इन्हें प्रणाम करो, ये बड़े महान हैं।
प्रभुता के घर जन्मे, समारोह ने पाले हैं इनके ग्रह मुँह में चाँदी के चम्मच वाले हैं उद्घाटन में दिन काटे, रातें अख़बारों में, ये शुमार होकर ही मानेंगे अवतारों में ये तो बड़ी कृपा है, जो ये दिखते भर इंसान हैं।
दन्तकथाओं के उद्गम का पानी रखते हैं यों पूँजीवादी तन में मन भूदानी रखते हैं होगा एक तुम्हारा, इनके लाख-लाख चेहरे इनको क्या नामुमकिन है, ये जादूगर ठहरे इनके जितने भी मकान थे, वे सब आज दुकान हैं।
ये जो कहें, प्रमाण करें, जो कुछ प्रतिमान बने इनने जब-जब चाहा, तब-तब नए विधान बने कोई क्या सीमा नापे इनके अधिकारों की ये खुद जन्मपत्रियाँ लिखते हैं सरकारों की तुम होगे सामान्य, यहाँ तो पैदाइशी प्रधान हैं। इन्हें प्रणाम करो, ये बड़े महान हैं..