फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। नगर निगम में दो सौ करोड़ रुपये के गबन और भ्रष्टाचार करने के आरोपी पूर्व चीफ इंजीनियर दौलत राम भास्कर को उच्च न्यायालय ने अपनी और पत्नी की सारी चल- अचल संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश दिया है। अदालत इस संपत्ति के आधार पर अनुमान लगाएगी कि डीआर भास्कर कितने ईमानदार थे। दो सौ करोड़ घोटाले के मामले में अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है, अब भास्कर का अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा।
नगर निगम में हुए दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले में चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर, वरिष्ठ लेखाधिकारी विशाल कौशिक और ठेकेदार सतबीरा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। डीआर भास्कर को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। 13 दिसंबर को हुई सुनवाई में चीफ इंजीनियर के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनका मुवक्किल ईमानदार है और उसे गलत ढंग से फंसाया गया है। उसने अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी और लगन के साथ निभाई और कभी भी किसी तरह का फायदा नहीं उठाया। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश अनिल चित्कारा ने आदेश दिया कि डीआर भास्कर अपनी ईमानदारी साबित करें। इसके लिए उन्हें स्वयं की और अपनी पत्नी सारी चल अचल संपत्ति की जानकारी न्यायालय और राज्य सरकार को देनी होगी। इसके तहत उन्हें बताना होगा कि 31 मार्च 2023 में उनकी संपत्ति का कुल मूल्य क्या था और वर्तमान में उसका क्या मूल्य है। इसके अलावा भारतीय और विदेशी मुद्रा में नकदी, सभी बैंक और पोस्ट ऑफिस खातों की डिटेल, विदेश में बैंक खाते की डिटेल, क्रिप्टो करंसी, इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर का वर्तमान मूल्य, आवर्ती जमा, फिक्स डिपॉजिट, बॉंंड, पेंशन प्लान, जीपीएफ, पीपीएफ, एनपीएस और इंश्योरेंस पॉलिसी की पूरी जानकारी के साथ ज्यूलरी, कीमती धातु, कीमती और विशेष सामान, कृषि फार्म, कृषि से जुड़े कार्यों से होने वाली आय आदि का ब्यौरा देना होगा। यदि व्यापार करते हैं तो उसकी आमदनी आदि सबकी जानकारी देनी होगी। उन्हेें यह जानकारी चार जनवरी 2024 तक देनी है।
नगर निगम सूत्रों के अनुसार चीफ इंजीनियर पद पर रहते हुए डीआर भास्कर ने राजनेताओं को खुश करने के लिए सारे नियम कानून ताक पर रख कर विकास कार्यों के आदेश जारी किए। राजनेता मंत्रियों के चहेते ठेकेदार सतबीरा को ठेका देने के लिए उन्होंने एक्सईएन और एसडीओ स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट को खारिज करते हुए खुद ही सीधे आदेश जारी किए। जिन मंत्री राजनेताओं की खुशी के लिए डीआर भास्कर ने भ्रष्ट आचरण किया उनके जेल जाने के बाद किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया। यहां तक कि जेल में रहने के दौरान वह सेवानिवृत्त भी हो गए। अब उनके संपत्ति की घोषणा करने के बाद ही कोर्ट तय करेगा कि वो और उनका परिवार ईमानदार है या नहीं। नगर निगम के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार केवल फरीदाबाद में ही डीआर भास्कर और उनकी पत्नी के नाम की करोड़ों रुपये की अचल संपत्ति है। हाईकोर्ट ने केवल डीआर भास्कर दंपती की चल-अचल संपत्ति का ही ब्यौरा मांगा है। इसमें उनके अन्य परिवारीजन भाई, बेटियों की संपत्ति शामिल नहीं है, चर्चा है कि डीआर भास्कर ने अपने भाइयों और कर्मचारियों के नाम अकूत बेनामी संपत्ति फरीदाबाद, गुडग़ांव सहित अन्य शहरों में बनाई है। यदि वे ईमानदारी से सारी चल अचल संपत्ति की घोषणा करते हैं तो संभव है कि आय से अधिक संपत्ति रखने का केस भी उनको झेलना पड़े।