फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सफाईकर्मी होने के बावजूद निगम आयुक्तों का अघोषित पीए बन कर जेई, ठेकेदारों से वसूली करने वाले प्रेमचंद को नई निगमायुक्त ने अपने कार्यालय से तो हटा दिया लेकिन उसके असली पद पर भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं। रसूखदार प्रेमचंद को अब ईओ ब्रांच भेज दिया गया है लेकिन वहां भी वह चपरासी बन कर नहीं बल्कि अधिकारियों की तरह ठाठबाट से घूम रहा है। हटाए जाने के बावजूद वह निगमायुक्त कार्यालय के इर्द गिर्द ही नजर आता है।
नगर निगम में सफाई कर्मचारी पद पर भर्ती हुए प्रेमचंद को नियम विरुद्ध पद संज्ञा बदल कर लाइब्रेरी अनुचर यानी चपरासी बनाया गया था। पूर्व मंत्री पंडित शिवचरण लाल शर्मा और उनके विधायक बेेटे नीरज शर्मा के करीबी प्रेमचंद का पद तो चपरासी का रहा लेकिन उसकी हैसियत किसी भी निगमायुक्त के पीए की ही रही यानी उसने कभी अपने पद पर काम नहीं किया।
निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर लिपिक पद पर पदोन्नति देने की स्कीम आई थी। इसमें शर्त यह थी कि इन कर्मचारियों को पंचकूला स्थित हारट्रोन मुख्यालय में जाकर राज्य पात्रता कंप्यूटर परीक्षा (एससीईटी) उत्तीर्ण करनी होगी। प्रेमचंद को भी इस स्कीम के तहत पदोन्नत तो कर दिया गया लेकिन उसने एससीईटी परीक्षा नहीं दी। उसकी देखादेखी पदोन्नति पाए अधिकतर लोगों ने भी यह परीक्षा नहीं दी। निगम के मेहरबान अधिकारियों ने भी बिना परीक्षा उत्तीर्ण किए ही इन लोगों का वेतनमान पद के आधार पर बढ़ा कर जारी भी करा दिया, जिसका लाभ ये पदोन्नत कर्मचारी आज तक उठा रहे हैं।
नियम कानून ताक पर रख कर सफाई कर्मचारी से लाइब्रेरी चपरासी और फिर लिपिक तक के पद हासिल करने वाले इस रसूखदार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का अधिकारियों से लेकर निगमायुक्त तक इतना जलवा है कि उसे एक्सईएन स्तर के अधिकारी को अलॉट किया जाने वाला बंग्लॉ दे दिया गया। वर्तमान में वह हार्ड वेयर चौक स्थित एक्सईएन के बंग्ले में शान से रह रहा है।
मज़दूर मोर्चा ने 6-12 अगस्त अंक में उसका कच्चा चिट्ठा प्रकाशित किया तो नई निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने उसे निगमायुक्त कार्यालय से हटा कर एस्टेब्लिशमेंट (ईओ) ब्रांच भेज दिया। बावजूद इसके प्रेमचंद निगमायुक्त और उनके कार्यालय के आसपास मंडराता दिख जाता है। ईओ ब्रांच के अधिकारी उससे कोई काम कराने की हिम्मत नहीं कर पाते, यही कारण है कि निगम के कमाई वाले विभागों में कर्मचारियों के साथ बैठकर दिन भर लूट कमाई की तरकीबें भिड़ाता रहता है। निगम के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक निगमायुक्त कार्यालय से हटाए जाने के बावजूद उसका दखल हर काम में अभी भी जारी है। निगमायुक्त यदि ईमानदारी से काम करना चाहती हैं तो उन्हें चाहिए कि सबसे पहले प्रेमचंद से अधिकारियों वाला बंग्ला खाली कराए और फिर सभी पदोन्नत कर्मचारियों से राज्य कंप्यूटर पात्रता परीक्षा दिलवाएं और अनुत्तीर्ण होने वाले कर्मचारियों को उनके मूल पद पर भेजें।