फरीदाबाद नगर निगम और जिला प्रशासन भी खट्टर की तरह झूठ बोलने में माहिर हो गया है। विरोध के कारण भले ही रिवाजपुर में डंपिंग यार्ड नहीं बनाए जाने का आश्वासन दिया गया हो लेकिन निगम द्वारा जारी टेंडर में यह झूठ सामने आया है।
स्वच्छ भारत मिशन/ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की मद में जारी किए गए इस टेंडर में रिवाजपुर मेें कचरा भरने के लिए नए गड्ढे बनाने पर 34.45 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान है। पाली, मुजेड़ी, प्रतापगढ़ और रिवाज़पुर साइट के रिफ्यूज्ड ड्राइव्ड फ्यूल आरडीएफ को सीमेंट प्लांट और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट तक भेजे जाने के लिए 72.2 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रावधान है। लेकिन ये नहीं बताया गया कि सीमेंट प्लांट कहां हैं न तो एनसीआर और न ही हरियाणा में इस तरह के कोई प्लांट हैं।
बताते चलें कि ईकोग्रीन अभी तक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट नहीं लगा सकी है और न ही आसपास कोई इस तरह का प्लांट है जहां ये आरडीएफ भेजा जा सके। ईकोग्रीन निकट भविष्य में यह प्लांट लगाएगी ऐसा भी नहीं लगता। यानी ये सिर्फ झुनझुना साबित होने वाला है रिवाज़ुर सहित अन्य जगहों पर यह कचरा डंप ही रहेगा और बंधवाड़ी की तरह एक दिन कचरे के पहाड़ नजर आएंगे।
टेंडर में पाली, मुजेड़ी, प्रतापगढ़ और रिवाजपुर साइट पर बनने वाली कंपोस्ट, मृदा संवर्धक आदि को शिफ्ट करने की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए 3.285 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह भी आरडीएफ बनाने की तरह का ही झुनझुना साबित होने वाला है। ईकोग्रीन कंपनी आठ साल में कंपोस्ट और मृदा संवर्धक तो बना नहीं सकी नगर निगम इन एजेंसियों से यह काम चंद दिन में कराने का ढिंढोरा पीट रहा है। वरिष्ठ समाजसेवी सुरेश चंद गोयल कहते हैं कि ये टेंडर और अन्य कागजी प्रक्रिया केवल एनजीटी में पेश कर यह दिखाने के लिए हैं कि काम हो रहा है। रिवाजपुर के बाद अब प्रतापगढ़ में विरोध जारी है और जनता किसी भी कीमत पर डंप यार्ड नहीं बनने देगी लेकिन एनजीटी में यह कागज लगाकर गुमराह किया जाएगा। एनजीटी के सदस्य भी तो केंद्र सरकार द्वारा ही चुने जाते हैं वह भी वही करेंगे जो आका मोदी चाहेंगे। यह धींगामुश्ती जारी रहेगी, होना कुछ नहीं है।