करनाल (म.मो.) स्कूली शिक्षा के बेहतर परिणामों के लिये मंगलसेन सभागार में 12 जनवरी को राज्य भर के स्कूलों के मुखियाओं से सीधे संवाद का आयोजन किया गया। इसमें एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) महावीर सिंह ने स्कूल मुखियाओं से अच्छे परीक्षा परिणान न आने के कारण पूछे तथा इसके लिये उन्होंने जमकर फटकारा।
ये देश का दुर्भाग्य है कि जो अधिकारी खुद शिक्षा का बेड़ा गर्क करने के लिये जिम्मेदार हो वही उल्टे अध्यापकों से इसके कारण पूछकर उन्हें फटकार लगा रहा है। कोई पूछे महावीर सिंह से कि स्कूलों में अध्यापकों के कितने पद खाली पड़े हैं? ये बात करते हैं कि विज्ञान व गणित की जबकि स्कूलों में गणित और विज्ञान के अध्यापक ही नहीं है और न ही विज्ञान की प्रयोगशालायें; ऐसे में बच्चे इन विषयों में 80 प्रतिशत अंक कहां से लायेंगे? महावीर सिंह की छत्रछाया में पूरा शिक्षा विभाग घपले-घोटालों व लूट कमाई का अड्डा बना हुआ है। विभाग के निचले से निचले स्तर यानी खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से लेकर, पंचकुला स्थित उनके अपने कार्यालय तक अधिकारी बिना रिश्वत के काम करने को राजी नहीं।
अध्यापकगण बच्चों को पढ़ाने की बजाय अपने हर छोटे-मोटे काम के लिये इन दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं। जबकि ये तमाम काम ऐसे होते हैं जो दफ्तर में बैठे बाबुओं द्वारा स्वत: कर दिये जाने चाहिये। शिक्षा विभाग का उद्देश्य अब बच्चों को शिक्षित करना नहीं रह गया है बल्कि शिक्षा के नाम पर अधिक से अधिक लूट कमाई करना रह गया है।
विभाग के हर महत्वपूर्ण पद पर उसे नियुक्त किया जाता है जो बड़ी से बड़ी डकैतियां मार कर अधिक से अधिक लूट कमाई करके अपने आकाओं को दे सके। आये दिन ऐसे डकैतों द्वारा मारी गई डकैतियों के पकड़े जाने के बावजूद भी किसी के खिला$फ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। इससे निर्भय एवं प्रेरित होकर अधिक से अधिक विभगीय कर्मचारी बड़ी से बड़ी डकैती मारने में जुटे रहते हैं। इसके अलावा सर्वशिक्षा अभियान का तो एक मात्र उद्देश्य ही लूट कमाई है, इसका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। सर्वविदित है कि स्कूल शिक्षकों से तमाम तरह के गैरशैक्षणिक कार्य….चुनाव सम्बन्धी, जनगणना सम्बन्धि एवं तरह-तरह के सर्वेक्षण इत्यादि करवाये जाते हैं सिर्फ बच्चे नहीं पढ़वाये जाते।
विभाग मुख्यालय में बने एकैडमिक सेल में डॉ. प्रमोद व नंद किशोर नाम के जो दो जमूरे बैठा रखे हैं उनका एकमात्र काम शिक्षा बजट को ठिकाने लगाना और पढ़ाई का सत्यानाश कराना है। प्रमोद जो डॉक्टर की डिग्री लगाये फिरता है, उससे कोई पूछे कि उसने दुनियां के कौन से विश्वविद्यालय में कौनसा शोध करके यह नकली डिग्री हासिल की है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार स्कूल मास्टर प्रमोद ने मुख्याल में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके मानव रचना विश्वविद्यालय को ट्रेनिंग प्रोग्राम के नाम पर करोड़ों रुपये के भुगतान किये हैं। उसके बदले अन्य उपहारों के अलावा यह डॉक्टरी डिग्री भी उसे यहीं से मिली है।
तमाम स्कूलों में अध्यापकों व अन्य आवश्यक संसाधनों की कमी के बावजूद ये लोग बजट का दुरुपयोग टेबलॉयड, एजुसेट, जनरेटर सेट, कम्प्यूटर सेट आदि-आदि की खरीदारी पर करते हैं ताकि मोटा कमीशन खुद भी खा सकें और अपने ऊपर बैठे अधिकारियों व नेताओं को भी खिला सकें। किसी जमाने में जब इस विभाग की कमान सुरीना राजन के हाथ में आई थी तो उन्होंने इन दोनों को यहां से भगा कर स्कूलो ंमें तैनात कर दिया था। परन्तु उनके जाते ही ये लोग $िफर वापिस यहीं आ जमे।