डॉ. रामवीर
जो अपने मुंह से कहता है एक अकेला सब पर भारी, अपने मुंह मियां मि_ू की लगता उसको हुई बीमारी।
संस्कृत भाषा में है पुरानी एक कहावत कही गई, ‘इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणै:।’
हिन्दी में इसका अनुवाद इस प्रकार किया जाता है ‘इन्द्र भी छोटा हो जाता है यदि अपने गुण खुद गाता है।’
आत्मप्रशंसा है व्यक्तित्व के हल्केपन का एक सुबूत, भारी जी से हल्की बातों का कारण हम रहे हैं पूछ।
कृपा करो इतना तो बताओ ऐसी भी क्या है लाचारी, जो हास्यास्पद तुच्छ बयान नाहक करते रहते जारी।
नोन-बायोलोजिकल कह कर आखिर क्या कहना चाहते हो, यही ना कि तुम ही ईश्वर हो तुम जो चाहो कर सकते हो।
जनता भोली तो थी पर अब इतनी अधिक बना दी मूर्ख, उल्टी सीधी बेअक्ली की बातें उसे बता रहे धूर्त।