शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर, डीडीओ ने किए कई घोटाले
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबादः शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के लिए लोगों को अदालत की शरण लेनी पड़ रही है। जिन शिक्षकों के कंधों पर शिक्षा देने की जिम्मेदारी है, वे गबन करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। ताजा मामला सेहतपुर के राजकीय हाई स्कूल का है, जहां फैले भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए यहां के टीचर को अदालत में जाना पड़ा।
संस्कृत शिक्षक की कारस्तानी ……………………………….
फरीदाबाद के स्पेशल जज राजेश गर्ग की अदालत में शिकायत की गई कि सेहतपुर के राजकीय हाई स्कूल में संस्कृत शिक्षक यतीन्द्र शर्मा के पास डीडीओ (ड्राइंग और डिसबर्सिंग अफसर) का भी चार्ज था। ऐसे अधिकारी के पास फंड का बिल बनाने और उसे वसूलने का अधिकार होता है। वह सरकारी पैसे का इस्तेमाल कर सकता है। अदालत को इसी स्कूल के एक अन्य शिक्षक ललित भारद्वाज ने अपने वकील के जरिए बताया कि यतीन्द्र शर्मा ने कुछ अन्य आरोपियों के साथ मिलकर स्कूल के लिए बिल्डिंग मटीरियल खरीदा। सप्लायर को दो लाख का भुगतान किया जाना था लेकिन आरोपी यतीन्द्र कुमार ने चेक पर दो लाख की राशि को 2,26,00 रुपये कर दिया। ललित भारद्वाज ने यह जानकारी आरटीआई के जरिए हासिल की थी। उन्होंने अदालत के सामने बिल और आरटीआई की कॉपी पेश की।
स्टेट अवॉर्ड में धांधली ……………………… अदालत में आरोप लगाया गया कि डीडीओ यतीन्द्र शर्मा ने राजकीय हाई स्कूल सेहतपुर की हेड मास्टर और अन्य अधिकारियों से मिलकर ऐसी फर्जी रिपोर्ट बनाईं जिनके जरिए राज्य पुरस्कार प्राप्त किए गए। इनकी इस हरकत की वजह से दावेदार शिक्षक और कर्मचारी राज्य पुरस्कार पाने से वंचित रह गए। राज्य पुरस्कार पाने के लिए किसी भी स्कूल को अपने विद्यार्थियों के प्रदर्शन के आधार पर मिलता है। लेकिन आरोप है कि यतीन्द्र कुमार ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन की फर्जी रिपोर्ट पेश की, जिस वजह से पुरस्कार मिला।
छुट्टी देने में भी गड़बड़ी ………………………. डीडीओ के पास शिक्षकों को छुट्टी देने, उनकी एसीपी बनाने, उन्हें प्रमोशन दिलाने की जिम्मेदारी होती है लेकिन आरोपी यतीन्द्र ने इसे बिजनेस बना लिया और शिक्षकों को छुट्टी देने के नाम पर उनका आर्थिक दोहन किया गया। शिक्षा विभाग ने इसके खिलाफ मिल रही शिकायतों की वजह से इनका सितम्बर 2014 में तबादला कर दिया। लेकिन इस शख्स ने नए डीडीओ को पदभार सौंपने और जरूरी फाइलें देने में धांधली की। यतीन्द्र कुमार शिक्षा विभाग में खुद को सीएम फ्लाइंग स्क्वाड का सदस्य बताता था। इस वजह से लोग इनके खिलाफ शिकायत करने में हिचकते थे। इतना ही नहीं यतीन्द्र ने अपने संबंध विधायक से भी बताए, ताकि कोई कार्रवाई न हो जाए। उसने शिक्षकों पर धौंस जमाते हुए कहा कि उसका कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता, क्योंकि उसके राजनीतिक लोगों से संबंध है। यतीन्द्र का यह दावा सच भी था। ललित भारद्वाज ने अदालत की शरण में जाने से पहले यतीन्द्र कुमार की शिकायत फरीदाबाद, जिला प्रशासन, पुलिस अफसरों तक से की लेकिन कहीं से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अदालत का आदेश/निर्देश …………………………… स्पेशल जज राजेश गर्ग ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी यतीन्द्र कुमार जब डीडीओ था तो उसने फंड का न सिर्फ दुरुपयोग किया बल्कि उसमें पैसे का गबन किया। उसने फर्जी बिल बनाए। उसने शिक्षकों को एसीपी में भी गड़बड़ी की। उसने अपना चार्ज सौंपने में टालमटोल की, जिस वजह से विभाग ने भी एक्शन लिया। इसलिए इस शख्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 467, 468 और 471 के तहत मामला बनता है। इसलिए आरोपी को इन धाराओं में समन जारी किया जाता है। इसी के साथ इस शिकायत को फरीदाबाद के चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) की कोर्ट को भेजा जा रहा है, जहां इसे 25 जनवरी 2021 को पेश किया जाए। सीजेएम चाहें तो खुद सुनवाई करें या फिर वो किसी जूडिशल मैजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमआईसी) को भी यह जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।
डीईओ की जांच जिला प्रशासन को
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) सतेन्द्र कौर के खिलाफ भी हरियाणा शिक्षा विभाग ने जांच का आदेश दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी सतेन्द्र कौर के खिलाफ भी भ्रष्टाचार और गबन करने के मामलों की शिकायत हरियाणा सरकार और सीएम विंडो पर की गई थी। सीएम विंडो से होते हुए यह शिकायत सेकेंडर एजुकेशन के डायरेक्टर के पास भी पहुंची। डायरेक्टर ने इस संबंध में फरीदाबाद के डीसी यशपाल यादव को पत्र लिखकर इस मामले की जांच किसी एचसीएस अफसर से कराने का अनुरोध किया गया है। शिक्षा विभाग ने फरीदाबाद के डीसी से यह रिपोर्ट अगले पन्द्रह दिनों में मांगी है।