जिम्मेदार अधिकारी नहीं जानते ब्लड बैंकों मेंं रक्त का क्या हो रहा है एफडीए अधिकारियों को नहीं मालूम रक्तदान के आंकड़े

जिम्मेदार अधिकारी नहीं जानते ब्लड बैंकों मेंं रक्त का क्या हो रहा है एफडीए अधिकारियों को नहीं मालूम रक्तदान के आंकड़े
June 13 04:37 2023

ज़दूर मोर्चा (फऱीदाबाद) रक्तदान में प्रदेश में अव्वल आने का दावा करने वाले खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी रक्तदान तो क्या, ब्लड बैंकों का भी हिसाब नहीं रखते। ये अधिकारी इतने ‘भोले’ हैं कि कभी किसी ब्लड बैंक से उसका स्टेटमेेंट नहीं मांगते। कभी साल-छह महीने में अगर ब्लडबैंक का निरीक्षण करने पहुंचे भी तो ब्लड बैंक प्रबंधन जो आंकड़े उपलब्ध करा देता है चुपचाप लेकर चले आते हैं लेकिन इनका रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। मांगे जाने पर कहते हैं कि सही आंकड़े तो नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन (नाको) के पास होंगे, हम तो केवल कंट्रोलिंग अथॉरिटी हैं।

जिले में चलने वाले सभी ब्लड बैंकों की निगरानी और उन पर लगाम रखने का जिम्मा खाद्य एवं और औषधि प्रशासन विभाग पर है। विभाग के जिला प्रमुख करन गोदारा को यह नहीं मालूम कि जिले में कुल कितने ब्लड बैंक कार्यरत हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि रेडक्रॉस सोसायटी का अपना ब्लड बैंक नहीं है। वह कहते हैं कि केवल वही संस्था रक्तदान करा सकती है जिसका अपना ब्लड बैंक हो इसीलिए रेडक्रॉस का अपना ब्लड बैंक है। सच्चाई यह है कि रेडक्रॉस सोसायटी केवल ब्लड बैंकों की सुविधा के लिए रक्तदान कैंप का आयोजन करती है।

एफडीए हरियाणा मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार जिले में बीके सिविल अस्पताल सहित कुल 15 ब्लड बैंक हैं। इनमें से संत भगत सिंह जी महाराज चेरिटेबल हॉस्पिटल का ब्लड बैंक और रोटरी ब्लड बैंक चेरिटेबल ट्रस्ट धमार्थ हैं। डिवाइन चेरिटेबल ब्लड बैंक निजी है जबकि अन्य निजी अस्पतालों के अपने ब्लड बैंक हैं। रेडक्रॉस सोसायटी का कोई ब्लड बैंक नहीं है।

खाद्य एवं औषिध प्रशासन विभाग के नियमानुसार प्रत्येक ब्लड बैंक को हर महीने की अपनी रिपोर्ट जिला मुख्यालय को देनी होती है। इस रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि ब्लड बैंक की क्षमता क्या है। कितने लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया, एक्सचेंज में कितना रक्तदान हुआ। कितने रक्तदान अपूर्ण हुए। वर्तमान में किस-किस गु्रप का कितना रक्त स्टोर है। अवधि समाप्त होने के कारण कितना रक्त एक्सपायर हुआ और उसे मानकों के अनुसार नष्ट किया गया।

एफडीए अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे समय समय पर इन ब्लड बैंकों का निरीक्षण कर रिकॉर्ड और स्टॉक का मिलान करें। खास कर यह जांच करें कि स्टोर किए गए रक्त मेंं से कितना एक्सपायर होने के कारण नष्ट किया गया। यदि बिना इस्तेमाल किए ही रक्त नष्ट किया गया तो उसका उचित स्पष्टीकरण ब्लड बैंक प्रबंधन से मांगा जाना चाहिए।

आश्चर्य की बात है कि वर्ष के पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक एफडीए जिला मुख्यालय में किसी भी ब्लड बैंक की रिपोर्ट नहीं पहुंची है। करन गोदारा कहते हैं कि ब्लड बैंकों का निरीक्षण करने का जिम्मा उनका और उनके स्टाफ का है लेकिन इस वर्ष अभी तक किसी भी ब्लड बैंक का निरीक्षण नहीं किया गया है। उनके मुताबिक जब टीम ब्लड बैंक की जांच करने जाती है तभी रिकॉर्ड देखती है और प्रबंधन से रिपोर्ट ले लेती है। पिछले साल किए गए निरीक्षणों की रिपोर्ट मांगे जाने पर उनका कहना था कि रिकॉर्ड तो नहीं है लेकिन नाको में पूरा रिकॉर्ड मिल जाएगा क्योंकि सभी ब्लड बैंक वाले वहां अपना रिकॉर्ड भेजते हैं। ब्लड बैंकों की जांच में इन अधिकारियों की यह लापरवाही भ्रष्टाचार का संकेत है।

प्रदेश में रक्तदान में अव्वल रहने का आंकड़ा भी संदिग्ध लगता है। ब्लड बैंक से केवल तब ही रक्त दिया जाता है जब बदले में रक्त लिया जाए। सिर्फ अज्ञात मरीजों, घायलों के लिए बिना एक्सचेंज के रक्त उपलब्ध कराने का प्रावधान है। कुछ खास परिस्थितयों में कैंसर, हीमोफिलिया और थैलासीमिया रोगियों के लिए भी बिना एक्सचेंज के रक्त दिया जा सकता है, बाकी परिस्थितयों में बिना एक्सचेंज के रक्त नहीं दिया जाता है। यदि ऐसा है तो ब्लड बैंकों में रक्त की कमी नहीं होती।

तीन साल में नहीं ठीक हुए हालात
फरीदाबाद का रक्तदान में अव्वल रहने लेकिन ब्लड बैंकों में पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं होना नई बात नहीं है। वर्ष 2020 में भी शिक्षा एवं स्वास्थ्य कमेटी की चेयरपर्सन सीमा त्रिखा के सामने थैलासीमिया के मरीजों को रक्त नहीं मिलने का मुद्दा उठा था। डीजी आयुष की जनसुनवाई कार्यक्रम में थैलासीमिया मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि थैलासीमिया के नाम पर आए दिन ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाते हैं लेकिन मरीजों को ही खून नहीं दिया जाता। सीमा त्रिखा ने माना था कि ब्लड डोनेशन कैंप के नाम पर गड़बड़ी हो रही है और इसकी जांच होनी चाहिए। ब्लड डोनेशन से मरीजों को रक्त चढ़ाए जाने तक का ट्रैकिंग सिस्टम तैयार कराने का दावा सीमा त्रिखा ने किया था। तीन वर्ष गुजरने के बाद ट्रैकिंग सिस्टम तो छोडि़ए एफडीए रिकॉर्ड तक मेनटेन नहीं कर पा रहा है।

 

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Mazdoor Morcha
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