फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। शहर में चारों ओर हो रहे बेतरतीब और अवैध निर्माण हूडा अधिकारियों को नजर नहीं आ रहे। सेक्टरों का रिहायशी इलाका हो, मार्केट या पार्क हर जगह अतिक्रमण और अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है। ठोस कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ नोटिस भेजने की कागजी खानापूरी की जाती है। जहां सौदेबाजी सिरे नहीं चढ़ती हूडा की जेसीबी पहुंच जाती है, लेकिन शायद ही कहीं पूरी तरह तोडफ़ोड़ की जाती हो।
हूडा के सेक्टरों में बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर लोग सडक़ तक अपने रैंप बना रहे हैं। सेक्टर नौ में मकान नंबर 460 के बाहर आठ से दस फीट बढ़ कर बनाई गई रैंप ने सडक़ का भी अतिक्रमण कर दिया है। इमारत के बाहर काफी बड़ा हिस्सा रेलिंग लगाकर घेर लिया गया है। यही नहीं बढ़ा कर बनाई गई बाउंड्रीवाल के भी बाहर सडक़ पर दो पिलर खड़े कर छज्जा बनाया गया है। इस कारण सडक़ काफी संकरी हो गई है।
बिल्डिंग के निर्माण में फ्लोर एरिया रेशियो सहित अन्य नियमों को भी दरकिनार किया गया है। अतिक्रमण कर नालियां तो समाप्त ही कर दी गई हैं। इसका खामियाजा बरसात में सेक्टर में घंटों और कभी कभी कई दिनों तक जलभराव के रूप में भुगतना पड़ता है। हूडा के एसडीओ सर्वे राजेंद्र ने अवैध निर्माण की जानकारी से इनकार करते हुए कहा कि टीम भेजकर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई की जाएगी। खबर लिखे जाने तक हूडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अब देखना यह है कि हूडा अधिकारी इस निर्माण को कंप्लीशन सर्टिफिकेट कब और कैसे प्रदान करते हैं।
पांच सौ बूथों पर है अवैध निर्माण-अतिक्रमण रिहायशी इमारतों के साथ ही हूडा की मार्केटों में बूथों पर भी अवैध निर्माण और अतिक्रमण धड़ल्ले से जारी है। हूडा नियमों के मुताबिक मार्केट में बेसमेंट, भूतल और प्रथम तल ही बनाया जा सकता है। बूथ का गेट एक ओर ही खोला जा सकता है। ऊपर जाने के लिए सीढ़ी भी बूथ के अंदर ही होगी। बरामदे में कोई अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। सूत्रों के मुताबिक पांच सौ ऐसे बूथ चिह्नित किए गए हैं जहां नियमों का उल्लंघन कर अतिक्रमण या अवैध निर्माण किया गया है। इनमें अधिकतर बूथों में दूसरे तल का अवैध निर्माण किया गया है। दोनों ओर गेट बना दिए गए हैं। सडक़ की ओर गेट खुलने से वाहन खड़े होते हैं और जाम लगता है। कहने को तो इन बूथ संचालकों को हूडा की ओर से नोटिस जारी की गई है लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। नोटिस के बाद तोडफ़ोड़ की कार्रवाई नहीं किया जाना, प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
हूडा की इस नोटिसबाजी को देखकर समझा जा सकता है कि नोटिस केवल इसलिए दिए जाते हैं कि नियमों का उल्लंघन करके निर्माेण करने वाले हूडा अधिकारियों की जेब गरम करें। यदि सरकार ने अवैध निर्माण ही बनवाने हैं तो लोगों को चोर बनाकर हूडा अधिकारियों को लूट का अधिकार क्यों दे रखा है?