डॉ. रामवीर प्रदूषण के विषय में समाज और सरकारों की चिन्ता से सब परिचित हैं किन्तु प्रदूषण कहते ही केवल वायु या जल पर ध्यान जाता है। नि:सन्देह इन दोनों का प्रदूषित होना जीवन के लिए घातक है। प्रदूषण का एक और क्षेत्र है संचार माध्यमों विशेषत: सोशल मीडिया में फेक वीडियो/न्यूज का फैलाव। यह एक प्रकार का बौद्धिक प्रदूषण है जो वायु और जल के प्रदूषण जितना ही बल्कि एक सीमा तक उस से भी अधिक हानिकारक है। वायु और जल का प्रदूषण शरीर के श्वसनतन्त्र और पाचनतन्त्र को प्रभावित करते हुए धीरे धीरे शरीर को दुर्बल करता है पर फेक वीडियो और फेक न्यूज द्वारा फैलाया गया बौद्धिक प्रदूषण सीधे बौद्धिक अपंगता पैदा करता है, सही गलत को पहचानने की सामान्य बुद्धि तक को क्षीण करता है।
रेलवे पुलिस के जिस जवान ने चलती ट्रेन में अपने सर्विस वैपन से चार निरपराधों की हत्या की है यदि उसके मोबाइल की सही जांच की जाए तो पूरी सम्भावना है कि वह फेक वीडियो फेक न्यूज का नियमित उपभोक्ता निकलेगा। मोबाइल पर पोर्न देखने और सैक्स अपराध बढने में जो सम्बन्ध है वही सम्बन्ध फेक वीडियो और ट्रेन में पुलिस मैन द्वारा निरपराधों की हत्या में है। खुले में शौच करना रोकने के लिए सरकार का प्रयास सराहनीय है पर सोशल मीडिया में फेक वीडियो डालना रोकने के लिए सरकार कुछ नहीं करना चाहती, कारण सर्वाधिक फेक वीडियो सरकार समर्थक ही फोर्वार्ड करते हैं। सोशल मीडिया में फेक वीडियो डालना खुले में हगने जैसा ही हेय कृत्य है, बौद्धिक सड़ांध फैलाना है। यह मानव मल से भी अधिक दूषित है – मानव मल तो बायो-डिग्रेबल होने के कारण अन्तत: नष्ट हो जाता है पर बुद्धि में डाली गई झूठी बातें अन्तत: मनोविकारों में परिवर्तित होती पाई गई हैं।
ध्यातव्य है कि सोशल मीडिया ग्रुप्स में कई बार अनजाने में भी कुछ सज्जन फेक वीडियो/न्यूज फोर्वार्ड कर देते हैं। ऐसे लोगों को जब वीडियो फेक होने की बात बताई जाती है तो वे धन्यवाद दे कर अपनी सज्जनता का सबूत भी देते हैं। पवित्र पापी (आजकल अधिकतर पापी पवित्रता के बाह्य प्रतीकों के प्रति विशेष गम्भीर रहते हैं) तो वे होते हैं जो जानते हैं कि वीडियो फेक है तो भी भेजने से बाज नहीं आते। उन्हें लोगों के कम अक्ल होने का भरोसा होता है, सोचते हैं किसे पता चलेगा – सब को अपने जैसा ही समझते हैं। जामताड़ा के किसी साइबर क्रिमिनल के फोन को पहचानने पर यदि फोन रिसीव करने वाला उसे समझाता या धमकाता है तो वह भी शर्मिंदगी जाहिर करता है, नकली ही सही – सॉरी भी कह देता है पर भाजपाई आई टी सैल के स्वयंसेवक फेक वीडियो फोर्वार्डर न डरते हैं न शर्माते हैं। ये त्रिगुणातीत होते हैं, गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ‘निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन’ का जो उपदेश दिया था ये उसका पालन करते नजर आते हैं ! नौसिखिए भारतीय संस्कृति के नारे लगाने वाले थोडी संस्कृत भी सीख लें तो सहायक होगी, वे सुसंस्कृत (आज की बोलचाल में वैलमीनिंग, गुड मैनर्ड) हो सकेंगे।