फरीदाबाद (म.मो.) घोषणावीर मुख्यमंत्री खट्टर ने घोषित किया है कि पलवल में मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा। किस जगह पर खोला जायेगा, कब निर्माण कार्य शुरू होगा, इसके लिये कितना बजट रखा गया है? कोई पता नहीं। दरअसल भारतीय जुमला पार्टी के घोषणावीर घोषणाएं करने में कोई कंजूसी नहीं करते क्योंकि इस पर कोई खर्चा तो लगता नहीं और लोग मुफ्त में ही तालियां बजा देते हैं। इतना भर करने से ही जब वोट मिल जाते हों तो कोई काम करने की जरूरत ही क्या है?
खट्टर जी इस क्षेत्र पर इतना ही मेहरबान होते तो, बीते तीन साल से अपने कब्ज़े में लिये बैठे मोठूका (छांयसा) स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज को ही चालू कर देते। यह पूरी तरह से बना-बनाया मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल है। एक प्राइवेट शिक्षा व्यापारी ने इसे बनाया व कुछ वर्ष तक चलाया भी था। यानी कि एक चला-चलाया मेडिकल कॉलेज खट्टर साहब के हाथ लग गया जिसे वे तीन साल में भी चला नहीं पाये और बाते करते हैं हर जि़ले में मेडिकल कॉलेज खोलने की।
बीते साल इस कॉलेज के लिये हरियाणा सरकार ने 12 करोड़ तथा इस वर्ष के बजट में 40 करोड़ का प्रावधान किया है। इस पैसे का कोई लाभ जनता को नहीं मिला। सरकार ने वहां केवल डायरेक्टर और ज्वाईट डायरेक्टर के नाम से दो सांड बिठा रखे हैं। ये दोनों ही इस पैसे को दांये-बांये करके फारिक हो जाते हैं। यदि खट्टर सरकार की नीयत सही होती तो वे बीते वर्ष ही 200 करोड़ का प्रावधान करते और इस वर्ष कम से कम 100 छात्रों को एमबीबीएस में दाखिला देते।
मेडिकल कॉलेज खोलने के बहाने खट्टर सरकार ने रेवाड़ी जि़ले में प्रस्ताव रखा था। इसके बहकावे में आकर एक गांव वालों ने अपनी 250 एकड़ ज़मीन सरकार के हवाले कर दी। लेकिन सरकार की नीयत तो केवल घोषणा करने तक ही सीमित थी लिहाज़ा आज तक वहां एक ईंट भी नहीं लगी और लगेगी भी नहीं। बताया जा रहा है कि यह ज़मीन जंगलात के लिये आरक्षित है। तो क्या हरियाणा सरकार को ज़मीन लेते वक्त यह तथ्य दिखाई नहीं दे रहा था? दिखाई तो दे रहा था लेकिन जनता को चकरघिन्नी में घुमाये रखने के लिये यह सब नौटंकी जरूरी थी।
इसी से मिलता-जुलता ड्रामा नारनौल में भी हो रहा है। वहां पर 2019 में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी। रोते-पीटते कछुआ गति से बिल्डिंग का निर्माण मात्र 63 प्रतिशत तक ही पूरा हो पाया है। लगभग पूरा का मतलब यह है कि निर्माण कार्य में छोटे-मोटे काम लटका कर रखे गये हैं जिनकी आड़ लेकर कॉलेज चलाने से बचा जा सके क्योंकि कॉलेज चलाने पर तो भारी-भरकम, कम से कम 200 करोड़ सालाना, खर्च होने वाला है। इस खर्चे को जहां तक हो सके टाले जाने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी तरह का एक पाखंड खट्टर जी ने भिवानी जि़ले में, भिवानी-हांसी रोड पर स्थित गांव प्रेम नगर की भी करीब 30 एकड़ ज़मीन कब्ज़ा ली है। गांव वालों को यह कह कर बेवकू$फ बनाया गया था कि यहां पर मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा। जुमलेबाज़ सरकार के बहकावे में आकर ग्रामीणों ने खुशी-खुशी अपनी यह ज़मीन सरकार के हवाले 2019 में कर दी थी।
इस ज़मीन को ठेके पर देने से ग्राम पंचायत को जो 20 लाख रुपये सालाना की आमदनी होती थी वह तो गई बंद और सरकार ने अब अपना पल्ला झाड़ते हुए मेडिकल कॉलेज बनाने से सा$फ इन्कार कर दिया है। इसको लेकर ठगा सा महसूस करने वाले ग्रामीण अब धरना प्रदर्शन करके अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं।
2018 में करनाल जि़ले के कुटेल गांव का मामला तो पाठक पिछले काफी दिनों से पढ़ ही रहे हैं। वहां भी सरकार ने ग्रामीणों को बहका कर 40 एकड़ बेशकीमती ज़मीन मेडिकल यूनिवर्सिटी के नाम पर हथिया तो ली है, बिल्डिंग भी जैसे-तैसे बना ली है परन्तु आगे का काम ठप्प है।
इनके अलावा हरियाणा सरकार ने 2019-20 के बजट में सिरसा, कैथल व यमुनानगर में तीन मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए मोदी जी ने खट्टर जी को पांच-पांच करोड़ रुपए प्रति मेडिकल कॉलेज के हिसाब से भेजे थे। अब इतनी रकम से तो मेडिकल कॉलेज बनने से रहे। इसके लिए हरियाणा सरकार ने संबंधित गांव वालों से बड़ी मात्रा में जमीनें तो कब्जा ली, लेकिन एक ईंट तक वहां लगी नहीं।
अब जनता खुद देख ले इन जुमलेबाजों के भरोसे कितने और कैसे मेडिकल कॉलेज बन पायेंगे।