सत्ता का नशा उतरा तो कृष्णपाल को चुभने लगे अपने बोए कांटे

सत्ता का नशा उतरा तो कृष्णपाल को चुभने लगे अपने बोए कांटे
May 19 07:04 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सत्ता के नशे में खुद को अजेय बताने वाले कृष्णपाल गूजर द्वारा दस साल में की गईं जनविरोधी कारगुजारियां इस चुनाव में उनके सामने आ रही हैं। सत्ता में रहते हुए जिन ग्रामीण, किसान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, युवाओं को उन्होंने अपने दरवाजे से लौटाया था चुनाव आने पर वही लोग अब उन्हें अपने दरवाजे तो दूर गांव, गली-मोहल्ले में भी नहीं घुसने दे रहे हैं। मंत्री द्वारा दरवाजे से लौटाए जाने वाले लोग ही उनका विरोध नहीं कर रहे हैं आम जनता भी इससे नाराज है कि दस साल में उनका प्रतिनिधि उनकी सुध लेने नहीं आया। पूरे लोकसभा क्षेत्र में उनके विरोध के सुर लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। यहां तक कि रोड शो और कार्यक्रमों में भी लोग नहीं जुट रहे हैं, चंद मलाईखोर ही उनके अधिकतर कार्यक्रमों में दिखाई दे रहे हैं।

लीडर से डीलर और कृष्णपाल से करप्शनपाल बने गूजर को पिछले चुनाव में मोहना और आसपास के गांवों से भरपूर वोट मिले थे, जिनके कारण वह रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर सके थे। फरीदाबाद को नोएडा एयरपोर्ट से जोडऩे वाले ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का प्रोजेक्ट सरकार ने बनाया तो भूमाफिया की तरह कृष्णपाल ने फरेंदा के पास सात सौ एकड़ डूब की बेकार जमीन कौडिय़ों के भाव खरीद डाली।

सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मोहना में कट देने का ऐलान किया लेकिन गूजर ने अपने फायदे के लिए प्रोजेक्ट में कट मोहना से हटवा कर अपनी जमीन के पास फरेंदा में उतरवा दिया। मोहना सहित आसपास के करीब तीस गांव वाले बीते दो साल से सही जगह कट बनवाने की मांग करते रहे लेकिन गूजर ने किसी की भी न सुनी। फरियाद लेकर पहुंचने वाली गांवों की सरदारी को भी बिना बात किए लौटा दिया। सात माह से धरना दे रहे इन ग्रामीणों से कृष्णपाल ने मिलना भी मुनासिब नहीं समझा। चुनाव में मोहना ही नहीं आसपास के तीन दर्जन से अधिक गांवों ने कृष्णपाल का बॉयकाट करने का ऐलान किया है। 36 बिरादरी भी इन गांव वालों के समर्थन में खड़ी नजर आ रही है।

किसान तो मोदी की विरोधी नीतियों के कारण पहले ही भाजपा का विरोध कर रहे हैं। ऐसे मे ग्रामीण-किसान का वोट बैंक तो कृष्णपाल से खिसका ही है, सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी भी सामने आ रही है। स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ही निश्चित वेतन, भविष्य निधि की मांग कर रही आंननबाड़ी कार्यकर्ताओं से भी गूजर नहीं मिले थे। मंत्री के आवास पर धरना देने पहुंची इन महिला कार्यकर्ताओं को आश्वासन देना तो दूर मिला तक नहीं । इसकी नाराजगी मंगलवार को सेक्टर 12 लघु सचिवालय के पास स्थित पार्क में देखने को मिली। सैकड़ों की तादाद में इकट्ठा हुई आंगनबाड़ी वर्कर्स ने चुनाव में महेंद्र प्रताप चौधरी को वोट डालने की खुली घोषणा कर डाली। इन महिलाओं का कहना था कि केवल आंगनबाड़ी वर्कर ही विरोध नहीं कर रही हैं, न्यू पेंशन स्कीम का शिकार होने वाले बड़े प्रशासनिक अफसर तक इस सरकार के विरोध में हैं, मतगणना में यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकारी कर्मचारी भी बेलगाम और जनविरोधी सत्ता को उखाड़ फेकेंगे।

