फरीदाबाद (म.मो.) आजकल नगर निगम द्वारा एनआईटी के बाजारों से अतिक्रमण हटाने का तोड़-फोड़ अभियान पूरे जोर-शोर से चलाया जा रहा है।
देखा जाय तो यह अभियान बहुत ही आवश्यक है। लेकिन यह मात्र दिखावे के लिये एक-दो दिन चला कर छोड़ देने के लिए नहीं होना चाहिये।
विदित है कि लगभग सभी बाजारों में आधे से अधिक सड़क पर दुकानदारों ने अपना सामान आदि फैला कर या फिर अपना काऊंटर काफी आगे तक बढ़ाकर सड़क पर इस तरह से कब्ज़ा कर लिया होता है कि पैदल चलने वालों के लिये कोई जगह ही न बचे। इतना ही नहीं, अपने सामान के अलावा बहुत से दुकानदार अपने सामने रेहड़ी अथवा फड़ी लगवा कर ही किराया वसूलते हैं। यह एक तरह से पैदल चलने वालों के अधिकारों का हनन है, जिस पर सरकार हमेशा चुप्पी साधे रहती है।
तोड़-फोड़ करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे एसडीओ सुमेर सिंह से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें निगमायुक्त की तरफ से सख्त आदेश हैं कि वे अपने क्षेत्र के तमाम बाजारों से अतिक्रमण हटा कर राहगीरों के लिये सुरक्षित फुटपाथ की व्यवस्था करेंगे। एसडीओ व निगमायुक्त की मंशा पर तो शक करने का कोई कारण नहीं है, वे तो पूरे जी जान से अतिक्रमण हटाने में जुटे रहेंगे। लेकिन उन राजनेताओं का क्या करें, जो कल को निगमायुक्त से यह अभियान बंद करने को कहें, क्योंकि इन बेअक्ल नेताओं के पास जनता की भलाई करने के लिये तो कुछ है नहीं, केवल अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों के दबाव में आकर कुछ भी कर सकते हैं। इन नेताओं को इतनी समझ तो है नहीं कि सैंकड़ों दुकानदारों को खुश करने के लिये वे उन हजारों-लाखों लोगों को सड़कों पर लगे रहने वाले जाम से परेशान कर रहे हैं।