एफएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल को दो साल लगे निकम्मे अधिकारियों को पहचानने में

एफएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल को दो साल लगे निकम्मे अधिकारियों को पहचानने में
January 23 01:06 2023

फरीदाबाद (म.मो.) समझा जाता है कि आईएएस अधिकारी इतने समझदार एवं कार्यकुशल होते हैं कि हर महकमे, चाहे वह इंजीनियरिंग से सम्बन्धित हो अथवा मेडिकल से या किसी और से, सबको सही ढंग से चलाने में इन्हें माहिर माना गया है। इसी लिये हर विभाग के सिर पर इन्हें सिरमौर बना कर बैठाया जाता है।

फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण (एफएमडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल आईएएस को करीब दो साल लग गये अपने नालायक, निकम्मे, अनपढ़ एवं भ्रष्ट अधिकारियों को पहचानने में। बीते बुधवार को वीडियो कान्फ्रान्सिंग  करते हुए सुधीर राजपाल ने एफएमडीए के अधिकारियों को जम कर हडक़ाया। वे उनसे जो भी सवाल पूछते, मसलन हार्डवेयर चौक-प्याली सडक़ का क्या हाल है, अब तक क्यों रुकी हुई है?

काम की रफ्तार धीमी क्यों है तथा फलां-फलां काम का बजट कितना है और कब तक पूरा होगा? ऐसे अनेकों सवालों के कोई जवाब इन अधिकारियों के पास नहीं थे। यह सब देख-सुन कर सीओ को यहां तक भी कहना पड़ गया कि तुम्हारी कोई जिम्मेवारी है या नहीं, तुम वेतन किस बात का लेते हो जब तुम्हें पता ही कुछ नहीं?

विदित है कि एफएमडीए में बैठाये गये तमाम लोगों में से शायद ही किसी की रुचि शहर का विकास करने में हो। इसमें भर्ती किये गये अधिकांश इंजीनियर व अन्य स्टाफ फरीदाबाद नगर निगम, गुडग़ांव नगर निगम तथा ‘हूडा’ आदि महकमों से सेवा निवृत लोग ही हैं। इनमें से शायद ही कोई ऐसा हो जो अपने बीते सेवा-काल में कोई सही काम करके आया हो। जिस प्राधिकरण का चीफ इंजीनियर ही वशिष्ठ जैसा ‘कलाकार’ हो तो नीचे के इंजीनियरों से कोई क्या उम्मीद कर सकता है? वशिष्ठ फरीदाबाद नगर निगम के खूब खेले-खाये खिलाड़ी हैं। इनका संक्षिप्त इतिहास ‘मज़दूर मोर्चा’ में पहले भी छापा जा चुका है।

समझा जाता है कि सीईओ हर सप्ताह में वीडिया कॉन्फेंसिंग के द्वारा तथा कभी-कभी कार्यस्थल पर आकर भी इन सब निकम्मों को अच्छी-खासी झाड़ लगाते हैं, लेकिन इन चिकने घड़ों पर झाड़ की एक बूंद नहीं ठहरती। दरअसल कसूर इनका भी नहीं है। काम तो इन्होंने जिन्दगी में कभी किया ही नहीं।

काम के नाम पर ये केवल टेंडर जारी कर सकते हैं और उसके बाद बिल पास करके अपना हिस्सा वसूल कर सकते हैं। इससे अधिक कोई काम इन्होंने कभी किया नहीं।
अधिकांश इंजीनियरों की तो डिग्रियां भी संदिग्ध हैं। यह तो सरकार को एफएमडीए के गठन के समय सोचना चाहिये था कि इसमें किस स्तर के अधिकारी कर्मचारी-नियुक्त किये जायें। अब चाहे सुधीर राजपाल जी इनके साथ कितना ही मत्था मार लें, कुछ होने-जाने वाला नहीं, हां, करदाता के पैसे को जरूर ठिकाने लगा देंगे।

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Mazdoor Morcha
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