मज़दूर मोर्चा ब्यूरो संघियों द्वारा मेवात में हिंसा भडक़ाने मेें असफल होने के चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व गृहमंत्री अनिल विज बौखलाहट के मारे आए दिन बड़े अजीबो गरीब बयान दिए जा रहे हैं। विज ने तो यह कह कर कमाल ही कर दिया कि उन्हें तो इस घटना की जानकारी नलहड़ के मंदिर में फंसे लोगों में से किसी एक ने फोन पर दी तो कहीं उन्हें जाकर पता लगा कि मेवात में इतना बड़ा कांड हो गया। विज ने यह भी कहा बताते हैं कि वहां के एसपी तरुण सिंघल छुट्टी पर थे इसलिए वहां से किसी ने उन्हेंं जानकारी नहीं दी।
दरअसल, इस बयान के माध्यम से विज यह कहना चाहते हैं कि बेशक पुलिस महकमा तो उनके पास है लेकिन खबर देनेे का जो यंत्र तंत्र है। यानी सीआईडी का महकमा, तो खट्टर ने अपने पास रखा हुआ है। विदित है कि सीआईडी चीफ सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं और मुख्यमंत्री तो गृहमंत्री को रिपोर्ट करने से रहे। अपने इस बयान के द्वारा विज अपनी इस खीज को जाहिर करते हैं जो वे सीआईडी महकमे को लेकर खट्टर के प्रति रखते हैं। वैसे विज के इस बयान से अधिक बेहूदा एवं मूर्खतापूर्ण कोई बयान हो नहीं सकता। थोड़ी बहुत प्रशासनिक समझ रखने वाले भी ये जानते हैं कि सीआईडी रिपोर्ट कोई मुख्यमंत्री के कान में जाकर नहीं देता, वह रिपोर्ट मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह सचिव व डीजी को भी जाती है क्योंकि रिपोर्ट द्वारा मिली जानकारी पर कोई कार्रवाई तो गृह सचिव एवं डीजीपी को ही करनी होती है न कि मुख्यमंत्री को। यदि ये दोनों अधिकारी भी विज को जानकारी नहीं देते हैं तो विज को गृह मंत्रालय पर बोझ बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
विदित है कि प्रत्येक जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी एक सिक्योरिटी ब्रांच होती है जो जिले भर की तमाम सूचनाएं एकत्र करके पुलिस अधीक्षक को देते हैं। ये तमाम सूचनाएं ब-राहे रास्त तमाम उच्चाधिकारियों तक पहुंचती हैं। यदि एसपी साहब छुट्टी पर चले गए थे तो बाकी महकमे को तो ताला नहीं लगा गए थे, सारा महकमा तो ज्यों का त्यों चल ही रहा था। एसपी के ऊपर एडीजीपी रेवाड़ी व उनके ऊपर डीजीपी व अन्य अधिकारी भी तमाम रिपोर्टों को देख रहे थे इसके बावजूद भी यदि विज को जानकारी नहीं मिल रही तो फिर वे अपनी काबिलियत के बारे में ख़ुद ही $फैसला कर लें। महकमाना रिपोर्टों के अलावा तमाम मीडिया भी इस बारे में रिपोर्टें प्रकाशित करता आ रहा था।