दिल्ली (म.मो.) बीते सात साल से हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं का इस तरह बेड़ा गर्क कर दिया है कि उन्हें अपने खुद के इलाज के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। करीब डेढ साल पहले जब इनकी टांग टूटी थी तो इलाज के लिये मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। गत वर्ष कोरोना होने पर अपने तमाम बड़े-बड़े सरकारी अस्पताल छोड़ कर गुडग़ांव के मेदांता में आकर भर्ती हुए। इसी सप्ताह ऑक्सीजन लेवल काफी डाउन हो जाने के चलते काफी गंभीर स्थिति में दिल्ली के उस एम्स अस्पताल की शरण में आए जिसका निर्माण 1956 में जवाहर लाल नेहरू ने कराया था।
विज महोदय तो चंडीगढ़ से चलकर उस एम्स में आकर झट से भर्ती हो गए जिसमें भर्ती होने के लिये लोग वर्षों तक इन्तजार करते रहते हैं। उनसे कोई पूछे कि राज्य के वो गरीब, लाचार लोग अपना इलाज कराने कौन से अस्पताल में जायें? ड्रामेबाज़ी के तौर पर विज साहब राज्य के अस्पतालों में यदा-कदा छापेमारी की नौटंकी तो करते रहते थे परन्तु उन अस्पतालों में न तो बड़े पैमाने पर खाली पड़े पदों को कभी भरने की सोची और न ही आवश्यक दवाओं एवं उपकरणों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया।
जिस जवाहर लाल नेहरू को विज समेत तमाम भाजपाई पानी पी-पी कर कोसते हुए देश का बंटाधार करने का दोषी ठहराते हैं, उसी नेहरू के बनाये अस्पताल की बजाए वे अटल बिहारी वाजपेयी या मोदी द्वारा बीते सात सालों में बनाए गए किसी एम्स में क्यों नहीं गये? वैसे भी इन लोगों को अस्पतालों की कोई खास जरूरत तो होनी नहीं चाहिये क्योंकि इनके पास लाला रामदेव द्वारा निर्मित एक से एक बेहतरीन कोरोनिल जैसी दवायें मौजूद हैं। वैसे तो इसकी भी क्या जरूरत है, जिस गौ मूत्र व गोबर के इस्तेमाल की सलाह जनता को देते हैं उसी का इस्तेमाल खुद भी कर लेते। झज्जर के इलाके में कांग्रेस राज में जो एम्स अस्पताल बनाया गया था, उसमें बीते सात साल में विज की सरकार ने रत्ती भर भी काम आगे नहीं बढ़ाया। इतना ही नहीं 2019 के चुनावों से पहले जनता को बेवकूफ बनाते हुए नारनौल के इलाके में जिस एम्स का शिलान्यास खट्टर जी ने किया था आज तक एक ईंट भी नही लगी। उन्हीं दिनों में भिवानी-हांसी रोड पर स्थित गांव प्रेम नगर की बीसियों एकड़ पंचायती ज़मीन अस्पताल बनाने के नाम पर कब्जाई थी उसका भी यही हाल है।
समझा जा सकता है कि अस्पताल के नाम पर जनता को लारे-लप्पे देकर बहकाने में ये लोग माहिर हैं। वास्तव में इन्हें अस्पताल आदि बनाने में कोई रुचि नहीं है। इनके अपने इलाज के लिये तमाम पंचतारा निजी व सरकारी अस्पताल जो मौजूद हैं।