शिक्षकों व डॉक्टरों को लगाया स्कूली बच्चों के हेल्थ चेकअप पर फरीदाबाद (म.मो.) काम कोई करना नहीं, प्रोपेगंडा में कसर कोई छोडऩा नहीं, यही है संघ प्रशिक्षित मुख्यमंत्री खट्टर की नीति। सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था के चलते बच्चे इन्हें छोडऩे को मजबूर हैं। खट्टर भी यही चाहते हैं। ज्यों-ज्यों बच्चों की संख्या घटती जाती है त्यों-त्यों खट्टर जी स्कूलों को बंद करते जाते हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा जिस दिन राज्य के किसी न किसी भाग में स्कूलों पर ताला जड़ कर विरोध प्रकट न किया जा रहा हो। इसके बावजूद अपनी उपलब्धि गिनाने के लिये खट्टर जी तरह-तरह की नौटंकी करते रहते हैं।
ऐसी ही एक नौटंकी के तहत स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच शिक्षक व डॉक्टर मिलकर करेंगे। बच्चों के पेट में पाये जाने वाले कीड़ों को मारने के लिये उन्हें दवा पिलाई जायेगी। बच्चों के स्वास्थ्य तथा नेत्रों की जांच के तहत करीब 10 बीमारियों के प्रति बच्चों को चेताया व समझाया जायेगा। इसके लिये बाकायदा डॉक्टरों की एक चलती-फिरती टीम स्कूलों का दौरा करेगी। अस्पताल में आये मरीजों को तो डॉक्टर उपलब्ध नहीं और स्कूल दर स्कूल जाकर डॉक्टर बच्चों की देख-रेख करेंगे। यह मजाक नहीं तो और क्या है? कुछ हो न हो लेकिन मीडिया की सुर्खियों में तो खट्टर सरकार इस तरह की घोषणाओं से आ ही जाते हैं। जो लोग जमीनी हकीकत से वाकि$फ नहीं होते वे इस तरह की घोषणाओं से प्रभावित हो ही जाते हैं। अपनी इन वाहियात घोषणाओं को रोचक एवं आकर्षक बनाने के लिये कहा जा रहा है कि इस प्रोग्राम के तहत स्कूलों में नुक्कड़-नाटक व पेंटिंग प्रतियोगिता आदि के द्वारा बच्चों को प्रेरित किया जायेगा। इसके लिये विज्ञान के शिक्षकों को चयनित किया जायेगा। उन्हें इस प्रोग्राम का एम्बसेडर बना कर पुरस्कृत भी किया जायेगा।
कमाल है, पढ़ाने के लिये तो विज्ञान के अध्यापक हैं नहीं और इस तरह की नौटंकियों के लिये अध्यापकों को लाने की बात की जा रही है। इस ड्रामेबाज़ी के लिये जिला शिक्षा अधिकारी तथा सिविल सर्जन को विशेष आदेश जारी किये जायेंगे। पहले से सौंपे गये काम तो ये अधिकारी कर नहीं पा रहे हैं तो इस फटीक के लिये वे क्या कुछ कर पायेंगे, शीघ्र ही पता चल जायेगा।