गूजर के खिलाफ गुस्सा सरकारी कर्मचारी, किसान, ग्रामीण, महिलाओं में ही नहीं बल्कि शहरी आबादी और सेक्टरों में भी है। कृष्णपाल का गढ़ कहे जाने वाले नहर पार इलाके में अधिकतर रेजिडेंट वेलफेयर ऐसोसिएशन खुल कर महेंद्र प्रताप का समर्थन कर रहे हैं। कारण, बीते दस वर्ष में गूजर के गुंडों ने जो खुली गुंडई वहां मचाई उससे वहां नए नए बसने वाले लोग इस कदर हैरान व परेशान थे कि वे गूजर से बदला लेने के किसी भी मौके के इंतजार में तैयार बैठे थे। विदित है कि लगभग सभी सोसायटियों में गूजर के पालतू गुंडो ने न केवल सोसायटियों पर कब्जा कर रखा था बल्कि बिजली, पानी सीवर, सुरक्षा आदि तमाम सेवाओं पर इन लोगों ने पूरी तरह से कब्जा कर रखा था मनमाने मेटिनेंस चार्ज लेना, सेवाओं के मनमाने दाम लेना, विरोध करने वाले की मार पिटाई करना उनके लिए आम बात थी। गजब तो तब होता था जब गुजर के प्रभाव के चलते पिटने वालों की थाने में रपट तक दर्ज नहीं होती थी। यही पालतू गुंंडे आज गूजर के चुनाव प्रचारक बने हुए हैं।

गूजर को जीत दिलाने में फरीदाबाद ही नहीं, पलवल, होडल और हथीन तक के वोटरों ने अहम भूमिका निभाई थी लेकिन पार्षद की सोच रखने वाले कृष्णपाल कभी भी मेवला महाराजपुर से आगे नहीं बढ़ सके। उन्होंने जो भी इक्का दुक्का विकास कार्य कराए वो मेवला महरापुर में ही हुए, पलवल, होडल, हथीन के लोग विकास कार्यों को तरसते रह गए, इसलिए इस बार उस बेल्ट ने गूजर को वोट के लिए तरसाने का संकल्प जताया है। फरीदाबाद में भी अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में उनका यही हाल है। वजीरपुर में ग्रामीणों के हित की अनदेखी कर वहीं डंपिंग यार्ड बनवाने पर अड़े कृष्णपाल को ग्रामीणों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था, जिद में ग्रामीणों को नाराज करने का खामियाजा चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ेगा।

आम जनता ही नहीं कृष्णपाल ने पार्टी में ही अपने बहुत से विरोधी तैयार कर लिए हैं। मोदी की तर्ज पर खुद को फरीदाबाद का अजेय भाजपा नेता साबित करने के लिए उन्होंने कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल को ठिकाने लगवाया तो दूसरा गूजर नेता न पनपने पाए इसलिए तिगांव विधायक राजेश नागर की प्रत्यक्ष रूप से काट की। कृष्णपाल की भितरघात का शिकार हुए ये नेता और कार्यकर्ता चुनाव में किस प्रकार की रुचि लेंगे यह परिणाम से ही जाहिर हो जाएगा। दस साल तक वीआईपी बन कर अपने ही कार्यकर्ता, नेताओं से नौकरों जैसा उनका व्यवहार किए जाने का नतीजा उनकी रैली और कार्यक्रमों में चंद लोगों के ही शामिल होने के रूप में दिखाई दे रहा है। उनकी सभा में आम जनता तो जुट नहीं रही तो कार्यकर्ता और रुपयों के बल पर लोग जुटा कर इज्जत बचाई जा रही है।

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Mazdoor Morcha
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