जि़ले के नाकारा मेडिकल बोर्ड के चेयरमैन सहित तमाम सदस्यों को मौत पर लीपापोती करने पर हाईकोर्ट का नोटिस

जि़ले के नाकारा मेडिकल बोर्ड के चेयरमैन सहित तमाम सदस्यों को मौत पर लीपापोती करने पर हाईकोर्ट का नोटिस
January 10 04:09 2022

फरीदाबाद (म.मो.) शहर में कुकुरमुत्तों की तरह फैले व्यापारिक अस्पतालों की लूट एवं धांधलियों के विरुद्ध गठित मेडिकल बोर्ड को 20 दिसम्बर 2021 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। इसका जवाब 10 फरवरी 2022 को दायर करना है। नोटिस में मुख्य सचिव के द्वारा हरियाणा सरकार को भी पार्टी बनाया गया है। इसके अलावा तीन निजी अस्पतालों …..डीएम अस्पताल एनआईटी, सर्वोदय अस्पताल सेक्टर 8 और मानवता अस्पताल बल्लबगढ़ को भी नोटिस जारी हुआ है।

गतांक में सुधी पाठकों ने पढ़ा था कि इस बोर्ड के सामने 88 पीडि़तों ने व्यापारिक अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई थी। बोर्ड ने इनमें से एक भी अस्पताल को दोषी नहीं ठहराया। एक केस में तो बोर्ड ने अपने नाकारा एवं अज्ञानी होने को स्वीकार करते हुए उस केस को किसी अन्य उच्च बोर्ड द्वारा सुनवाई करने के लिये लिख दिया। लेकिन अब एक ऐसा मामला भी सामने आ गया है जिसमें पीडि़त पक्ष, बोर्ड द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट को लेकर हाई कोर्ट तक जा पहुंचा।

बल्लभगढ़ निवासी रवीन्द्र भाटी ने अपनी बीमार मां की अल्ट्रासाऊंड रिपोर्ट में बताई गई एक बीमारी के इलाज हेतु उन्हें एनआईटी पांच नम्बर स्थित डीएम अस्पताल में 29 अगस्त 2020 को भर्ती कराया। अस्पताल में लेजर द्वारा किया गया ऑपरेशन फेल होने के बाद वहां के डॉक्टरों ने सर्जिकल ऑपरेशन किया तो वह भी फेल हो गया और मरीज़ की हालत बिगडऩे लगी। अपनी मूर्खता एवं लापरवाही को समझते हुए डीएम अस्पताल ने पीडि़त को 31 दिन तक अपने यहां रखने के बाद, अपने खर्चे पर सर्वोदय अस्पताल में शिफ्ट किया। परन्तु वहां भी बात न बन पाई क्योंकि इन दोनों अस्पतालों के बीच खर्चे को लेकर विवाद हो गया।

इसके बाद डीएम अस्पताल वालों ने पीडि़ता को मानवता अस्पताल में शिफ्ट किया वहां भी मरीज़ की स्थिति में कोई सुधार होता नज़र नहीं आया। हालत बिगड़ती देख रवीन्द्र भाटी ने फोर्टिस सहित कई अन्य अस्पतालों से भी राय ली, सभी ने डीएम अस्पताल में प्रारंभिक ऑपरेशन के दौरान हुई लापरवाही की बात कही। एक सप्ताह मानवता अस्पताल में रहने के बाद 14 सितम्बर 2020 को मरीज़ का देहांत हो गया।

उक्त अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद अपनी माता जी का इलाज न करा पाने से दुखी रवीन्द्र ने सीएम विंडो के माध्यम से उक्त अस्पतालों की लापरवाही एवं मूर्खता के विरुद्ध जि़ले के उस मेडिकल बोर्ड में दरखास्त लगाई जो इस तरह के मामलों की सुनवाई करता है। इसके चेयरमैन जि़ले के सिविल सर्जन, बीके अस्पताल के पीएमओ, जि़ले की मेडिकल एसोसिएशन के प्रधान के अलावा सात अन्य डॉक्टर भी इसके सदस्य होते हैं।

सात जनवरी 2021 को इस बोर्ड ने सुनवाई शुरू करी। कुल पांच पेशी भुगतने के बाद बोर्ड ने अस्पतालों को दोषी ठहराने की बजाय लीपा-पोती करते हुए अपने रिपोर्ट में ‘मल्टी ऑर्गन फेल्योर’ और ‘बायलरी लीक’ पोस्ट सर्जरी के अलावा कोविड 19 को मौत की वजह बताया। गौरतलब है कि मरीज़ का कोविड के लिये टेस्ट केवल उनकी मृत्यु के बाद किया गया था। इस तथाकथित टेस्ट की कोई रिपोर्ट आज तक उन्हें नहीं दी गई है।

यही सारा मामला लेकर रवीन्द्र भाटी ने हरियाणा सरकार व उसके बनाये हुए मेडिकल बोर्ड को कोर्ट में घसीट लिया है।

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Mazdoor Morcha
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