कचरा निस्तारण में अक्षम निगम के अधिकारियों को कूड़ा बटोरने के लाइसेंस में भी चाहिए पैसे

कचरा निस्तारण में अक्षम निगम के अधिकारियों को कूड़ा बटोरने के लाइसेंस में भी चाहिए पैसे
April 07 16:24 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम के एमओएच नितीश परवाल को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने बीते 29 मार्च को तीन लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ़्तार किया था। वह बसेलवा निवासी हरिओम से बल्क वेस्ट जेनरेटर संस्थानों से कूडा उठाने के लिए लाइसेंस जारी करने की एवज में धन मांग रहा था। उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। जो कूड़ा नगर निगम के लिए समस्या बना हुआ है उसी का निस्तारण करने वालों के लिए लाइसेंस जारी किया जा रहा है और भ्रष्ट अधिकारियों को लाइसेंस जारी करने के भी पैसे चाहिए। होटल वाले अपनी मर्जी से किसी को कचरा दें और वह इसका सदुपयोग पशु चारे के रूप में या खाद बनाने में करे इसके लिए भी निगम के लाइसेंस का क्या औचित्य है।
शहर में रोजाना अनेकों होटल, कैंटीन, कैटरिंग सर्विस, फूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों आदि से जूठन, जैविक कचरा आदि निकलता है, लेकिन इसका लगे हाथ निस्तारण भी हो जाता है। जूठन पशु पालक ख्ररीद ले जाते हैं जबकि अन्य जैविक कचरा नगर निगम के वेंडर ले जाते हैं, जिससे जैविक खाद आदि बनाई जाती है। नगर निगम के अधिकारी खुद तो कचरे का प्रबंधन करने में अक्षम हैं और जो संस्थाएं ऐसा करती हैं उन्हें सहयोग भी नहीं करते। सेक्टर 13 स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इसका ज्वलंत उदाहरण है। संस्थान ने पांच टन गीले कचरे से बायोगैस बनाने का प्लांट लगा रखा है। इंडियन ऑयल ने यह प्लांट नगर निगम के लिए लगाया था, लेकिन निगम के नालायक अधिकारी चलाना तो दूर उसके लिए कभी गीला कचरा भी नहीं मुहैया करा सके जबकि शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं।

दरअसल, निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को हर काम का पैसा चाहिए, इंडियन ऑयल को गीला कचरा देने में कोई फायदा नहीं दिखने के कारण ही उसे सहयोग नहीं किया जा रहा। इसके विपरीत कचरे से जैविक खाद बनाने वालों को लाइसेंस जारी कर कमाई की जा रही है। इस तरह के चार वेंडर तो काफी समय से काम कर रहे हैं, बसेलवा निवासी हरिओम भी इस लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहा था जिसे जारी करने के अधिकृत नहीं होने के बावजूद एमओएच डॉ. नितीश परवाल उससे दस लाख रुपये मांग रहा था। काफी बातचीत के बाद बात तीन लाख रुपये पर तय हुई थी।

ईकोग्रीन कंपनी का एग्रीमेंट समाप्त होने के बाद शहर में कूड़ा प्रबंधन की समस्या और बढ़ गई है। बंधवाड़ी में भी प्रतिबंध होने के कारण घर घर से निकलने वाला कचरा वहां नहीं भेजा जा रहा, इस कूड़े को प्रतापगढ़, सहित पाली में निजी जमीनों पर खपाया जा रहा है। इस कचरे में काफी बड़ा हिस्सा रिसायक्लिंग के जरिए जैविक खाद, प्लास्टिक दाना, गत्ता, पैकिंग मटीरियल आदि के लिए कच्चे माल के रूप में अलग किया जा सकता है। धातु, शीशा, जैसी कीमती चीजें ही अलग कर बाकी अपशिष्ट ऐसे ही डंप किया जा रहा है। यदि इस कचरे का ढंग से निस्तारण हो तो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को प्रतिदिन पांच टन से कहीं अधिक गीला कचरा मिल जाए लेकिन इसमें मेहनत होती है। निगम के निकम्मे अधिकारियों को तो बिना मेहनत के ही मोटा रुपया कमाना है सो लाइसेंस जारी कर मोटी फीस और रिश्वत वसूली का धंधा चल रहा है।

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Mazdoor Morcha
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