पलवल (म.मो.) करीब छ: माह बाद, प्रदर्शनकारियों को फिर से गदपुरी टोल प्लाजा की याद आ गई। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह टोल प्लाजा पूरी तरह से अवैध एवं गैरकानूनी है। सरकार के अपने बनाये हुए नियमों के अनुसार एक टोल से दूसरे टोल के बीच जो फासला होना चाहिये, उसका यहां पालन नहीं हो रहा। टोल नियमों के अनुसार वसूली तभी हो सकती है जब काम पूरा हो जाय। लेकिन इस मामले में तो दोनों ही नियमों की अवहेलना करते हुए खुली लूट हो रही है। दुर्भाग्य तो यह है कि एक गैर कानूनी लूट रुकवा पाने में यहां के तमाम नेता बेकार साबित हो रहे हैं। ये नेतागण धमकी तो बहुत बड़ी-बड़ी देते हैं परन्तु कुछ कर पाने की शक्ति इनमें नजर नहीं आती। एक तर$फ तो ये लोग टोल प्लाजा का ही विरोध करने का नाटक करते हैं तो दूसरी ओर टोल के बदले कुछ रियायतों की मांग पर सौदेबाजी करते हैं। जब एक चीज अवैध एवं गैरकानूनी है तो उस पर किसी प्रकार की सौदेबाजी का क्या मतलब?
अब जो धरने की बात की जा रही है उसके पीछे निकट के स्कूली बच्चों के लिये एक फुटओवरब्रिज तथा वर्ग विशेष के लोगों के लिये मुफ्त पास की व्यवस्था की मांग है। यानी कि इस तरह की दो-चार मांगे यदि टोल कंपनी मान लेती है तो इन नेताओं को अवैध एवं गैर कानूनी टोल से कोई दिक्कत नहीं। ऐसे कमजोर एवं जनाधार विहीन नेताओं की भला क्यों परवाह करने लगी टोल कम्पनी?
कम्पनी को पूरा सरकारी संरक्षण प्राप्त होने के नाते यदि वह कोई भी मांग न माने तो भी, उसे विश्वास है कि उसकी लूट को कोई खतरा नहीं। हां, यदि क्षेत्र की जनता सीधे तौर पर संघर्ष करने पर आमादा हो जाये और टोल को उखाड़ फेंके तो $िफर न किसी कम्पनी और न ही सरकार की कोई हिम्मत है जो इस तरह की अवैध वसूली कर सके।