सेक्टर-8 ईएसआई अस्पताल का पुनर्जीवन कार्पोरेशन 12 करोड़ खर्च करेगी या बर्बाद

सेक्टर-8 ईएसआई अस्पताल का पुनर्जीवन कार्पोरेशन 12 करोड़ खर्च करेगी या बर्बाद
September 05 19:15 2021

फरीदाबाद (म.मो.) चार दशक पूर्व ईएसआई कार्पोरेशन ने 10 एकड़ के भूखंड पर 200 बिस्तरों का अस्पताल बना कर हरियाणा सरकार को सौंपा था। समय-समय पर आई राज्य की नालायक व निकम्मी सरकारों ने मरीज़ो के इलाज करने की बजाय अस्पताल को ही मरीज बना दिया जो आज इसकी बिलडिंग ‘आईसीयू में पड़ी है। इसे पुनर्र्जीवित करने के लिये कार्पोरेशन ने 12 करोड़ का बजट पास किया है।

विदित है कि 200 बिस्तरों के इस अस्पताल को सही ढंग से चलाने की नीयत हरियाणा में किसी भी सरकार की नहीं रही। रो-पीट कर इसे 50 बिस्तरों तक ही सीमित रखा गया। इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि यहां कभी 15-20 से अधिक मरीज़ दाखिल नहीं रह सके। कारण? इस अस्पताल में न तो पर्याप्त डॉक्टर व अन्य स्टाफ है और न ही  आवश्यक उपकरण व दवायें आदि तो वहां मरने के लिये कौन भर्ती होगा? अस्पताल के प्रति हरियाणा सरकार की इसी बेरुखी के चलते उस जमाने में मज़दूरों के करोड़ों रुपये से बने अस्पताल की बिल्डिंग पूरी तरह से दुर्दशा का शिकार हो चुकी है। पानी सप्लाई के लिये बनाई गई ओवरहेड टंकी इस कदर लडख़ड़ा गई थी कि उसे जैसे-तैसे गिराकर ही पिंड छुड़ाना पड़ा।

आगे बढने से पहले पाठक ईएसआई स्वास्थ्य सेवाओं को चलाने की व्यवस्था को समझ लें। यह व्यवस्था उस वाहन के समान है जिसका नियंत्रण दो ड्राइवरों के हाथ में है और मंजिल तक पहुंचने अथवा बीच रास्ते दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के लिये दोनों में से कोई जिम्मेवार नहीं। जी हां हकीकत यही है। ईएसआई एक्ट के मुताविक मज़दूरों के वेतन से एक निर्धारित मात्रा में वसूली तो ईएसआई कार्पोरेशन करती है और राज्यों में स्वास्थ्य सेवायें चलाने का कार्य राज्य सरकारें करती हैं क्योंकि स्वास्थ्य सेवायें राज्य  एवं संवर्ती सूची में आती हैं। इसकी एवज में कार्पोरेशन राज्य सरकारों को ईएसआई स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च का सात बटा आठ हिस्सा यानी आठ रुपये के खर्च में से सात रुपये कार्पोरेशन देगी व एक रुपया राज्य सरकार खर्चेेगी।  इसके लिये राज्य सरकार ने बाकायदा एक ईएसआई हेल्थकेयर निदेशालय बना रखा है। इसमें एक निदेशक एक उपनिदेशक व काफी लम्बा-चौड़ा स्टाफ बैठा रखा है। यही निदेशालय राज्य भर के 25-30 लाख  ईएसआई कवर्ड मज़दूरों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये सालाना बजट बनाता है, हर तरह के स्टाफ की भर्ती करता है व हर तरह के आवश्यक उपकरण व दवायें आदि की खरीदारी करता है। दूसरी ओर कार्पोरेशन राज्य की डिमांड पर अस्पताल व डिस्पेंसरियों का निर्माण अपने खर्चे से करके राज्य को सौंपता है।  लेकिन इसके बावजूद दोनों ही पक्षों में ताल-मेल का नितांत आभाव होने के चलते न तो कहीं पर्याप्त इमारतें हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ, उपकरण व दवायें उपलब्ध हैं। इसके लिये दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। जिसका दुष्परिणाम उन मज़दूरों को भुगतना पड़ता है जिनके वेतन से कार्पोरेशन नियमित वसूली करती रहती है।

सेक्टर आठ के अस्पताल पर 12 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च एक तरह से बर्बाद ही समझा जायेगा यदि इसे ढंग से न चलाया गया। राज्य सरकार से तो कोई उम्मीद अब रही नहीं, हां यदि कार्पोरेशन इसे टेकओवर करके खुद चलाये तो इस अस्पताल की कोई उपयोगिता हो सकती है। कार्पोरेशन के लिये यह कोई नया काम नहीं होगा। इसी शहर में एनएच तीन वाला अस्पताल भी कार्पोरेशन ने टेकओवर करके एक बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा  शहर को दी है। इसके अलावा गुडग़ावां के दोनों अस्पताल भी कार्पोरेशन खुद चला रही है। वह बात अलग है कि इन दोनों अस्पतालों की भी आज काफी दुर्दशा है क्योंकि श्रमिकों की संख्या के मुकाबले इनकी क्षमता बहुत ही कम है। आज वहां भी फरीदाबाद की तरह 700 बिस्तरों वाले अस्पताल की जरूरत है।

करीब 45 वर्ष पूर्व सेक्टर 7 के दो एकड़ के प्लॉट में एक आलीशान डिस्पेंसरी कार्पोरेशन ने बनाकर हरियाणा सरकार को सौंपी थी। इतना ही नहीं डिस्पेंसरी के साथ डॉक्टरों के दो रिहायशी मकान भी बना कर  दिये थे। ये मकान तो फिर भी कुछ हद तक ठीक-ठाक हैं जबकि डिस्पेंसरी की छत पूरी तरह से तबाह हो चुकी है। तबाही का कारण छत पर लगातार बरसाती पानी का खड़ा रहना है। इसके चलते इस डिस्पेंसरी को अब खाली करके वीरान छोड़ दिया गया है और डिस्पेंसरी को सेक्टर आठ के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है।

यह पूछने वाला कोई नहीं है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग के खंडर बन जाने के लिये जिम्मेदार कौन है? यदि यही बिल्डिंग वहां काम करने वाले डॉक्टरों या स्टाफ की अपनी निजी होती तो वे हर बरसात के बाद इसकी छत पर चढ़ कर या किसी को चढ़ा कर इसकी नियमित सफाई ठीक वैसे ही कराते जैसे वे अपनी घर की कराते हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles