फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) कुंडली बॉर्डर को ही सिंघु बॉर्डर भी कहते हैं। सर्वविदित है कि कुंडली-गाजियाबाद-पलवल के नाम से पहले ही केजीपी मार्ग बनाया जा चुका है। फरीदाबाद वासी भी जैसे-तैसे इसका कुछ हद तक इस्तेमाल कर लेते हैं। अब, जनता को भ्रमित करने में माहिर भाजपा सरकार ने कुंडली बॉर्डर के बजाय सिंघु बॉर्डर के नाम से एक नया मार्ग बनाने का शगूफा छोड़ा है। इसमें भी नागरिकों को लाभ के वही सब दावे किये गये हैं जो मंझावली पुल, तथा हवा-हवाई एफएनजी (फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद) मार्ग को लेकर किये गये थे। यानी कि लोगों का समय बचेगा, खर्चा बचेगा, तेल बचेगा आदि-आदि।
विदित है कि 15 अगस्त 2014 को बड़े ताम-झाम के साथ मंझावली पुल 9 वर्ष से निर्माण लंबित का शिलान्यास केन्द्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी व स्थानीय सांसद एवं मंत्री कृष्णपाल गूजर ने किया था, जो आज तक आधा-अधूरा पड़ा है। इसे मीडिया की सुर्खियों में बनाये रखने के लिये गूजर महाशय जब तब तरह-तरह की बयानबाज़ी करते रहते हैं, लेकिन ढाक के वही तीन पात।
इसके पहले एफएनजी मार्ग बनाने के नाम से एक और शगूफा छोड़ा गया था। इसके द्वारा फरीदाबाद से नोएडा व गाजियाबाद आने-जाने का रास्ता काफी सुगम होने की बात कही गई थी, लेकिन धरातल पर आज तक कहीं कुछ भी नजर नहीं आ रहा। जनता को बेवकूफ बनाने में माहिर जुमलेबाजों की सरकार ने अब एक नया शगूफा सिंघु बॉर्डर से लोनी गाजियाबाद व नोएडा होते हुए फरीदाबाद को जोडऩे का एलान किया है। आरएसएस एवं भाजपा की मानसिकता एवं रणनीति को समझने वाले भली-भांति जानते हैं कि इनका लक्ष्य कोई काम करना नहीं बल्कि काम करने का ढोल पीटना है। इसी को कहते हैं काम करने से कहीं ज्यादा जरूरी काम का प्रचार करना है। यही सब तो केन्द्रीय स्तर पर मोदी जी कर रहे हैं। हजारों योजनाएं घोषित कर दीं, उनके बजट का बड़ा भाग उनके प्रचार पर खर्च कर दिया गया और योजनाएं या तो शुरू नहीं हो पाई अथवा अधर में लटक रही है। ऐसे में जनता को इनके झूठे प्रचार से भ्रमित नहीं होना चाहिये।