घोषणावीर खट्टर ने एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखते हुए 29 ऐसे संस्थान खोलने का दावा किया

घोषणावीर खट्टर ने एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखते हुए 29 ऐसे संस्थान खोलने का दावा किया
February 05 14:28 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) घोषणावीर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सोमवार को पंचकूला के सेक्टर 32 में एक और मेडिकल कॉलेज-अस्पताल की आधारशिला रखी। समारोह में लाई गई जनता को उन्होंने जोर शोर से बताया कि यह मेडिकल कॉलेज तीस माह में पूर्ण होकर पढ़ाई के लिए शुरू हो जाएगा। यही झूठ वह बीते नौ साल में कई अन्य मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखते हुए अनेकों बार बोल चुके हैं, लेकिन उनकी तरह ही यह मेडिकल कॉलेज-अस्पताल भी एक जुमला ही साबित होने वाला है, क्योंकि सीएम की घोषणा वाला कोई भी मेडिकल कॉलेज आज तक तो पूर्ण नहीं हो सका है, उसमें पढ़ाई तो दूर की बात रही। अब विधानसभा चुनाव की घोषणा में कुछ ही समय बचा है तो समझा जा सकता है कि आधारशिला मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए नहीं बल्कि चुनाव के मद्देनजर जनता को वरगलाने के लिए की गई है।

खट्टर ने झूठी शान बघारते हुए कहा कि 2014 में राज्य में छह मेडिकल कॉलेज थे, 2014 से 2019 के बीच यह संख्या 12 हो गई और तब से वर्तमान में यह संख्या 15 पहुंच गई है। सभी के पूरा होने पर भविष्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढक़र 29 हो जाएगी। जनता को बहुत लाभ होगा प्रदेश में प्रत्येक वर्ष 3500 डॉक्टरों की कमी पूरी हो जाएगी। देश ही नहीं युगांंडा के भी छात्र यहां पढऩे आएंगे, लेकिन खट्टर यह बताना भूल गए कि हमारे कितने हजार डॉक्टर यूक्रेन, रशिया, चीन, नेपाल आदि आदि देशों में पढऩे जाते हैं।

शिलान्यास तो कर दिया लेकिन मेडिकल कॉलेज कब बनेगा इसका कोई ठिकाना नहीं है। इसी संदर्भ में यह भी जानना जरूरी है कि पिछले नौ साल में खट्टर ने कितने मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास किए उनके क्या हाल हैं। इससे पहले उन्होंंने कैथल, जींद, भिवानी, सिरसा, रेवाड़ी में शिलान्यास किया, नारनौल में तो एम्स बना दिया, यह सब जुमले और घोषणाएं ही साबित हुए हैं। सच्चाई ये है कि मेडिकल कॉलेज-अस्पताल के नाम पर पंचायती जमीनें लेकर उनमें घेरा डाल कर पत्थर लगा दिया गया और आगे कुछ हुआ ही नहीं।
करनाल के कुटैल गांव की सौ एकड़ जमीन ग्रामीणों के कड़े विरोध के बावजूद मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाने के नाम पर छह साल पहले कब्जा ली गई लेकिन कुछ किया नहीं गया। मेडिकल यूनिवर्सिटी के नाम पर छोटी सी जगह में एक छत डाल कर फिजियोथेरेपी का धंधा चलाया जा रहा है।

नूंह नल्हर का शहीद हसन खां मेवाती मेडिकल कॉलेज आज तक फैकल्टी की कमी से जूझ रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर उसका बुरा हाल है। चिकित्सक तो पर्याप्त हैं नहीं, खराब चिकित्सा उपकरण और आए दिन दवाओं की कमी भी रही सही कसर पूरी कर देते हैं। इमरजेंसी वार्ड भी किसी तरह चलाया जा रहा है। देखने में यह मेडिकल कॉलेज किसी फाइव स्टार हॉस्पिटल जैसा लगता है लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नदारद हैं। यहां पूर्ण कालिक डायरेक्टर भी नहीं है किसी को अस्थायी रूप से बैठा रखा है, ये जरूरत ही नहीं महसूस करते कि संस्थान को सही ढंग से चलाने के लिए पद भरना है इनकी इसमें कोई रुचि नहीं है।

