कव्वा चला हंस की चाल, अपनी चाल भी भूल गया फरीदाबाद (म.मो.) मुख्यमंत्री खट्टर को बिना कुछ करे-धरे मीडिया में छाये रहने का बड़ा रोग है। इसलिये वे अपने मुखारबिंद से हर रोज कुछ न कुछ फूटते रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने राज्य परिवहन की बसों में ई-टिक्टिंग प्रणाली लागू करने की घोषणा कर डाली। इसे उन्होंने डिजिटल प्रणाली की ओर बढ़ता हुआ कदम बताया। दरअसल विदेशों में घूमते-फिरते उन्होंने वहां की बसों में इस सिस्टम को देखा होगा।
बस फिर क्या था, उनकी नकल करते हुए खट्टर महाशय ने भी बिना कुछ सोचे समझे यहां भी उसी प्रणाली को लागू करने का फरमान जारी कर दिया। उन्होंने यह सोचने व समझने की कोई जरूरत नहीं समझी कि हरियाणा में इन्टरनेट एवं इसके सर्वरों की हालत क्या है? बस झट से हजारों की संख्या में ई-टिक्टिंग मशीन खरीद कर कंडक्टरों के हाथों में दे दी गई। इन्हें लेकर अब कंडक्टर परेशान हैं। पांच-दस टिकटें काटने के बाद मशीन बोल जाती हैं, कभी सर्वर डाउन है तो कभी कनेक्टिविटी नहीं है तो कभी मशीन खराब हो गई है।
अब पूछे कोई इन खट्टर साहब से कि बैठे-बिठाये इन्हें इस खुराफात की सूझी कैसे, जब सही सलामत ढंग से कंडक्टर टिकटें काटते आ रहे थे? लगता है कि आईडी बनाने का ठेका लेने वाली याशी कम्पनी की तरह किसी संघी भाई ने ई-टिक्टिंग मशीन का धंधा शुरू कर दिया होगा। इसकी हकीकत भी शीघ्र ही सामने आ जायेगी। फिलहाल इन मशीनों के फेल होने से परिवहन विभाग को भारी घाटा लग रहा है। उक्त मशीनें तो कुछ समय बाद कबाडख़ाने में चली ही जायेंगी।