एमसीएफ का इंजीनियर सैर करने जाएगा ऑस्ट्रेलिया

एमसीएफ का इंजीनियर सैर करने जाएगा ऑस्ट्रेलिया
October 16 15:24 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। लूट कमाई कर शहर की सूरत बिगाडऩे वाले नगर निगम के अधिकारी अब पेयजल व्यवस्था, सीवेज सिस्टम में सुधार और प्रयोग किए गए पानी की रीसायक्लिंग सीखने ऑस्ट्रेलिया जाएंगे। इससे पहले पूर्व निगमायुक्त सोनल गोयल ने भी शहर की व्यवस्था लंदन जैसी करने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था लेकिन वह सिर्फ मौज मस्ती ही साबित हुआ क्योंकि आज तक मैडम ने कोई रिपोर्ट ही नहीं पेश की।

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार देश के विभिन्न शहरों से चुने गए अधिकारियों का एक 16 सदस्यीय दल 30 अक्तूबर को ऑस्ट्रेलिया रवाना होगा। इस दल में फरीदाबाद नगर निगम के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर नितिन कादियान को शामिल किया गया है। यह दल वहां दस दिवसीय टूर के दौरान जलवायु परिवर्तन अध्ययन, जल संरक्षण और बेकार पानी के पुनर्चक्रण का भविष्य विषय पर अध्ययन करेगा। नितिन कादयान इस टूर के दौरान गंदे पानी का दोबारा प्रयोग करने, जल संरक्षण और पेयजल की गुणवत्ता सुधार का अध्ययन करेंगे।
अच्छी बात है वो जाएं, लेकिन वो जो अध्ययन करने जा रहे हैं उसके लिए पहले यहां की पेयजल व्यवस्था, सीवेज और ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त होने चाहिए जो हैं नहीं। शहर को वर्तमान में 340 एमएलडी पेयजल की आवश्यकता है, निगम के ‘कर्मठ’ अधिकारी उसकी केवल दो तिहाई यानी 210 एमएलडी ही दे पा रहे हैं, यानी एक तिहाई जनता पानी से वंचित है। निगम के फर्जी डिग्री वाले इंजीनियरों ने पूरे शहर की छोटी बड़ी नालियों को खत्म कर उन्हें सीसी या आरएमसी सडक़ों से पाट दिया, नतीजा हल्की सी बारिश में नजर आ जाता है।
शहर की मुख्य सडक़ों से लेकर गलियों तक जलभराव हो जाता है जो निकासी न होने के कारण घंटों और कभी कभी दिन भर बना रहता है।

शहर की छह दशक पुरानी सीवर लाइनों को अपग्रेड करने के बजाय आरएमसी रोड के नीचे दफन कर सीवेज सिस्टम को निगम के ‘काबिल’ इंजीनियरों ने बर्बाद कर दिया। जल निकासी व्यवस्था का भी बुरा हाल है। सेक्टरों से लेकर, कॉलोनियों तक नालियों का पानी सडक़ों पर बहता दिखता है।

आस्ट्रेलिया एक विरल आबादी वाला देश है, यहां के शहर भी खुले-खुले और व्यवस्थित बसे हुए हैं। इस महाद्वीप की अधिकतर भूमि समुद्रतल से नीचे होने के कारण यहां उत्स्रुत कुंए (ऑर्टिजियन वेल) अधिकता में पाए जाते हैं यानी ऐसे कुंए जिनसे पानी अपने आप बाहर निकलता रहता है। इसके विपरीत फरीदाबाद भूजल उपलब्धता के मामले में क्रिटिकल जोन में आता है यानी इस इलाके में भूजल का दोहन रिचार्ज होने से अधिक मात्रा में किया जा रहा है। इस संदर्भ में ऑस्ट्रेलिया के जल संसाधन और यहां के जल संसाधनों में जमीन आसमान का अंतर है।

रही बात इस्तेमाल के बाद बेकार हुए पानी को रिसायकल कर दोबारा इस्तेमाल योग्य किए जाने की तो इस मामले में भी निगम के कर्मचारी नाकाबिल ही साबित हुए हैं। शहर में जितने भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं वह बनने के बाद से चले ही नहीं और बिना काम किए ही कंडम घोषित हो चुके हैं। इक्का- दुक्का चले भी तो वे अपनी पूर्ण क्षमता में काम नहीं कर रहे। ये एसटीपी तो पानी को शोधित करने के बजाय भ्रष्ट निगम अधिकारियों के लिए जेनरेटर खर्च, मरम्मत आदि के नाम पर धन लूटने के संसाधन बने हुए हैं।

निगम अधिकारियों को अध्ययन के नाम पर विदेशों के टूर का नाटक करने से पहले अपनी व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए। जब सभी आधारभूत व्यवस्थाएं चाक चौबंद होंगी तो उनमें सुधार करने के लिए एडवांस अध्ययन करने का औचित्य भी साबित होगा, अन्यथा यह टूर भी जनता की गाढ़ी कमाई पर सैर सपाटे से ज्यादा कुछ साबित नहीं होने वाला।

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Mazdoor Morcha
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