मेरे प्यारे दोस्तों मैं अनिल भारती जेबीटी अध्यापक जिला नूह खंड नगीना के राजकीय प्राथमिक पाठशाला जरगाली में कार्यरत हूं।
मैंने मेवात में जिला परिषद के तहत दिसंबर 2004 में बतौर शिक्षक ड्यूटी ज्वाइन की थी। तब यह गुडग़ांव जिले में आता था, मेरा अप्वाइंटमेंट लेटर एडीसी गुडग़ांव बलराज सिंह मोर ने जारी किया था। तब अप्वाइंटमेंट लेटर में मुझे खंड नगीना का नांगल मुबारकपुर गांव एलॉट हुआ था।
उस समय एडीसी बलराज सिंह मोर का जो गनमैन था वह मेरा क्लास फैलो था, जिला भिवानी खंड तोशाम का रहने वाला था, क्योंकि ज्वाइन करने से पहले 2 दिन तक मैं पुलिस लाइन गुडग़ांव के अंदर उसी के पास रुका हुआ था, उसने मुझसे पूछा कि कौन सा गांव एलॉट हुआ है? मैंने उसको अपॉइंटमेंट लेटर दिखाया और बताया कि मुझे खंड नगीना का नांगल मुबारकपुर गांव मिला है। उसकी प्रतिक्रिया थी कि ‘मेवात है’ बचकर नौकरी करना। लेकिन मैं यहां ज्वाइन करने के लिए आ गया और ज्वाइन करने के अगले दिन ही 15 दिन का शीतकालीन अवकाश हो गया था। मैं जब 10 जनवरी 2005 को ड्यूटी ज्वाइन करने निकला तो घर वालों ने एक ही बात कही, बेटा तेरा जल्दी से ट्रांसफर करवा देंगे, जब तक आचार संहिता हट जाएगी, तुरंत बाद हमारा काम हो जाएगा।
हमें दिसंबर 2004 में आचार संहिता लागू होने की जल्दबाजी में ज्वाइन कराया गया था, क्योंकि अगले दिन आचार संहिता लगनी थी। धीरे-धीरे मेवात में रहा, समय गुजरता गया और मुझे लगा कि यहां मैं अपने बच्चों को भी रख सकता हूं, तो मैं मई 2005 में अपनी फैमिली को लेकर नांगल मुबारकपुर में सेट हो गया। नांगल मुबारकपुर गांव में इतना प्यार, प्रेम और इज्जत मिली कि शायद ही मुझे कहीं और मिल पाती। वहां पर रहकर मैंने छठी, सातवीं और आठवीं के बच्चों को मैथ, साइंस और प्राइमरी क्लास के बच्चों को बड़े जतन और तन- मन से मेहनत करके पढ़ाया-सिखाया, और बच्चों ने भी मुझे पूरा सहयोग किया। गांव वालों ने भी पूरा सहयोग दिया, नांगल मुबारकपुर गांव में मैं 12 साल तक रहा। 12 साल में मैंने इतने बच्चे पढ़ा दिए, इतनी इज्जत मिली कि बताया नहीं जा सकता। अभी मेरे पढ़ाए काफी बच्चे ऐसे हैं जो पढ़ लिख कर के अच्छे मुकाम पर पहुंच गए हैं।
सितंबर 2016 में मैंने इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर के लिए अप्लाई किया लेकिन बच्चों की दुआ से मेवात के प्यार से मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ। मैंने फिर से अंतर्जनपद तबादले के लिए अप्लाई किया तो मेरा स्थानांतरण राजकीय प्राथमिक पाठशाला नांगल मुबारकपुर से राजकीय प्राथमिक पाठशाला जरगाली में हो गया। जरगाली भी बड़ा अच्छा गांव है वहां पर भी मैंने अच्छी मेहनत की, क्योंकि वहां पर टीचरलैस स्कूल था, मिडिल स्कूल था वहां पर भी मैंने छठी, सातवीं और आठवीं तीनों कक्षाओं क ेबच्चों को सारे सब्जेक्ट पढ़ाए, प्राइमरी में भी अपना काम किया। पढ़ाई के साथ-साथ अन्य एक्टिविटी व जो भी गैर शैक्षणिक कार्य होते थे उनमें भी बढ़ चढक़र हिस्सा लिया।
