकी पर लगाए गए निजी संस्थानों के विज्ञापन भी हटाए जाने थे। बताया जाता है कि संस्थान वाले अपने विज्ञापन लगे रहने के लिए पुलिस अधिकारियों को हर महीने एक निश्चित रकम भेंट करते थे। इससे नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा था। पुलिस बूथ, चौकी-थानों से यह विज्ञापन जेई आशीष ने ही उतारे थे। मंगलवार को आशीष दोपहर बाद अपनी कार नगर निगम ऑडिटोरियम की पार्किंग से लेकर निगम मुख्यालय आ रहे थे। बीके चौक पर यातायात पुलिस ने उन्हें रोक लिया। यातायात पुलिस का दावा है कि आशीष अपनी कार में प्रतिबंधित प्रेशर हॉर्न बजा रहे थे, जब उनसे रोक कर पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना लाइसेंस दिखाने से मना कर दिया और अपने पद व रसूख का रौब दिखाया। प्रेशर हॉर्न और लाइसेंस नहीं दिखाने के जुर्म में उनका चालान काट दिया गया। इधर आशीष शर्मा ने मीडिया के सामने अपनी कार का हॉर्न बजाकर दिखाया कि वह साधारण है न कि प्रेशर हॉर्न, उन्होंने यातायात पुलिस को कार में प्रेशर हॉर्न चेक करने को भी कहा। बताया कि लाइसेंस मांगे जाने पर उन्होंने मोबाइल पर अपने सारे डाक्यूमेंट दिखाए, बावजूद इसके उनका चालान काट दिया गया।
उन्होंने पूछा कि किन कमियों का चालान काटा गया है तो पुलिस वालों ने उनसे कहा कि ऑनलाइन आ जाएगा उसमें देख लेना। पंद्रह हज़ार का चालान होने पर उन्होंने बीके चौक पर ही धरना देना शुरू कर दिया और सहकर्मियों को सूचना दी। हालांकि उनकी मदद के लिए कोई दूसरा सहकर्मी नहीं आया लेकिन निगम के अन्य कर्मचारी जुट गए भीड़ बढ़ती देख पुलिसकर्मियों ने ट्रैफिक थाना एसएचओ विनोद को इसकी सूचना दी। उन्होंने मातहत को मौके पर भेज कर मामला सुलटाने को कहा। जेई ने आरोप लगाया कि जबसे उसने पुलिस बूथ आदि से विज्ञापन उतारे हैं पुलिस ने उसे अपनी निगाह में चढ़ा लिया है, यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी कम से कम पंद्रह बार पुलिस उन्हें रोक कर परेशान कर चुकी है। खुद को निर्दोष बता रहा जेई आशीष भी कम नहीं है, निगम के अधिकारियों के अनुसार अपनी भ्रष्ट कार्यशैली के कारण उसके खिलाफ दो बार निलंबन हो चुका है दोनों ही बार उनकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया भी शुरू हुई लेकिन भाजपाई गोपाल शर्मा का वरद्हस्त होने के कारण हर बार उसे बहाल करना पड़ा। कहने को तो आशीष जेई है लेकिन सत्ता का रौब होने के कारण वह अधिकारियों की भी अनसुनी कर देता है। रसूख के कारण ही उसे नगर निगम में आईटी विभाग में तैनात किया गया है जहां वो मनमर्जी से आता जाता है। विज्ञापन विभाग में रहकर भी उसने मोटी मलाई काटी है। यातायात पुलिस के भ्रष्टाचार के बारे में तो सब जानते ही हैं, चालान की रकम हड़पने वाले ईएसआई रतन सिंह और उसके जैसे भ्रष्ट पुलिसकर्मी रेहड़ी पटरी वालों के एटीएम में चालान की रकम डाल कर हड़पने का हुनर रखते हैं तो बड़े अधिकारी भी दो पहिया, चार पहिया से लेकर स्कूल बस, ट्रक टॉलर जैसे भारी वाहनों तक से वसूली करने में पीछे नहीं रहते।