ग्रेप की घोषणा करने से नहीं, लागू करने से थमेगा प्रदूषण

ग्रेप की घोषणा करने से नहीं, लागू करने से थमेगा प्रदूषण
November 18 05:58 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। जिला उपायुक्त विक्रम सिंह प्रदूषण घटाने के लिए रोजाना नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं और शहर की आबोहवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। बुधवार को शहर देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर रहा। ऐसा इसलिए हुआ कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी हों या जिला प्रशासन, नगर निगम के ये सभी घोषणाएं और एडवाइजरी जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते हैं उन्हें गंभीरता से लागू नहीं करते।

शहर में बीते दस दिन से स्मॉग छाया हुआ है हवा में प्रदूषणकारी तत्व पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और पीएम 10 की मात्रा बहुत खतरनाक स्तर तक घुली हुई है। वातावरण में प्रदूषण की गहनता इतनी है कि सूरज की भरपूर किरणें भी जमीन तक नहीं पहुंच पा रहीं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एडवाइजरी जारी करने तक सीमित हैं। जिला उपायुक्त भी शहर में ग्रेप एक से लेकर ग्रेप चार तक लागू होने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन इनका पालन नहीं हो रहा है।

ग्रेप एक के तहत सभी तरह की निर्माण और तोडफ़ोड़ के कार्य बंद होने चाहिए। खुले में कूड़ा कचरा जलाया जाना पूर्णतया प्रतिबंधित होता है। सडक़ों की मेकेनिकल ढंग से सफाई करने के साथ उन पर पानी का छिडक़ाव होना चाहिए। पटाखों पर भी प्रतिबंध लागू होता है।

नगर निगम और जिला प्रशासन शहर की आबोहवा खराब होने के साथ ही ग्रेप एक के प्रतिबंध ही लागू नहीं कर सके थे। कृष्णा नगर कॉलोनी में रेलवे लाइन के पास, सरूरपुुर इंडस्ट्रियल एरिया से लेकर बाईपास रोड पर रोजाना कचरा जलाया जाता रहा। ईकोग्रीन के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जगह जगह इकट्ठा कूड़े के ढेरों को भी आग के हवाले किया गया लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया।

ग्रेप दो और तीन के तहत प्रतिदिन सडक़ों की सफाई और पीक समय से पूर्व ही सडक़ों पर पानी का छिडक़ाव किया जाना, सभी प्रकार के निर्माण कार्य पर पूर्णतया प्रतिबंध, आवश्यक सेवाओं को छोडक़र सभी तरह के ट्रक, डंपर आदि पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। प्रशासन ने मंगलवार से सडक़ों पर छिडक़ाव करवाना शुरू करवाया वो भी कुछ ही सडक़ों पर जबकि ग्रेप तीन के तहत सभी सडक़ों पर रोजाना छिडक़ाव कराना चाहिए।

सभी ग्रेप लागू हैं और गुडग़ांव रोड स्थित हनुमान मंदिर के सामने थर्मल पावर प्लांट के डंपिंग यार्ड से राख की खुदाई, लदाई और ढुलाई धड़ल्ले से जारी है। ट्रक डंपर के चलने पर प्रतिबंध है बावजूद इसके यहां डंपर चल रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार बिना नंबर प्लेट वाले इन डंपरों में अधिकतर दस साल से भी पुराने हैं। लेकिन न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को यह दिखाई देता है न प्रशासन को। राख का यह अवैध धंधा पुलिस, खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से जारी है। काली कमाई की भूख इतनी कि ग्रेप चार लागू होने के बावजूद इन अवैध डंपरों पर प्रतिबंध नहीं लगा है।

प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेीदारी निभाने वाले अधिकारी तो उक्त जानकारी से अनभिज्ञता जता रहे हैं तो समझा जा सकता है कि वे शहर की आबोहवा सुधारने के प्रति कितने गंभीर हैं। पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी संदीप सिंह कहते हें कि इस समय तो काली राख उठाई ही नहीं जानी चाहिए, अगर इस तरह का काम हो रहा है तो इस पर तत्काल रोक लगवाई जाएगी। अधिकारियों से बात कर मौके पर टीम भेज कर कार्रवाई की जाएगी।

कुछ स्थानों पर मात्र घड़ीनुमा यंत्र लगाकर जनता को वायु प्रदूषण की गंभीरता से अवगत करा देना ही सरकार अपना दायित्व समझती है। देश का दुर्भाग्य तो यह है कि स्थिति गंभीर से गंभीरतम होते जाने के बावजूद जनता इसके विरोध में कुछ भी कर पाने की जरूरत नहीं समझ रही। इतना ही नहीं आग में घी डालते हुए पटाखे बजाने में ही अपने धर्म को तलाशते हैं, बढ़ती श्वास बीमारियों तथा पटाखेबाजी का अपराध घोषित कर दिए जाने के बावजूद पटाखे जलाकर वायु प्रदूषण फैलाना जनता अपना धार्मिक अधिकार समझती है। घरेलू गैस इतनी महंगी कर दी गई है कि गरीब आदमी लकड़ी उपले जलाकर चूल्हा जलाना बेतहर समझने लगा है इसके परिणामस्वरूप गरीब बस्तियों में सुबह शाम धुएं के गुबार आसमान में अटक कर खड़े हो जाते हैं।
इतने भयंकर प्रदूषण को देखते हुए यदि जनता में जरा भी जागरूकता होती तो पूरा शहर सडक़ों पर उतर आता लेकिन कुछ कांग्रेसियों ने ही पूर्व मंत्री करन दलाल के नेतृत्व में हल्का फुल्का प्रदर्शन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

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Mazdoor Morcha
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