फरीदाबाद (म.मो.) पूरे शहर यहां तक कि पॉश सेक्टरों में सीवर का गंदा पानी उफन-उफन कर सडक़ों पर फैल रहा है। फरीदाबाद नगर निगम अब रोना रो रहा है कि यूपी सरकार से उन्हें मिर्जा पुर एसटीपी के लिये एनओसी नहीं दे रही है। एसटीपी तक ले जाने वाली सीवेज पाइप लाइन यूपी सरकार की आगरा नहर से होकर गुजरती है। इसके लिये एनओसी लेने के लिये एमसीएफ ने दो साल पूर्व यूपी सरकार को पांच करोड़ रुपये देकर इसे प्राप्त भी कर लिया था, लेकिन काम शुरू नहीं किया क्योंकि काम करने की तो इनकी नीयत होती नहीं है।
अब यों ही एमसीएफ की नींद खुली और काम शुरू करने का नाटक करने लगे तो यूपी सरकार ने दोबारा एनओसी लेने के लिये कह दिया क्योंकि पुराने एनओसी की मियाद दो साल की थी। इस देश में नगर निगम के हरामखोर एवं रिश्वतखोर अफसरों से कोई यह पूछने वाला नहीं है कि एनओसी मिलने के बाद उन्होंने काम को पूरा क्यों नहीं किया, दो साल तक वे क्या करते रहे?
नगर निगम की ओर से अब कहा जा रहा है कि उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है और यूपी सरकार से अपने पांच करोड़ वापस मांगेंगे। मागने में क्या हर्ज है हर्जे-खर्चे सहित पांच के दस करोड़ भी मांग लें तो क्या हर्ज है? वे कौन सा इन्हें कुछ दिये बैठे हैं। सवाल ये पैदा होता है कि इसी आगरा नहर पर बीते कुछ वर्षों में जब दसियों नये पुल बन सकते हैं तो इनकी सीवेज पाइप लाइन गुजरने में क्या आफत आ रही थी? आफत तो केवल इन हरामखोरों को काम करने में आती है। इतना ही नहीं नगर निगम की कम से कम 6 बड़ी पाइप लाइनें इस नहर को पार कर रही हैं। यदि काम करने की नीयत होती तो उन्हीं पाइप लाइनों के सहारे से काम किया जा सकता था, परन्तु काम तो करना नहीं।
निगम वाले बताते हैं कि उनका उक्त एसटीपी अब पूरी तरह से तैयार है, केवल सीवेज पाइप लाइन से इसे जोडऩा है। दर असल इन्हें करना-धरना कुछ नहीं है, अगले दो-चार साल में जब तक पाइप लाइन आयेगी तब तक एसटीपी की मियाद पूरी हो चुकी होगी। यानी कि प्लांट निर्माता कम्पनी झट से कह देगी कि उसके प्लांट को तो चलना ही इतने समय तक था, आपने नहीं चलाया तो वह क्या करे? पाइप लाइन में देरी करने के पीछे भी यही करण समझा जा रहा है। जाहिर है इसके बाद या तो नया प्लांट लगेगा अथवा उसके मुरम्मत के मोटे-मोटे टेंडर छुटेंगे।
कुल मिला कर जब तक यह लुटेरी व्यवस्था रहेगी तब तक जनता का पैसा लुटता रहेगा और सीवेज़ गलियों में सड़ता रहेगा।