‘ग्रेप’ की नौटंकी से बढ़ता जा रहा है वायु प्रदूषण

‘ग्रेप’ की नौटंकी से बढ़ता  जा रहा है वायु प्रदूषण
October 22 01:21 2022

फरीदाबाद (म.मो.) सांस लेने के लिये शुद्ध वायु प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है जब इससे भी नागरिक वंचित रह जायें? इसके लिये सरकार पूर्णतया दोषी होने के बावजूद सारा दोष नागरिकों के सिर मढऩे के साथ-साथ तरह-तरह की नौटंकियों के द्वारा यह बताना चाहती है कि वह पूरी गम्भीरता से इस समस्या का समाधान करने में जुटी है। इसके लिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एनजीटी जैसे ड्रामे रच दिये हैं।

इसी श्रृंखला में बीते तीन साल से ‘ग्रेप’ के नाम से एक नया पाखंड भी खड़ा कर दिया है। पाखंड इस लिये कि इन सब का कोई असर वायु प्रदूषण पर नजर नहीं आ रहा है। यह दिन-ब-दिन बढ़ता हुआ प्रतीत होता है। पुराने अनुभवों के आधार पर, ज्यों ही सर्दी का आगमन होता है, प्रदूषण बढऩे लगता है। इसे रोकने के लिये ‘ग्रेप’ प्रणाली का नया शगूफा पेश किया गया है। इस प्रणाली के अनुसार नगर निगम ‘हूडा’, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीडब्लूडी, एनएचएआई, स्वास्थ्य विभाग, बिजली विभाग यहां तक कि पुलिस विभाग तक सभी को इसमें जोड़ा गया है। यानी कि ये सभी विभाग मिलकर प्रदूषण रोकन का काम करेंगे। लेकिन इसके बावजूद परिणाम निल बटा सन्नाटा।

सरकार को सैंकड़ों किलोमीटर से आने वाला पराली का तथाकथित धुंआ तो नज़र आता है लेकिन शहर की टूटी सडक़ों से लगातार उठने वाले धूल के गुबार व जगह-जगह जलते कुड़े के ढेर नजर नहीं आते। इस धूल को दबाने के नाम पर पानी छिडक़ाव के भारी-भरकम बिल तो बनाये जा सकते हैं लेकिन सडक़ें ठीक नहीं की जा सकती। बीते सप्ताह सेक्टर 14,15,16,17 आदि सडक़ों की मुरम्मत के नाम पर गड्ढों में मिट्टी भर दी जिससे धूल के गुबार उठना स्वाभाविक है। यातायात की लचर व्यवस्था के चलते सडक़ों पर लगने वाले जाम से भी होने वाला प्रदूषण सरकार को नजर नहीं आता।

जनरेटर सेटों पर पाबंदी लगाने की बजाय सरकार बिजली की आबाध आपूर्ति की जिम्मेवारी क्यों नहीं लेती? सर्वविदित है कि कोई भी व्यक्ति जनरेटर अपनी खुशी से नहीं बल्कि मजबूरीवश चलाता है। उसी मजबूर व्यक्ति पर सरकार के ये महकमे प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर सवार हो जाते हैं, बिजली विभाग को कोई नहीं पूछता।

अभी क्या है, असली वायु प्रदूषण तो दीवाली की रात को दिखेगा, जब हिन्दुत्व के नाम पर जिला मैजिस्ट्रेट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए पूरा वातावरण बारूदी दुर्गन्धयुक्त धुंए से भर जायेगा। कानफोड़ू धमाकों का शोर तो होगा ही। तमाम आदेशों के उल्लंघना करते हुए यह खेल पूरी रात चलता रहेगा और जिला प्रशासन मूक तमाशाई बने रहने के अलावा कुछ भी नहीं कर पायेगा।

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Mazdoor Morcha
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