फरीदाबाद (म.मो.) शहरों में जल-मल एवं सफाई की आधुनिक व्यवस्था के तौर पर सीवरेज प्रणाली को विकसित किया गया। परन्तु आज यह व्यवस्था शहरवासियों के लिये बड़ी समस्या बन कर रह गई है।
इस शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो जहां पर सीवरेज से उफन कर गंदा पानी सडक़ों पर न फैलता हो। लेकिन एनआईटी के नम्बर 1,2,3, व 5 में तो इसका प्रकोप कुछ ज्यादा ही है। इस मुद्दे पर कच्ची कॉलोनियों की बात न ही की जाये तो बेहतर है। एनएच 2 के डी ब्लॉक में तो पिछले कई हफ्तों से सीवर का सड़ा पानी गलियों में इस कदर भरा रहा कि लोगों का आना-जाना दूभर हो गया। बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी जब नगर निगम वालों ने कोई सुध न ली तो निवासियों को बड़ा प्रदर्शन करना पड़ा। वैसे इस तरह के प्रदर्शन व रोड जाम ये लोग पहले भी कई बार कर चुके हैं। इस तरह के प्रदर्शन के बाद निगम की ओर से सकर मशीन आती है और सड़े पानी को निकाल कर ले जाती है। डी ब्लॉक वासियों के प्रदर्शन के बाद सोमवार 22 तारीख को वहां भी मशीन आई और गंदे पानी को भर कर ले गई।
समस्या का यह कोई स्थायी हल नहीं है। दो दिन बाद नहीं तो चार दिन बाद फिर वही स्थिति बनने वाली है। स्थायी हल तो केवल सीवेरेज व्यवस्था को सुचारु करने से ही हो सकता है जो कि इस निगम प्रशासन के बस का नहीं है। प्रदर्शनकारी अपने पार्षद व मेयर को कोस रहे थे। वे निगमायुक्त को भी मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन समझने वाली बात यह है कि सीवरेज समस्या इस कदर बिगाड़ दी गई है कि पार्षद और मेयर तो क्या निगमायुक्त के भी काबू की नहीं रह गई है।
जितने घरों व आबादी के लिये यह व्यवस्था बनाई गई थी उससे कई गुणा ज्यादा घर व आबादी का बोझ इस पर डाल दिया गया है। इसके लिये नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों तथा राजनेताओं द्वारा करवाये गये अवैध कब्जे व अवैध निर्माण जिम्मेवार हैं। कोढ़ में खाज का काम करते अनपढ़ एवं भ्रष्ट योजनाकार तथा इंजीनियर हैं। इन तमाम हालातों के लिये किसी एक अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिये पूरा सरकारी तंत्र उत्तरदायी है। रही बात पार्षदों व मेयर की तो इन लोगों ने भी इस भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध कभी आवाज बुलंद करनेे की अपेक्षा लूट कमाई में हिस्सेदारी करना बेहतर समझा।
बीते कई वर्षों से नाकारा हुए पड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) को अब नये सिरे से बनाने की योजनायें बनाई जा रही हैं, ये प्लांट कब बनेंगे कोई नहीं जानता। हां, हाल-फिलहाल में एक नया कन्सेप्ट, पार्कों में छोटे एसटीपी लगाने का आ गया है। इनके द्वारा एक क्षेत्र विशेष के सीवेज का शोधित पानी पार्कों में छोड़ा जायेगा।
नगर निगम की कार्यशैली एवं क्षमता को जानने वाले भलीभांति समझते हैं कि इनके लगाये हुए एसटीपी कभी चलने वाले नहीं होंगे। लिहाजा सारा सीवेज इन पार्को में सड़ा करेगा।