मंत्री-विधायक की शह पर भुगतान लेकर अधूरा काम छोड़ भागने में कुशल फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम- हूडा में रहकर भ्रष्ट ठेकेदारों से मिलकर विकास कार्यों में करोड़ों की लूट और बंदरबांट करने वाले हरामखोर अधिकारी एफएमडीए में आकर यहां भी पुराने ढर्रे पर काम कर रहे हैं। जो ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार गांधी पेरीफेरल रोड के करोड़ों रुपये डकार गया, जिसके खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है, एफएमडीए के निकम्मे अधिकारियों को तिकोना पार्क से चिमनीबाई चौक तक काम कराने के लिए वही नजर आया। केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर और विधायक सीमा त्रिखा का वरद्हस्त होने के कारण पेरीफेरल रोड का आधा अधूरा काम छोडऩे वाले गांधी कम्पनी को इन्हीं नेताओं के इशारे पर अब 28.23 करोड़ रुपये सडक़ निर्माण का काम सौंपा गया है। ठेकेदार का इतिहास देखकर तो नहीं लगता कि वह यहां भी निविदा की सारी शर्तें पूरी करेगा।
एफएमडीए ने व्यापार मंडल से सीनियर सेकेंड्री स्कूल तिकोना पार्क, सी. से. स्कूल से ईएसआई चौक, ईएसआई से चिमनी बाई चौक, चिमनी बाई चौक से एनएच पांच मीट मार्केट तक सडक़ निर्माण व इससे जुड़े अन्य विकास कार्यों का ठेका जारी किया है। इसी टेंडर में भ्रष्ट अधिकारियों ने खेल करते हुए मथुरा रोड स्थित धर्मा ढाबा से सेक्टर 12 लघु सचिवालय होते हुए बाईपास तक जाने वाले करीब दो महीने पहले ही बनी सडक़ को भी शामिल किया है। यानी इस सडक़ का पैसा अधिकारी-ठेकेदार मिल कर डकार जाएंगे।
सुधी पाठक जान लें कि यही ठेका वर्ष 2021-22 में भी जारी किया गया था। लेकिन ठेकेदार व्यापार मंडल से सीनियर सेकेंडरी स्कूल तक सडक़, डिवाइडर, फुटपाथ कार्य आदि करने के बाद काम छोड़ कर भाग गया था। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार ठेकेदार निगम के खाऊ कमाऊ अधिकारियों की मांग से परेशान होकर काम छोड़ गया था। एफएमडीए के निकम्मे अधिकारियों ने इस बनी हुई सडक़ को भी नए ठेके में शामिल कर लिया, यानी इसके नाम पर होने वाले भुगतान में बंदरबांट करने के इंतजाम कर लिए गए।
विकास कार्यों के नाम पर हेराफेरी में माहिर आरके गांधी से बेहतर ठेकेदार फर्म एफएमडीए के खाऊ कमाऊ अधिकारियों को नहीं मिल सकती थी सो उसी को ठेका दिया गया। अधिकारियों को भी मालूम है कि गांधी कम्पनी को केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर और बडख़ल विधायक सीमा त्रिखा का वरदान हासिल है। गूजर का पीए रहा लाजपत कालिया तो खुद को आरके गांधी फर्म का पार्टनर बताता है और इसकी साइटों पर भी देखा जाता है, चर्चा है कि लाजपत कालिया की आड़ मे खुद गूजर ही गांधी का पार्टनर है। आरके गांधी की तो मृत्यु हो चुकी है लेकिन बेटा उसके ही नक्शे कदम पर चलते हुए कम्पनी चला रहा है। ऐसे में अधिकारियों को यह भी भरोसा है कि लूट कमाई की शिकायत भी हुई तो मंत्रियों की कृ़पा से जांच नहीं होने दी जाएगी जैसे कि 102 करोड़ रुपये के पेरीफेरल रोड घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस में धूल खा रही है।
सुधी पाठक जान लें कि वर्ष 2017-18 में तत्कालीन सीएम खट्टर ने 76 करोड़ रुपये लागत से पेरीफेरल रोड (बीके चौक से हार्डवेयर चौक, बाटा चौक, नीलम चौक, एनआईटी थाना के गोल चक्कर से केसी रोड होते हुए बीके चौक तक) बनाने का ठेका दिया था। ठेकेदार गांधी को लाभ पहुंचाने के लिए नेताओं के इशारे पर निगम अधिकारियों ने एस्टीमेट में संशोधन कर तारकोल की जगह आरएमसी की सडक़ कर कीमत 102 करोड़ रुपये पहुंचा दी थी। मामला लूट कमाई का था तो गांधी ने भी सिर्फ सडक़ बनाई और फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, ग्रिल, ग्रीन बेल्ट, स्ट्रीट लाइट आदि काम छोड़ दिया। भष्ट निगम अधिकारियों ने नेताओं के इशारे पर उसे भुगतान भी कर दिया। शिकायत और जांच हुई तो विधायक सीमा त्रिखा ने गांधी का यह कहते हुए बचाव किया था कि उन्होंने ही तारकोल की जगह आरएमसी की सडक़ बनाने को कहा था।
गांधी कंपनी अब व्यापार मंडल से मीट मार्केट तक की सडक़ बना रही है। हालांकि टेंडर में सब कुछ स्पष्ट है लेकिन हो सकता है कि यहां भी लूट खसोट के लिए एक बार फिर एस्टीमेट में संशोधन कर लागत बढ़ा दी जाए। टेंडर में तो सडक़ निर्माण व अन्य कार्य लिखा गया है लेकिन ठेकेदार अभी तो केवल पैचवर्क करवा रहा है। फिलहाल चिमनी बाई चौक और ईएसआई चौक पर मलबा और गिट्टी डलवाई गई है। तिकोना पार्क से चिमनीबाई तक तारकोल की सडक़ पहले से बनी है लेकिन गड्ढों के कारण अनेक जगहों पर ऊबड़-खाबड़ है। ये सडक़ डीएवी सेटेनरी कॉलेज से चिमनी बाई चौक पर अच्छी हालत में है। प्रबल संभावना है कि गांधी पूरी सडक़ न बनवा कर केवल पैच वर्क और डे्रसिंग करा भुगतान झटक कर चलता बने। फुटपाथ, ग्रिल, डिवाइडर, पेड़ पौधे पिछली बार की तरह छोड़ दिए जाएं। दो- दो मंत्रियों का हाथ पीठ पर होने के कारण भुगतान और हिस्सापत्ती पाने को आतुर बैठे एफएमडीए के अधिकारी भी बिना जांच परख धन जारी कर देंगे, फिर सडक़ चाहे अगली बारिश में उखड़़ ही क्यों न जाए, उखड़ेगी तभी तो दोबारा बनवाने के नाम पर लूट कमाई हो सकेगी।
इस काम की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट संवाददाता द्वारा मांगे जाने पर एफएमडीए के चीफ इंजीनियर रमेश बागड़ी ने इनकार करते कहा कि साइट पर एसडीओ ताराचंद और जेई सचिन ही देंगे, यहां से नहीं मिलेगी। जबकि नियमानुसार ये सारी जानकारी निर्माण स्थल पर बोर्ड में लिखी होनी चाहिए। चीफ इंजीनियर ये सार्वजनिक जानकारी क्यों छिपाना चाहते हैं, ये पाठक समझ सकते हैं।