गोहाना के भगत फूल सिंह राजकीय महिला मेडिकल कालेज का हाल भी नूंह मेडिकल कॉलेज से अच्छा नहीं है। रोहतक मेडिकल कॉलेज मेें विभिन्न विषय पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी ही नहीं है। करनाल के मेडिकल कॉलेज में भी न तो फैकल्टी पर्याप्त है और न ही इंस्ट्रूमेंट व दवाएं। मेडिकल कॉलेज संसाधन विहीन है लेकिन सरकार की नजर में ये चल रहा है।

नल्हर, गोहाना और करनाल मेडिकल कॉलेज खट्टर के सत्तारूढ़ होने से पहले चालू हो चुके थे। समझा जा सकता है कि खट्टर जब बने बनाए मेडिकल कॉलेजों को सही ढंग से नहीं चला पाए तो घोषणा वाले नए मेडिकल क्या बनाएंगे और क्या चलाएंगे? छायंसा के पांच-छह साल चले चलाए अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में खट्टर ने अपने चहेते निकम्मे डॉ. गोला को डायरेक्टर बना कर ढाई साल तक बैठा दिया। इन ढाई साल में गोला ने करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए लेकिन न तो मेडिकल कॉलेज चला और न ही ढंग से पढ़ाई ही हो सकी। फैकल्टी और मरीज नहीं होने के कारण अच्छी पढ़ाई न होने से सैकड़ों मेडिकल छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया। गोला की करतूतों से मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द हो गई, किसी तरह खट्टर ने उसे बचाया। फजीहत बचाने और मेडिकल कॉलेज चलाने के लिए खट्टर को नवंबर 2023 में काबिल डॉ. बृजमोहन वशिष्ठ को कमान सौंपनी पड़ी।

खट्टर बीते नौ साल में कैथल, जींद, भिवानी, सिरसा, रेवाड़ी में मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रख चुके हैं। इनमें से एक भी मेडिकल कॉलेज बना हो तो खट्टर बताएं कि उन्होंने बना कर चला दिया। केवल जुमले, पत्थर लगाने और चारदिवारी उठाने से मेडिकल कॉलेज नहीं बनते। इसके लिए सच्ची निष्ठा के साथ आवश्यक आधारभूत संरचना और मानव संसाधन उपलब्ध कराने की दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए, जो जुमलेबाज खट्टर में कतई नजर नहीं आती है।

सरकारी उपक्रमों का निजीकरण करने की मुहिम वाली भाजपा के सीएम खट्टर प्रदेश में निजी मेडिकल यूनिवर्सिटी खोले जाने का श्रेय भी खुद ही बटोर रहे हैं। हजारों करोड़ रुपये की अम्मा की मेडिकल यूनवर्सिटी हो या गुडग़ांव का निजी मेडिकल कॉलेज ये व्यापार करने के लिए खोले गए हैं न कि जनसेवा के लिए। खट्टर भले ही इनका श्रेय लें लेकिन ये व्यापारी निजी मेडिकल यूनिवर्सिटी-कॉलेज सरकार की बदनीयती को ही दर्शाते हैं कि किस तरह सरकार शिक्षा को भी व्यापारियों के लिए खोल रही है।

नतीजा है कि जो छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज में चंद लाख रुपये में एमबीबीएस डिग्री हासिल कर लेते थे उन्हें इन व्यापारियों के यहां पढ़ाई करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। सरकार तकनीकी व रोजगार परक शिक्षा को लगातार महंगा करती जा रही है ताकि निम्न और निम्न मध्यम आय वर्ग वाले विद्यार्थी तकनीकी शिक्षा से वंचित हो जाएं और धर्म की चाशनी चाट भाजपा के सपनों के राज्य के निर्माण में सहयोग करें और पूंजीपतियों, धनाढ्य परिवारों के बच्चे इन व्यापारी कॉलेजों में मुंहमांगे दाम खर्च कर पर डिग्रियां खरीद लें।

पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनी मोदी-खट्टर सरकार को आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है उन्हें तो बड़े बड़े दावे-घोषणाएं कर जनता को मूर्ख बनाकर सत्ता हासिल करनी है। सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सुविधाएं घटा कर निजी अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों को बढ़ावा देने का एजेंडा ही इन सरकारों का उद्देश्य नजर आ रहा है, ऐसे में चुनावी वर्ष में एक के बाद एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखी जा रही है, इन्हें न तो पूर्ण होना है न चलना है।

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Mazdoor Morcha
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