फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) अरावली की संरक्षित पहाडिय़ों में बढ़ते अतिक्रमण और निर्माण के कारण यहां रहने वाले पशुओं का प्राकृतिक आवास और भोजन का क्षेत्र घटता जा रहा है। भोजन-पानी की तलाश में यह पशु अब आबादी वाले इलाकों में भटकते हुए नजर आ रहे हैं। इन दिनों सेक्टर 21 में पुलिस आयुक्त कार्यालय के आसपास, मार्बल मार्केट सहित आबादी वाले इलाकों में नीलगायें घूमती देखी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री खट्टर ने फरीदाबाद में पीएलपीए के तहत संरक्षित जमीन के एक बड़े इलाके को इस एक्ट से बाहर किए जाने की सिफारिश केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से की है। उन्होंने पीएलपीए के तहत आने वाले सेक्टर 46, अनंगपुर गांव का इलाका, अनखीर चौक और उसके आसपास का इलाका मुक्त कराने की कवायद शुरू कर दी है। पर्यावरण संरक्षण कार्य कर रहे सुनील हरसाना कहते हैं कि अरावली के पीएलपीए संरक्षित जंगलों में लगातार मानव गतिविधियां जारी हैं। कहीं अवैध खनन हो रहा है तो कहीं जमीन कब्जा करने केे लिए पेड़ काटे और जंगल जलाए जा रहे हैं। अवैध निर्माण और अतिक्रमण के कारण जंगल घटते जा रहे हैं। जंगल घटने से इसमें बसने वाले जंगली पशुओं के लिएभोजन-पानी और आवास के संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। जंगल और आबादी के बीच बफर जोन होना चाहिए जो अवैध निर्माण और कब्जों के कारण खत्म हो चुका है। ऐसे में जंगली पशुओं का आबादी के क्षेत्र में दिखाई देना आश्चर्य की बात नहीं है। सुनील हरसाना इसे जंगली पशु और आम आदमी दोनों के लिए खतरनाक मानते हैं। उनके मुताबिक जंगली पशु असुरक्षित महसूस करने पर हमला कर सकते हैं। नीलगाय, बंदर जैसे शाकाहारी पशु भी आम आदमी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। अरावली में तेंदुआ, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, सियार जैसे शिकारी पशु भी पाए जाते हैं। इन पशुओं का आबादी मेें आना खतरनाक है। वह कहते हैं कि सरकार को चाहिए कि पहले जंगलों में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को समाप्त कराए और जंगली पशुओं को उनके नैसर्गिक आवास में लौटाए। जंगल और आबादी के बीच बफर जोन होना चाहिए ताकि सभी अपने अपनी सीमा में सुरक्षित रह सकें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य मेें नीलगाय ही नहीं खतरनाक जंगली पशु भी आबादी के बीच घूमते दिखाई देंगे।