फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) खुद को केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का बेटा कहने वाले निगम के भ्रष्ट कार्यकारी अभियंता ओमदत्त द्वारा पाली रोड पर स्ट्रीट लाइट के नाम पर की गई लूट खुल कर सामने आ चुकी है। चार दिन पहले रात में चली तेज हवाओं में तीस से अधिक स्ट्रीट लाइटें उखड़ कर गिर गईं, ये तो सिर्फ एक रात में गिरी हैं वरना लगने के बाद से आए दिन एक न एक खंभा गिर ही रहा है। इस घोटाले की खबर मज़दूर मोर्चा जनवरी और मार्च में प्रकाशित भी कर चुका है बावजूद इसके कार्रवाई करना तो दूर अब अधिकारी इस भ्रष्टाचार को दबाने में जुटे हुए हैं।
ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) में 15-17 जनवरी को ग्लोबल इम्यूनोलॉजी समिट 2024 होनी थी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी को भी आना था। इस पर टीएचएसटीआई प्रबंधन ने पाली मार्ग पर चार किलोमीटर सडक़ पर आठ सौ स्ट्रीट लाइट लगाने और संस्थान में ट्यूबवेल स्थापना के लिए दो करोड़ रुपये जारी किए थे। दो सप्ताह से भी कम समय में स्ट्रीट लाइट के आठ सौ पोल लगाने में निगम के कई काबिल एक्सईएन ने हाथ खड़े कर दिए थे। लूट कमाई में माहिर ओमदत्त ने तुरंत ही काम लपक लिया था। उसने अपने चहेते ठेकेदार बलदेव एंड कंपनी को बिना ठेका प्रक्रिया पूरी किए ही काम सौंप दिया था। एक्सईएन एक करोड़ से अधिक के काम नहीं करवा सकता तो काम को दो हिस्सों में कराया गया। जिन खंभों केे लिए कम से कम चार चौड़ा और चार फीट गहरा गड्ढा बना कर आरसीसी से बेस बनाया जाना था उनके लिए बमुश्किल एक फुट गुणा एक फुट का गड्ढा खोद कर नींव में लगने वाला करीब तीन चौथाई धन हड़पा गया। नतीजा ये हुआ कि स्थापित होने के तीन सप्ताह बाद ही ये खंभे गिरने लगे थे। मज़दूर मोर्चा ने ये इससे संबंधित सभी तथ्य प्रमुखता से प्रकाशित किए थे लेकिन निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने न तो जांच कराई और न ही कोई कार्रवाई की। खंभे खरीदने से लेकर उनके लगाने तक में जम कर धांधली करने वाला ओमदत्त केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का बेटा होने का हवाला देकर अधिकारियों को दबाव में रखता है।
चार दिन पहले चली तेज हवा में एक ही रात में तीस खंभे उखड़ गए, इसकी जानकारी दूसरे दिन ही निगम आयुक्त मोना ए श्रीनिवास से लेकर नगर निगम के संयुक्त आयुक्त जीतेंद्र गर्ग को दी गई। केवल तीन महीने में ही खंभे गिरने के लिए इन अधिकारियों ने ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय एक्सईएन ओमदत्त को ही मामले की जानकारी लेने के लिए लगा दिया। ओमदत्त ने अधिकारियों को समझा दिया कि रात में नशे में वाहन चलाने वालों ने टक्कर मार कर खंभे गिरा दिए हैं, इन्हें फिर से लगवा दिया जाएगा। यदि ऐसा था तो निगम अधिकारियों को एफआरआई दर्ज करानी चाहिए थी भले ही अज्ञात वाहन चालकों के खिलाफ कराई जाती, लेकिन सच्चाई तो उन्हेें भी मालूम है क्योंकि लाखों के खेल में हिस्सा तो उनको भी मिला होगा। संभवत: यही कारण है कि ओमदत्त द्वारा दी गई सफाई से अधिकारी संतुष्ट हो गए। खंभे अपनी कंक्रीट आधार के साथ उखड़े पड़े हैं कोई भी देखने वाला एक नजर में बता सकता है कि इतनी छोटी नींव पर खंभे खड़े ही नहीं किए जा सकते, उनका गिरना तय है। बावजूद इसके संयुक्त आयुक्त जीतेंद्र गर्ग कह रहे हैं कि ठेकेदार से इस संबंध में बात की जाएगी और गिरे हुए खंभे दुरुस्त कराए जाएंगे।
भाजपा नेताओं का वरद्हस्त हासिल होने के कारण दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में डाले जाने से निगम के भ्रष्ट अधिकारी बेखौफ होकर लगातार भ्रष्टाचार और लूट कमाई में लगे हैं। नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण टीएचएसटीआई घोटाला भी दब कर रह जाएगा।