‘जॉइंट ट्रेड यूनियन कौंसिल, फऱीदाबाद का शांति-सद्भावना मार्च

‘जॉइंट ट्रेड यूनियन कौंसिल, फऱीदाबाद का शांति-सद्भावना मार्च
September 13 04:22 2023

क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा
31 जुलाई को नूंह जि़ले के मेवातियों ने नफऱत-उन्माद के तूफ़ान को रोककर इतिहास रच दिया है। यह तारीख़ देश की फ़ासीवाद विरोधी तहरीक में एक तारीख़ी दिन नमूद हो चुका है। 9 साल के मोदी-राज में भयानक शोषण, अभूतपूर्व मंहगाई, बेरोजग़ारी, दमन झेल रहे लोगों को मज़हब के ख़ूनी खेल में बांटकर एक बार फिर सत्ता हांसिल करने और उसके बाद देश के बचे-खुचे संसाधन चुनिंदा कॉर्पोरेट को सौंप देने का भाजपा-संघ का दांव उल्टा पड़ गया है। उस दिन के बाद से ही, समाज का अमन चाहने वाला हर तबक़ा खुलकर कट्टर हिन्दुत्ववादी गुंडों-उन्मादियों के खि़लाफ़ आता जा रहा है। शुरुआत ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ ने की और उसके बाद समस्त दलित, जाट, गूजर, अहीर-यादव समाज और फिर पूरी की पूरी 36 बिरादरी ने विहिप और बजरंग दल के गुंडों के सामन डटकर खड़े होने का ऐलान किया। मज़दूर नगरी फऱीदाबाद, फासीवाद-विरोधी तहरीक की उस सुगंध से महकने म पीछे कैसे रह सकती थी। ‘जॉइंट ट्रेड यूनियन कौंसिल फऱीदाबाद’ के आह्वान पर, 27 अगस्त को शाम 5 बजे प्याली चौक पार्क में एक शानदार शांति एवं सद्भावना सभा हुई जिसमें जॉइंट ट्रेड यूनियन घटकों के अलावा कई मज़दूर संगठनों जैसे ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ और ‘इंक़लाबी मज़दूर केंद्र’ तथा कई सामाजिक संगठनों को भी आमंत्रित किया गया था। सभा के पश्चात, प्याली चौक से हार्डवेयर चौक तक एक शानदार मार्च निकाला गया।

फऱीदाबाद के मेहनतकश अवाम को सत्तर के दशक के वे पुराने दिन याद हो आए जब झाड़सेंतली गांव से बदरपुर बॉर्डर तक लाल झंडों का सैलाब नजऱ आता था। सभी मज़दूर और सामाजिक संगठनों को इस संयुक्त तहरीक का हिस्सा बनने का अवसर देने के जॉइंट ट्रेड यूनियन कौंसिल के फ़ैसले का सबने स्वागत किया। इस मामले मे एटक के वरिष्ठ साथी आर एन सिंह के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। कार्यक्रम की एकता तथा कार्यक्रम के अलावा सैद्धांतिक डिबेट चलाने की विश्व सर्वहारा के महान नेता लेनिन की सीख का सम्मान करते हुए फ़ासीवाद विरोधी क्रांतिकारी मोर्चा के बैनर तले काम करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। जो भी जि़म्मेदारी इस सम्बन्ध में हमें दी जाएगी उसे पूरी शिद्दत से पूरा करेंगे।

सभा के अध्यक्ष थे एटक के वरिष्ठ नेता कामरेड विशम्भर सिंह तथा संचालन कर रहे थे सीटू के फऱीदाबाद जिला सचिव कामरेड वीरेंद्र डंगवाल। सभा को इन नेताओं ने संबोधित किया; एटक से कामरेड आर एन सिंह, इंटक के कामरेड हुकम चंद बेनीवाल, एचएमएस के कामरेड आर डी यादव, बंैक इंप्लाइज यूनियन के प्रधान कृपाराम शर्मा, आईसीटीयू के पूर्ण लाल और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान करतार सिंह जागलान, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र से कॉमरेड संजय मौर्य, पिछड़ा समाज संघ से रामफल जांगड़ा, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा से कामरेड सत्यवीर सिंह। ट्रेड यूनियनों ने नूंह की हिंसा को सुनियोजित और राज्य द्वारा प्रायोजित बताया। सारे के सारे समाज को मिलकर इस फासिस्ट हमले का विरोध करने का आह्वान किया। फरीदाबाद पुलिस समय रहते असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करती तो यह घटना नहीं होती। जब फ़ासीवादी ताक़तों का अजेंडा उल्टा पड़ गया और सारे का सारा समाज बजरंगदल-विहिप-भाजपा-संघ के उन्मादियों-दंगाईयों के खि़लाफ़ गोलबंद होने लगा तब पुलिस को बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार करना पड़ा। जब वह अपने लाव-लश्कर के साथ ज़हरीले विडियो जारी कर आग भडक़ा रहा था तब पुलिस-प्रशासन मूक दर्शक बना रहा।

30 जून को जब वह अपने बजरंग दल के गुंडों के साथ मिलकर हथियार लहराते हुए खोरी जमालपुर के पशुपालक हाजी जमात अली की गायों, बकरियां और गधों को जबरन बाई खेड़ा के जंगल से खोलकर ले गया था पुलिस ने तब भी उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की।

फिर से अधूरी कलश यात्रा को 28 अगस्त को फिर से पूरा करने के लिए 13 अगस्त को हथीन के पौंडरी गांव में पंचायत हुई थी जिसमें वक्ताओं ने ख़ूब ज़हर उगला और हिन्दू युवाओं को हथियार उठा लेने के लिए उकसाया गया। उन ज़हरीले दंगाईयों के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। हत्या का आरोपी मोनू मानेसर आज भी आज़ाद घूम रहा है।

नूंह में 31 जुलाई के बाद जो बुलडोजऱ आतंक चला जिसमें हजारों गरीब मेहनतकशों की रोज़ी-रोटी को तबाह कर दिया गया जिसे माननीय चंडीगढ़ उच्च नयायालय ने भी ‘नस्ली सफाए’ की कार्रवाई करार दिया है, उसके विरुद्ध भी मज़दूरों को संगठित प्रतिरोध आंदोलन चलाने और पीडि़तों को सरकार से उचित मुआवज़ा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया गया। समाज में आपसी भाईचारा अटूट फ़ौलादी बनाना और देशभर में संयुक्त फासीवाद-विरोधी क्रांतिकारी आन्दोलन चलाना ही एक मात्र रास्ता है ज़ोरदार नारों के बीच इसी अहद के साथ सभा संपन्न हुई।
सभा में कुल 207 लोगों ने भाग लिया जिनका संगठनवार ब्यौरा इस तरह है:सीटू 68, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा 51, एटक 35, इंटक 11, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र 6 तथा अन्य संगठनों से 36।

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Mazdoor Morcha
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