आयुष्मान नाटक का मंचन 21 नवम्बर से शुरू फरीदाबाद (म.मो.) जनता को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने में पूरी तरह से असफल भाजपा सरकार जनता को बेवकूफ बनाने के लिये जो तरह-तरह के नाटक खेल रही है, उन्हीं में से एक है ‘आयुष्मान भारत’। इसी श्रृंखला में स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर ने ‘चिरायु’ शीर्षक से भी एक योजना की घोषणा कर डाली।
सन 2019 के चुनावों से एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आयुष्मान भारत’ का आविष्कार करके देश की 50 करोड़ जनता को चिकित्सा सेवायें उपलब्ध कराने का डंका पीटा था। शुरू से ही फ्लॉप शो दिखने वाली यह योजना पूरी तरह से फलॉप भी हो गई। चार साल तक मोदीजी मुंह ढक कर सोये रहे। अब 2024 के चुनाव निकट आते देख कर उन्हें फिर से ‘आयुष्मान भारत’ नजर आने लगा है।
मोदी सरकार ने इस योजना का लाभ उठाने वालों की आय सीमा जहां 1 लाख 20 हजार वार्षिक रखी है वहीं खट्टर सरकार ने इसे 1 लाख 80 हजार तक कर दिया है। ऐसा इसलिये करना पड़ा कि पुरानी शर्त के दायरे में आने वालों की संख्या बहुत ही कम रह गई है। नई आय सीमा की पालना भी सख्ती से नहीं कराई जा रही। मक्सद केवल इतना है कि भाजपा कार्यकर्ता इस फर्जी योजना के तहत ‘लाभान्वित’ होने वालों का एक अच्छा-खासा समूह अपने इर्द-गिर्द बना लें जिन्हें चुनाव के वक्त हांक कर मतदान केन्दों तक लाया जा सके।
जनता के प्रति इस सडयंत्र के तहत 21 नवम्बर को बीके अस्पताल में जि़ला प्रशासन की ओर से ‘आयुष्मान कार्ड’ वितरण समारोह आयोजित किया गया। इसमें जिले के तमाम उच्च प्रशासनिक तथा चिकित्सा अधिकारी तो शामिल थे ही, स्थानीय विधायक व मंत्री भी अपनी-अपनी कलाकारी दिखाने आ पहुंचे। गोदी मीडिया की सहायता से बहला-फुसलाकर लाई गई जनता को बताया गया कि इस कार्ड के द्वारा उनको मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान की जायेगी। बहकावे के चलते उमड़ी भीड़ में से करीब आधे लोग ऐसे थे जिनके नाम कार्ड पाने वालों की सूची में नहीं थे। वे इधर से उधर तमाम छोटे-बड़े अधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद थक-हार कर एक तर$फ बैठे सरकार को कोस रहे थे।
वैसे, जिनके कार्ड नहीं बने उन्हें कोई बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि मिलना उन्हें भी कुछ नहीं है जिनके कार्ड बन गये हैं। हां, शीघ्र ही इसी बीके अस्पताल में दो तरह के मरीज नजर आने लगेंगे, एक कार्ड वाले और दूसरे बिना कार्ड वाले। सरकार के आदेशानुसार डॉक्टरगण जब कार्डधारकों को प्राथमिकता देने लगेंगे तो बिना कार्ड वाले मरीज चुप तो नहीं रहेंगे। हल्ला-हंगामा होगा और एक नया बबेला अस्पताल में खड़ा हो जायेगा।
लोगों को जो एक बड़ी भारी गलतफहमी है कि इस कार्ड के द्वारा उनका इलाज शहर के पंचतारा व्यापारिक अस्पतालों में होने लगेगा, शीघ्र ही दूर हो जायेगी। अधिकांश बीमारियों के लिये उन्हें सरकारी अस्पतालों के ही चक्कर काटने होंगे। लफ्फाजी के अतिरिक्त सरकार अपने इन अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिये कुछ भी नहीं कर रही है। और तो और मौजूदा रिक्त पड़े पदों को भरने तक का कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा है। हां, घोषणायें व शिलान्यास करने में पूरी महारत रखने वाली भाजपा सरकार ने बीते सप्ताह राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों सिरसा में एक मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास करवा दिया है। इसके अलावा बीते करीब पांच साल से रिवाड़ी के निकट बनने वाले एम्स के वचन को भी पहली दिसम्बर को खट्टर ने फिर से दोहरा दिया है।
ध्यान रहे कि बीते आठ साल में खट्टर सरकार ने कोई भी नया मेडिकल कॉलेज बनाना तो दूर, छांयसा में बना-बनाया कॉलेज चालू करना भी भारी पड़ रहा है। जो चार कॉलेज सरकार चला भी रही है उनमें भी पर्याप्त स्टाफ नहीं हैं। भाजपा सरकार की यही तो जादूगरी है न तो अस्पताल बनायेंगे और न ही सटाफ भर्ती करेंगे, केवल कार्डों व जुमलों से ही सबका इलाज कर देंगे।