शिक्षामंत्री ही जिले की शिक्षा व्यवस्था डुबोने में लगीं फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी इसलिए है क्योंकि इनमें बच्चे अधिक हैं, जैसे कुतर्क देकर सरकार का बचाव करने वाली शिक्षामंत्री सीमा त्रिखा अपने ही जिले की शिक्षा व्यवस्था डुबोने में लगी हैं। उनके ही गृह जनपद में शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था प्रबंधन के लिए जरूरी डीईओ, डीईईओ, डायट प्रिंसिपल के पद खाली हैं। उन्हें शिक्षामंत्री का पद संभाले चार महीने बीत चुके हैं लेकिन शिक्षक संगठनों की मांग के बाद भी ये पद आज तक नहीं भरे गए हैं। कुतर्कों पर पीएचडी कर चुकी सीमा त्रिखा से जब शिक्षक संगठनों ने जरूरी अधिकारियों की तैनाती की मांग की तो उनका जवाब था कि हमने तो सारे अधिकारी प्रदेश में दे रखे हैं हम तो कम में ही काम चला लेंगे। मंत्री जी स्कूलों में बगैर मास्टरों के भी काम चल रहा है, राज्य में मंत्रियों और विधायकों के बगैर भी काम चलता रहेगा, अगर आप घर बैठ भी जाएं तो इससे बेहतर काम चलेेगा। लगता है कि शिक्षामंत्री डीईओ, डीईईओ, डायट प्रिंसिपल के काम अपने ही कार्यालय से चलाएंगी तभी तो इन पदों पर तैनाती नहीं दे रही हैं।
जिला शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी डीईओ, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी डीईईओ और डायट प्रिंसिपल क्लास वन पद हैं। ये तीनों ही पद महीनों से खाली चल रहे हैं। डीईओ आशा दहिया के 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली पड़ा है। डीईईओ और डायट प्रिंसिपल का पद पूर्व डीईओ रितु चौधरी के तबादले के बाद से खाली हैं। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार कोई भी क्लास वन पद एक सप्ताह से ज्यादा समय तक खाली नहीं रह सकता। इसी मजबूरी में पलवल के डीईओ अशोक बघेल को यहां अतिरिक्त प्रभार दे रखा है वो सप्ताह में एक दिन ही आते हैं। इसी तरह डीईईओ का चार्ज गुडग़ांव के डीईईओ मुनीराम को दे रखा है उन्हें भी अपने जिले के कामों से कम ही फुरसत मिलती है। सूत्रों के अनुसार पूरे प्रदेश में शिक्षामंत्री का ही एकमात्र जिला है जिसके शिक्षा विभाग में क्लासवन के तीनों पद खाली हैं।
सिर्फ क्लास वन पद ही नहीं खाली हैं अधिकारी रैंक में आने वाले डिप्टी डीईओ के तीन पद भी लंबे समय से खाली हैं। सुधी पाठक जान लें कि डिप्टी डीईओ पद जिले के बीईओ या सीनियर प्रिंसिपल को डिप्टी डीईओ पर पदोन्नत किया जा सकता है। सीनियर प्रिंसिपल, बीईओ और डिप्टी डीईओ तीनों का वेतनमान बराबर है, यानी सीनियर प्रिंसिपल या बीईओ को डिप्टी डीईओ प्रमोट करने में सरकार का कोई खर्च नहीं है, बावजूद इसके इन पदों को नहीं भरा जा रहा है। विभाग के सूत्रों के अनुसार पूरे प्रदेश में डिप्टी डीईओ के करीब अस्सी पद खाली हैं जिन्हें भरा जाना जरूरी है। समझा जा सकता है कि जब शिक्षामंत्री अपने गृह जनपद के खाली पद नहीं भर रही हैं तो दूसरे जिलों का क्या होगा।