फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दस साल से सत्ता से दूर कांग्रेसी लोकसभा चुनाव सिर पर होने के बावजूद एकजुट नहीं हो पा रहे। अराजकता का आलम ये है कि लोकसभा चुनाव के कांग्रेस अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह के भाषण के दौरान ही पूर्व एमएलए ललित नागर पार्टी के एक अदना से कार्यकर्ता के साथ गाली गलौज और मारपीट को उतारू हो गए। बेचारे महेंद्र प्रताप सिंह उन्हें अनुशासित करने के प्रयास करते रहे। बात नहीं बनने पर रोष प्रकट करते हुए कार्यक्रम ही छोड़ कर चले गए। लोकसभा चुनाव के करीब हुई इस फजीहत की राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं आम हैं।
होली पर्व के उपलक्ष्य में हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता सुमित गौड़ ने सेक्टर 18 स्थित अपने कार्यालय में होली मिलन समारोह का आयोजन किया था। कार्यक्रम में अनुशासन कमेटी के चेयरमैन महेंद्र प्रताप भाषण दे रहे थे। वीआईपी गैलरी मे वरिष्ठ कांग्रेसी व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र शर्मा अन्य नेताओं के साथ बैठे हुए थे। इस दौरान तिगांव के पूर्व विधायक ललित नागर भी पहुंचे और सीट पर बैठने को लेकर महेंद्र शर्मा से उलझ पड़े। गरिमा को ताक पर रख कर नागर ने महेंद्र शर्मा को गालियां दीं, जवाब में उधर से भी गालियां दी गईं। तुरंत ही आयोजक सुमित गौड़ बीच बचाव में कूद पड़े और होली मिलन समारोह के रंग में भंग पड़ गया।
अनुशासन कमेटी के चेयरमैन मंच से ललित नागर को संबोधित करते हुए बार बार उनसे शांत होने और बड़प्पन दिखाने की अपील करते रहे लेकिन उन्होंने मारपीट के लिए बाजू चढ़ा लीं। पूर्व विधायक और कार्यकर्ताओं ने महेंद्र प्रताप की नहीं सुनी तो वो भी नाराज होकर मंच से उतर कर सीधे कार में सवार होकर चलते बने। अभी तक पूर्व विधायक और कांग्रेसी नेता को मनाने में जुटे सुमित गौड़ उन्हें छोड़ महेंद्र प्रताप को मनाने दौड़े लेकिन वो नहीं रुके।
सुमित गौड़ के होली मिलन समारोह में हुई घटना से कांग्रेस पार्टी की गुटबंदी और अनुशासनहीनता सामने आ गई है। लोकसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में जहां भाजपा सहित अन्य पार्टियां कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए जी जान से जुटी हुई हैं वहीं कांग्रेसी चुनाव के प्रति गंभीर नही दिखते। कॉंग्रेस के पास एक तो पार्टी की रीढ़ कहे जाने वाले कार्यकर्ता नहीं हैं जो थोड़े बहुत पदाधिकारी, पूर्व विधायक आदि नेता हैं वो भी जनता के बीच सक्रिय नहीं दिखते। खुद सुमित गौड़ कोई जनाधार नहीं बना पाए हैं। लोकसभा चुनाव में मोदी और भाजपा विरोधी लहर को कांग्रेसी अपनी पार्टी की जीत का ज़रिया बना सकते हैं लेकिन इसके लिए उनकी आंतरिक कलह इसमें सबसे बड़ी बाधा नजर आ रही है।