उससे पहले सन 2014 में मुझे जिला नूह का असिस्टेंट प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर (एपीसी) के पद पर कार्य करने का मौका मिला, मुझे मास्टर ट्रेनर बनने का मौका मिला। मैंने मेवात में 85 परसेंट स्कूल विजिट किए और मेवात के अधिकतर स्कूलों में क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के प्रशिक्षण दिए। तभी से मेरी एक पहचान बन गई, आज मुझे मेवात ही नहीं बल्कि पूरे एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकतर लोग मेरे नाम और काम से जानते हैं। अभी मैं किसी के पास बैठ कर कहता हूं कि मेरा ट्रांसफर हिसार हो गया है शायद अगले महीने में चला जाऊं तो वो लोग सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि गुरु जी आप मत जाना, चाहे हमें चंडीगढ़ जाना पड़ जाए आप हमें यह बताएं कि आपका ट्रांसफर कैसे रुकेगा। शायद यहां के लोगों को मैं भा गया हूं और यह लोग मुझे भा गए हैं। मैंने यहीं पर जमीन लेकर अपना मकान बना लिया है और मेरी तीन बेटियां हैं। मेरी सबसे बड़ी बेटी अब दसवीं क्लास में पढ़ रही है और बॉक्सिंग में स्टेट चैंपियन है, नेशनल में सिलेक्शन हो रखा है। मेरी दूसरी बेटी फोर्थ क्लास में है जो योगा करती है, बहुत अच्छे योगा करती है, मेरी तीसरी बेटी अभी 4 साल की है जो ऑलराउंडर है।
मेवात में किसी भी तरह का कोई भी भेदभाव नहीं है हिंदू-मुस्लिम सभी मिलकर के त्यौहार मनाते हैं, हंसी खुशी एक दूसरे से भाईचारे की भावना से रहते हैं। हम ईद को इनकी खीर और सेवइयां खाते हैं और दिवाली को हम इनको मिठाई खिलाते हैं। अब लॉकडाउन जो चला हुआ है इस लॉकडाउन के दौरान भी मैं यहीं पर अपनी सेवाएं दे रहा हूं शायद ही मेवात जैसा इलाका, मेवात जैसे भोले भाले आदमी, मेवात जैसी इज्जत कहीं और मिल पाएगी मैंने 16 साल में सिर्फ और सिर्फ यही ऑब्जर्व किया है की अगर इंसान खुद सही है तो सामने वाला बिल्कुल सही है। यहां पर जो इज्जत और मान सम्मान मिल रहा है शायद ही कहीं और मिल पाएगा, क्योंकि किसी के भी घर परिवार में कोई शादी हो,फंक्शन हो, किसी भी तरह का उत्सव हो तो हमारे लिए अलग से प्रोग्राम करते हैं। हमारी दावत करते हैं और ये लोग एक परसेंट भी किसी के धर्म और कर्म के विरुद्ध कोई काम नहीं करते जिससे अगले को ठेस पहुंचे। और अब मैं क्या बताऊं मेवात के बारे में लिखने को मेरे पास कोई शब्द ही नहीं हैं, मेवात तो वैसे ही नाम से बदनाम है वरना मेवात जैसे इंसान, मेवातियों जैसी दोस्ती, मेवात जैसा इलाका शायद ही कहीं मिल पाएगा। हमने मेवात के लिए रातों को सफर किया है। रात को हिसार और भिवानी से जयपुर वाली ट्रेन में बैठते थे सुबह 4:00 बजे अलवर उतरते थे, अलवर से फिर दिल्ली वाली बस में बैठकर फिरोजपुर झिरका नगीना आते और फिर अपनी कर्मभूमि के लिए जाते थे। तो यहां का जो एक्सपीरियंस है वह शायद हमारे लिए बहुत ही आनंदमयी और स्वर्णिम पल रहेंगे अपनी जिंदगी के तजुर्बे में से।
धन्यवाद आपका अपना अनिल भारती जेबीटी अध्यापक राजकीय प्राथमिक पाठशाला जरगाली स्कूल कोड 15671 खंड नगीना पिन कोड 122108