इधर चीफ सेके्रटरी ने जवाहर यादव को मनोहर का ओएसडी बनाने का आदेश जारी किया उधर गुरग्राम सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगे भूकंप के झटके

इधर चीफ सेके्रटरी ने जवाहर यादव को मनोहर का  ओएसडी  बनाने  का आदेश जारी किया उधर गुरग्राम  सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगे भूकंप के झटके
January 31 00:54 2023

पवन कुमार बंसल
वैसे देखने में दोनों खबरों में कोई सम्बन्ध नहीं दिखता।लेकिन एक खोजी पत्रकार के तीसरे नेत्र से देखने पर इनका गहरा समबन्ध पता लगता है। यह खबर कल के सारे अखबारों में पेज वन पर लीड न्यूज़ लगने लायक है। मनोहर लाल ने भी राहत महसूस की होगी आखिर उन्हें संकटमोचक मिल गया। दफतुर की विदाई के बाद मनोहर जी लाचार हो गए थे। वैसे उन दोनों का चोली -दामन का संबंध है। मनोहर ने सी एम बनते ही उन्हें अपना ओएस डी नियुक्त किया। जवाहर जी का वो रुतबा था जो भूपिंदर हूडा के टाइम में चोपड़ा का होता था। फिर दिलजलों की चुगली पर उन्हें किसी निगम का चेयरमैन बना दिया जो उनकी तोहीन थी। आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनकी जरूरत महसूस हुई तो फिर उनकी ताजपोशी हो गयी। मनोहर जी आपने अच्छा काम किया है। लोगों का तो काम है कहना।
जब 87 में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर देवीलाल ने अपने बेटे प्रताप को किसी निगम का चैयरमेन बनाया तो इस लेखक ने जो उस समय चंडीगढ़ में जनसत्ता का रिपोर्टर था देवीलाल से सवाल पूछा तो देवीलाल ने तपाक जवाब दिया ‘अपने बेटे को नहीं तो क्या तुझे बना दूं।? “अब मनोहर जी का अपना तो कोई बेटा है नहीं। जवाहर जी उनके बेटे बन उनकी सेवा यानी सरकार चलाने में उनकी मदद करेंगे।
उनकी नियुक्ति से बादशाहपुर हलके के लोग भी खुश है और जश्न मना रहे है। उनके संकट दूर करने के लिए अब उन्हें एक मसीहा मिल गया है। जवाहर की एक आवाज पर लोगो ने गुरुग्राम में एक सडक़ बनाने के लिए करीब आठ लाख रुपए दे दिया थे। फिर अब तो वो सरकार हैं। किसी भी बिल्डर को आदेश देकर हलके का चहुमुखी विकास करवा सकते है। टिकट तो उन्हें मनोहर कृपा से मिल भी जाएगी। और अगर भाजपा जाट -नॉन जाट की राजनीति के चलते फिर पावर में आती है तो जवाहर जी मंत्री भी बन सकते है।

बिल्डर भी खुश हैं। जवाहर जी गुरुग्राम में सक्रिय हैं। मिलनसार हैं। अब तक बिल्डरों को मनोहर से बात करते में कोई वाया मीडिया ढूंढऩा पड़ता था। अब वे जवाहर के माध्यम से उनसे सीधे मिल सकते हैं। वैसे भी मनोहर गुरुग्राम आते रहते हैं।

अब मीडिया भी खुश है। दफ्तर ले जाने के बाद वो अनाथ हो गए थे। वैसे अमित आर्य हैं, लेकिन उनके पास कोई खास बजट नहीं है। जवाहर की एक आवाज पर बिल्डर सब कुछ करने को तैयार हो जाएगें। जवाहर की नियुक्ति के झटके और जलजले लम्बे समय तक महसूस किये जायेंगे।

अब यह भी चर्चा चल पड़ी है की चीफ मिनिस्टर के ऑफिस में तैनात एक ताकतवर आई ए एस अफसर की भी घर वापिसी हो सकती है। अपने जवाहर से ऊके अच्छे सबन्ध है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो गुरुग्राम की जांच से परेशान कुछ अफसरों के चेहरे भी खिल गए है। उन्हें भी रिलीफ मिलने की उम्मीद है।

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