फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) यातायात पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 2023 में प्रत्येक मिनट पर एक वाहन का चालान किया और प्रति मिनट 267 रुपये जुर्माना भी वसूला। जुर्माना वसूल कर खज़ाना तो भर दिया गया लेकिन जो जरूरी काम था यानी यातायात व्यवस्था दुरुस्त करना वो नहीं किया गया। पूरे शहर के सभी प्रमुख चौक चौराहों से लेकर मुख्य सडक़ों पर अधिकतर समय जाम की स्थिति रहती है, इस जाम को दूर करने के उपाय तलाशने के बजाय चालान को मुख्य हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया। यदि यातायात पुलिस अवैध कट, सडक़ किनारे खड़े अतिक्रमण कर खड़े भारी वाहनों जैसी समस्याएं दूर करे तो यातायात व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है।
यातायात पुलिस ने वर्ष 2023 में 5.30 लाख्र वाहनों के चालान काट कर 14.15 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला। यातायात थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि ज्यादा चालान रांग साइड वाहन चलाने वालों का काटा गया है। बताया कि सबसे ज्यादा वायएमसीए चौक के पास वाहन चालक रांग साइड चलते हैं। इनके अलावा बडख़ल चौक, एनएचपीसी अंडरपास, बडख़ल पुल, अजरौंदा चौक की सर्विस लेन पर भी रांग साइड वाहन चलते हैं। बताया कि चालान करने के साथ ही इन वाहन चालकों को जागरूक भी किया जाता है। दरअसल, नेशनल हाइवे पर अंडरपास, कल्वर्ट पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाए गए हैं। उदाहरणार्थ वायएमसीए से कुछ ही दूर स्थित मुजेसर गांव जाने के लिए लोगों को बल्लभगढ़ से छह किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, ऐसे में बहुत लोग रांग साइड का शॉर्टकट चुनते हैं। इसी तरह गुडईयर कट से दिल्ली हाईवे पर चढऩे के लिए भी वाहन चालकों को ढाई किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ जाना पड़ता है। यानी शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से की ओर जाने के लिए दो से छह किलोमीटर का चक्कर काटने से बचने के लिए ही वाहन चालक मजबूरी में रॉंग साइड चलते हैं।
जिस तरह बदरपुर बॉर्डर पर ढाई-तीन किलोमीटर लंबा एलिवेटेड मार्ग बनाया गया है जिससे नीचे चलने वाले वाहनों को कई जगह दूसरी ओर जाने की सुविधा मिलती है उसी तरह शहर के बीच से गुजर रहे हाईवे को एलिवेटेड बनाया जा सकता था जिससे ये असुविधा नहीं होती। पानीपत में शहर के बीचोबीच छह किलोमीटर लंबा एलिवेटेड मार्ग बनाया गया है जिससे शहर की यातायात व्यवस्था सुचारु रूप से चलती है। ऐसी ही व्यवस्था यहां भी की जा सकती थी जो नहीं की गई। यानी अव्यवस्था दूर नहीं करो बल्कि उससे फायदा उठाओ, इस नीति पर काम किया जा रहा है।
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के तहत जुर्माना सरकार की आमदनी का जरिया नहीं बल्कि नियंत्रण के लिए लगाया जाता है लेकिन व्यापारी बन चुकी सरकार जनता को हर तरह से दुहना चाहती है यही कारण है कि चालान की दरें भी दस-बीस गुना बढ़ा कर कमाई की जा रही है। टारगेट हासिल करने के लिए यातायात जागरूकता के नाम पर हर सप्ताह-माह अभियान चलाए जाते हैं, समझने वाली बात है कि अभियान के दौरान सबसे ज्यादा चालान काटे जाते हैं, यानी नाम जागरूकता का और काम टारगेट पूरा करने का। यदि यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने की नीयत है तो अभियान चलाने के बजाय चौबीस घंटे सातों दिन सडक़ पर उतर कर काम किया जाना चाहिए। इतनी बड़ी संख्या में यातायात पुलिस मौजूद है बावजूद इसके यदि सडक़ों पर वाहन गलत साइड चलाए जा रहे हैं तो इसका मतलब यही है कि व्यवस्था दुरुस्त करने की नीयत ही नहीं है।
