फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार का गढ़ बनती जा रही रेडक्रॉस सोसायटी में भ्रष्टाचारियों को न सिर्फ संरक्षण देकर आगे बढ़ाया जा रहा है उनके गबन को भी छिपाने के तरीके निकाले जा रहे हैं। वर्तमान में गुडग़ांव में तैनात साठ हजार रुपये गबन के आरोपी जितेन शर्मा की यह राशि माफ करने की तैयारी की जा रही है।
वर्ष 2019 में फरीदाबाद रेडक्रॉस सोसायटी की ओर से दो दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया था। इसके अभ्यर्थियों से सहयोग राशि वसूलने के लिए जितेन शर्मा को सोसायटी की ओर से साठ हजार रुपये कीमत की दो रसीद बुक जारी की गई थीं। जितेन ने ट्रेनिंग तो करा दी लेकिन अभ्यर्थियों से वसूला गया साठ हजार रुपया सोसायटी के अकाउंट में नहीं जमा करवाया था। यह गबन ऑडिट में पकड़ में आया और ऑडिटर ने रकम की वसूली किए जाने की सिफारिश की।
होना तो यह चाहिए था कि गबन पकड़े जाने के बाद जितेन से रकम की वसूली की जाती। इसके विपरीत जितेन से लिखवा लिया गया कि वह दो रसीद बुकें कहीं गुम हो गईं। पक्का करने के लिए जितेन ने घटना के दो साल बाद और ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद रसीद बुकें गुम होने का रपट रोजनामचा सेंट्रल थाने में दर्ज करा दी।
रेडक्रॉस सोसायटी के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार अब जितेन शर्मा ने महासचिव मुकेश अग्रवाल और वाइस चेयरपर्सन सुषमा गुप्ता को पत्र लिख कर गबन की यह राशि माफ किए जाने की मांग की है। सोसायटी के सदस्य और कर्मचारियों में चर्चा है कि जितेन को बचाने के लिए यह रास्ता ऊपर के ही लोगों ने उसे सुझाया, अब उसके पत्र के आधार पर यह राशि माफ करने की भूमिका बनाई जा सकती है। इन लोगों का कहना है कि रसीद बुकें रेडक्रॉस सोसायटी की यानी सरकारी हैं न कि जितेन शर्मा की। वसूले गए साठ हजार रुपये रेडक्रॉस सोसायटी की अमानत हैं, या तो रुपयों की रिकवरी हो या फिर रसीद बुकें लौटाई जाएं, इसके अलावा कोई तीसरा रास्ता नहीं है। जितेन को रेडक्रॉस ने कोई कर्ज नहीं दिया था जिसे माफ किया जाए, यह तो वसूली गई राशि की बात है जो खजाने में जरूर जमा कराई जानी चाहिए। यदि यह धनराशि माफ कर दी जाती है तो भविष्य में इस तरह के गबन और बढऩे की संभावना है क्योंकि सदस्य, कर्मचारियों को लगेगा कि खो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद राशि माफ कराई जा सकती है।