सवाल ये है कि जब इतने चालान होते हैं और जुर्माना वसूला जाता है तो फिर क्यों जाम की स्थिति बनी रहती है। इसका कारण है ऊपरी कमाई, उदाहरणार्थ एक दो के चौक पर हमेशा तिपहिया वाहनों के कारण जाम लगता है, स्थायी आमदनी का स्रोत होने के कारण यातायात पुलिस इन ऑटो चालकों का न तो चालान करती है और न ही हटाने का प्रयास किया जाता है। इसी तरह एक नंबर मार्केट में पार्किंग व्यवस्था न होने के कारण वाहनों के खड़े होने से जाम की स्थिति बनी रहती है, यहां भी दुकानदारों से भाईचारा निभाते हुए यातायात पुलिस जाम को भगवान और दुकानदारों के भरोसे छोड़ ही देती है।
शहर के व्यस्ततम मार्गों में से एक हार्डवेयर-बाटा मार्ग पर हार्डवेयर चौक से बाटा पुल के बीच सडक़ किनारे भारी वाहनों की लाइन लगी रहती है। शहर के बीचोबीच स्थित इस मार्ग पर ये भारी वाहन यातायात पुलिस की अनुकंपा से ही खड़े होते हैं, ये अनुकंपा मुफ़्त तो होती नहीं, अन्यथा यातायात पुलिस जाम खत्म कराने के लिए इन भारी वाहनों को यहां खड़ा ही नहीं होने देती। यातायात पुलिस को इन भारी वाहनों की तरह ही हर चौक चौराहे पर बेतरतीब ढंग से खड़े होने वाले ऑटो, ई रिक्शा भी नजर नहीं आते। ओल्ड चौक, बढख़ल चौक, बाटा मैट्रो स्टेशन से लेकर बल्लभगढ़ तक राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्विस रोड के हर चौक और कट पर इन ऑटो की भीड़ दिख जाएगी।
रेड लाइट, जेब्रा लाइन पार करने वालों का ऑनलाइन चालान भी यातायात पुलिस की आमदनी का बड़ा जरिया है। राजीव चौक, एशियन हॉस्टिपटल क्रॉसिंग सहित कई चौक चौराहे हैं जहां ऑनलाइन चालान कट जाता है। कई चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग, रेड लाइट क्रॉस करने के बाद बनी हुई है, यानी जेब्रा क्रासिंग नहीं भी पार की लेकिन रेड लाइट क्रॉस करने का चालान कट जाता है। कई चौराहों पर जेब्रा क्रासिंग मिट चुकी है, निशान भी नहीं होने के कारण वाहन चालक रेड लाइट देख कर वाहन रोकते हैं लेकिन चालान कट जाता है। यातायात पुलिस इन अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के बजाय चालान काट कर सरकार का खज़ाना भरने में लगी है।
सवाल ये भी है कि वाहन चालकों से जुर्माना तो मोटा वसूला जा रहा है लेकिन ये धन इस्तेमाल कहां किया जा रहा है। मुख्य सडक़ों से लेकर फ्लाईओवर तक गड्ढों से पटे पड़े हैं। टूटी-फूटी, गड्ढायुक्त सडक़ों के कारण वाहनों की गति कम होती है, तो इन में फंस कर दो पहिया वाहन चालक हादसे का शिकार होते हैं, और वाहन क्षतिग्रस्त होते हैं। शहर के मनोज वाधवा के तीन साल के बेटे पवित्र की मौत इन्ही गड्ढों के कारण हो गई थी जबकि उनकी पत्नी टीना पैर कुचलने के कारण बुरी तरह घायल हुई, उनका इलाज आज तक मुकम्मल नहीं हुआ। हादसे को दस साल बीत चुके हैं लेकिन इस परिवार को आज तक इंसाफ नहीं मिल सका है। यदि सडक़ में गड्ढा न होता तो ये हादसा भी नहीं होता। सरकार यातायात नियमों के उल्लंघन के नाम पर वाहन मालिकों से कमाई तो खूब कर रही है लेकिन उनकी सुविधा के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। हर मिनट चालान काटने वाली यातायात पुलिस को यह रिपोर्ट भी तो बना कर सरकार को भेजनी चाहिए कि कहां कहां खराब सडक़ के कारण जाम लगता है, सडक़ हादसे होते हैं, या वाहनों की औसत गति काफी कम हो जाती है। इन क्षतिग्रस्त और खराब सडक़ों को ठीक करा हर साल करोड़ों रुपये जुर्माना चुकाने वाले वाहन चालकों को कुछ तो सहूलियत मिलनी चाहिए।